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इसलाम और शाकाहार

मुहम्मद का अवतारी षडयंत्र !!

मुहम्मद का अवतारी षडयंत्र !!

यह एक सर्वमान्य सत्य है कि कोई व्यक्ति कुछ समय के लिए सभी लोगों को धोखे में रख सकता , और बहुत से लोगों थोड़े समय तक , लेकिन सभी लोगों को सदा के लिए मूर्ख नहीं बना सकता .और यदि कोई ऐसा करने का प्रयास करता है , तो उसका भंडा जल्द ही फूट जाता है .आज पाखंडी बाबा , ढोंगी ज्योतिषी तांत्रिक ,अय्याश लालची औलिया फकीर , भोले लोगों को डरा कर या उनकी मुरादें पूरी करने के बहाने अपना घर भर रहे हैं .और अपने चेलों की संख्या बढ़ा है .उनके चेले तरह तरह की झूठी कहानियां सुना कर लोगों को ऐसे मक्कारों के ऐसे जाल में फंसा देते है जिस से निकलना असंभव होता है .क्योंकि यह बाबा, अवतार आदि लोगों की बुद्धि पर ताला लगा देते हैं
यह बाबागीरी , और फर्जी अवतार की पाखंड लीला सबसे पहले मुहम्मद साहब ने शुरू की थी .क्योंकि मुहमद साहब एक गरीब ऊंट चराने वाले , और किराये पर ऊंट देने वाले व्यक्ति थे . और हमेशा उनकी नजर तत्कालीन ईसाई देशों की सम्पति पर लगी रहती थी .इस बात को साबित करने के लिए हमें मुहम्मद साहब के उन रहस्यों का पर्दाफाश करना जरुरी है , जो मुसलमान छुपा लेते हैं ,
1 -मुहम्मद का असली नाम कासिम था
मुहम्मद का पूरा नाम “अबुल कासिम मुहम्मद बिन अब्द इलाह बिन अब्दुल मुत्तलिब बिन हिशाम बिन अब्दे मनाफ़ – ابوالقاسم محمد بن عبد الله بن عبد المطلب بن هاشم بن عبد منافب” था , इस नाम का पूरा इतिहास इस प्रकार है ,
मुहम्मद साहब के खानदानी देवता का नाम ” इलाह ” था , जो चन्द्र लोक का स्वामी माना जाता था . इसी लिए मुहम्मद के पिता का नाम ” अब्दे इलाह ” रखा गया था . अर्थात ” चन्द्र दास” ( slave of Moon god ) मुहम्मद का जन्म का नाम “कसिम- قثم – ,” या'” कुसिम -قثم ” था , जो कि उनके चाचा ने रखा था . अरबी इसका अर्थ “बर्बाद (Damaged ), जहरीला (Poisioned ),गन्दा ( Filthy )तिरस्कृत ( Reject )मुहम्मद के चाचा अबू तालिब ने ऐसा नाम इसलिए रखा था , क्योंकि मुहम्मद अपने पिता कि मौत के तीन साल बाद पैदा हुआ था .जब मुहमद के चाचा अब्दुल मुत्तलिब का लड़का कासिम 9 साल की आयु में मर गया , और अब्दुल मुत्तलिब बीमार रहने लगे , उसके तीन साल बाद मुहम्मद का जन्म हुआ था . और उसी के नाम पर मुहमद का नाम रखा गया .
Muhammad’s birth name was Qathem – قُثَمُ ” ,After the death of Qathem Ibn Abd-Al-Mu’taleb (Muhammad’s Uncle) at the age of nine, three years Muhammad was born, his father Abd-Al-Mu’taleb felt so bad, so when the prophet was born, he named him Qathem

“لما مات قثم بن عبد المطلب قبل مولد رسول الله صلى الله عليه وسلم بثلاث سنين وهو ابن تسع سنين وجد عليه وجدا شديدا، فلما ولد رسول الله صلى الله عليه وسلم سماه قثم حتى أخبرته أمه آمنة أنها أمرت في منامها أن تسميه محمدا، فسماه محمدا

Book of Al Sirah Al-Halabia (Another name of the book,

Insan Al-Ueoun Fe Serat Al-Ma’mun),– V1 page 128

मुहम्मद बचपन में खुद को ,, कसिम और कासिम कहते थे .

Muhammad calling himself Qotham or Qutham, Qathem in
(Beharul Anwar- بحار الأنوار‎ – Vol.16 p.130) also called Bihar al-Anwar

Prophet Muhammad’s real name was Qathem.(विडियो देखिये )

http://www.youtube.com/watch?v=gCxHVXMh1cQ

2-कासिम से मुहम्मद बन गए
चूँकि कासिफ नाम का अर्थ निंदनीय होता है , इसलिए करीब 30 की आयु में “कासिफ ” में अपना नाम ” मुहम्मद ” रख लिया . जिसका मतलब प्रशंसित ( Praised ) होताहै , और कासिफ से बिलकुल विपरीत अर्थ रखता है .और कुरान में ” मुहम्मद ” का नाम सिर्फ 4 जगह मिलता है , जो इस प्रकार है
1.”وَمَا مُحَمَّدٌ إِلَّا رَسُولٌ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ الرُّسُلُ أَفَإِن مَّاتَ أَوْ قُتِلَ انقَلَبْتُمْ عَلَىٰ أَعْقَابِكُمْ وَمَن يَنقَلِبْ عَلَىٰ عَقِبَيْهِ فَلَن يَضُرَّ اللَّـهَ شَيْئًا وَسَيَجْزِي اللَّـهُ الشَّاكِرِينَ ﴿آل عمران ”
” मुहम्मद तो अल्लाह के रसूल हैं , और उन से पहले भी रसूल गुजर चुके हैं ”
सूरा -आले इमरान 3 :144

2.”. مَّا كَانَ مُحَمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَلَـٰكِن رَّسُولَ اللَّـهِ وَخَاتَمَ النَّبِيِّينَ وَكَانَ اللَّـهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمًا ﴿الأحزاب ”
और मुहम्मद तुम में से किसी के पिता नहीं हैं , वह रसूल और नबियों के समापक हैं ”
सूरा -अहजाब 33 :40
3.”وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَآمَنُوا بِمَا نُزِّلَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَهُوَ الْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ كَفَّرَ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَأَصْلَحَ بَالَهُمْ ﴿محمد ”
“और जो कुछ भी मुहम्मद के ऊपर उतरा गया है , वह सर्वथा सत्य है ‘
सूरा – मुहम्मद 47 :2
4.”مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّـهِ وَالَّذِينَ مَعَهُ أَشِدَّاءُ عَلَى الْكُفَّارِ رُحَمَاءُ بَيْنَهُمْ ”
” मुहम्मद अल्लाह के ऐसे रसूल हैं जो , काफिरों के प्रति क्रूर और अपने लोगों के प्रति दयालु हैं ” सूरा – अल फतह 48 :29

इस तरह से कासिम ने अपना नाम मुहम्मद रख कर खुद को रसूल घोषित कर दिया , और अरब के जाहिल , लोगों ने जिहाद के लूट के माल के लालच में मुहमद को रसूल मान लिया .
3-पोप को धमकाया
मुहम्मद के समय सभी धनवान ईसाई देश रोम स्थित पोप के अधीन थे , लोग पोप को पृथ्वी पर ईसा मसीह का प्रतिनिधि मानते थे .मुहम्मद के समय सभी धनवान ईसाई देश रोम स्थित पोप के अधीन थे , लोग पोप को पृथ्वी पर ईसा मसीह का प्रतिनिधि मानते थे .इस लिए लगभग सन 622 मुहम्मद ने ईसाइयों के धर्मगुरु पोप (Benedict XVI; Popes of the Roman Catholic Church)को अपने लोगों के हाथों एक पत्र भेजा , जिसमे लिखा था ,
“من محمد بن عبد الله إلى هرقل عظيم الروم: سلام على من اتبع الهدى، أما بعد فإنى أدعوك بدعوة الإسلام . أسلم تسلم ويؤتك الله أجرك مرتين ، فإن توليت فإن عليك إثم الأريسيِّين. {قل يا أهل الكتاب تعالوا إلى كلمة سواء بيننا وبينكم ألا نعبد إلا الله ،ولا نشرك به شيئا،ولا يتخذ بعضنا بعضا آربابا من دون الله فإن تولوا فقولوا اشهدوا بأنا مسلمون ”
“”सलाम है उन लोगों पर जो मेरे अल्लाह पर पर ईमान रखते हैं , मैं भी ईसा , मरियम ,और उन सभी किताबों पर ईमान रखता हूँ , जो अल्लाह ने मूसा , इब्राहीम , याकूब ,और ईसा को प्रदान की हैं .मैं उनमे कोई अंतर नहीं करता , और अल्लाह ने मुझे तुम लोगों का मार्ग दर्शन करने के लिए रसूल बनाकर भेजा है और तुम्हारी इसी बात में भलाई है , कि मुझे रसूल स्वीकार करके मुसलमान बन जाओ .क्योंकि अल्लाह ने मेरा नाम ” अहमद ” इसी लिए रखा है .इसी के साथ मुहम्मद ने एक पत्र रोम के सम्राट ” कैसर ( Ceasar ) को भी भेजा था .लेकिन जब पोप के सामने ,और कैसर के दरबार में मुहम्मद के पत्र पढ़ कर सुनाये गए तो ईसाई गुस्से से आगबगूला हो गए .उन लोगों ने मुहम्मद का पत्र लाने वालों की पीट पीट कर वहीँ पर हत्या कर दी .मुहम्मद साहब योजना असफल हो गयी .
4-मुहम्मद से अहमद बन गए
जब मुहम्मद पोप और कैसर को मुसलमान बनाने में असफल हो गए , तो उन्होंने दूसरी चाल चली . मुहम्मद अनपढ़ नहीं बल्कि काफी चालाक व्यक्ति थे . उनको ईसाई धर्म की किताब ” इंजील ” ( New Testament ) का पूरा ज्ञान था , जिसमे ईसा मसीह ने ,अपने शिष्यों को पवित्रात्मा देने का भरोसा दिया गया है ,ग्रीक भाषा में इसे ” पारा क्लीट”( paraklēto (παράκλητον) कहा गया है और दूसरा सहायक भी कहा गया है .इस ग्रीक शब्द के अंगरेजी में counsellor’, comforter’,helper’ or ‘advocate’. होते हैं मुहम्मद ने बड़ी चालाकी से इस शब्द का अर्थ अरबी में ” अहमद ” कर दिया , और कुरान में लिख दिया
“وَإِذْ قَالَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ إِنِّي رَسُولُ اللَّـهِ إِلَيْكُم مُّصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيَّ مِنَ التَّوْرَاةِ وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍ يَأْتِي مِن بَعْدِي اسْمُهُ أَحْمَدُ ”
” ईसा ने कहा हे इस्राएल के लोगो , मैं अल्लाह का रसूल हूँ , जो पिछली किताब तौरेत की पुष्टि करता हूँ . और एक शुभ सूचना देता हूँ कि मेरे बाद जो सहायक आएगा उसका नाम ” अहमद ” होगा ”
सूरा -अस सफ्फ 61 :6
5-बाइबिल में अहमद बताना
जिस तरह आजकल के मक्कार मुल्ले हिन्दू ग्रंथों का अनर्थ करके मुहम्मद को अंतिम अवतार , कल्कि अवतार बता कर हिन्दुओं को मुस्लमान बनाने का षडयंत्र करते रहते हैं , वैसे ही मुहम्मद साहब ने बाइबिल के नए नियम की पुस्तक यूहन्ना के अध्याय 14 : 15 , 25 और अध्याय 15 :26 का सहारा लेकर मुहम्मद उर्फ़ अहमद को मुहम्मद का दूसरा अवतार बनाना चाहा था , लेकिन पोल खुल गयी .देखिये बाइबिल क्या कहती है
” ईसा ने कहा तुम मेरे आदेशों का पालन करो . मैं अपने पिता से निवेदन करूंगा कि वह तुम्हारे लिए एक सहायक भेज दें .जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा .जो एक आत्मा है ,जिसे संसार पकड़ नहीं सकता .क्योंकि वह उसे देख नहीं सकता .लेकिन वह तुम्हारे अन्दर और तुम्हीं के बीच में रहेगा ”
बाइबिल नया नियम – यूहन्ना . अध्याय 14 आयत 15 से 18
दूसरी जगह कहा है ” परन्तु जब वह सहायक , जिसे मैं अपने पिता के यहाँ से तुम्हारे पास भेजूंगा , वह सत्य का आत्मा है .जो पिता से आता है ”
यूहन्ना .अध्याय 15 आयत 26
6-अहमद पाराक्लीट नहीं है
यदि हम बाइबिल की आयतों को ध्यान से पढ़ें तो पता चलेगा ईसा मसीह ने जिस सहायक की बात की है , उसमे अहमद उर्फ़ मुहम्मद के एक भी लक्षण नहीं मिलते हैं . जैसे ,
1 उसे पिता ने नहीं भेजा 2 . वह आत्मा है , अहमद आत्मा नहीं है . 3 . सहायक अमर है . अहमद मरने वाला है . 4 . सहायक दिल में रहेगा . अहमद संसार में रहता है .5 .सहायक अद्रश्य है , अहमद को देख सकते हैं .और सबसे बड़ी बात यह है कि मुहम्मद किसी के दूसरी बार जन्म लेने या आने को नहीं मानते थे . यानि किसी के अवतार होने को कुफ्र बताते थे .इसीलिए ईसाइयों ने मुहम्मद को बाइबिल के अहमद यानि पाराक्लीट मानने से साफ इंकार कर दिया .और पाखंडी साबित कर दिया .
7-मुहम्मद पर पोप का निर्णय
अंगरेजी अख़बार The Guardian दिनांक 11 अक्टूबर 2007 को पोप Benedict X V I ने एक सभा बुलाई . और मुहमद के पत्र को निकलवाया . उस समय पोप के सभी आर्क बिशप और 138 मुस्लिम विद्वान् भी थे .और सभी लोगों ने मुहम्मद के पत्र पर चर्चा की . और मुहम्मद के अल्लाह के रसूल होने के दावे की जाँच करने के बाद यह निर्णय दिया .
“Our current hypothesis about Mahomet, that he was a scheming Imposter, a Falsehood incarnate, that his religion is a mere mass of quackery and fatuity, begins really to be now untenable to anyone. The lies, which well-meaning zeal has heaped round this man, are disgraceful to ourselves only.’

.” हमारे आकलन के अनुसार मुहम्मद एक ठग , झूटा अवतार , और षडयंत्रकारी था .जो अपने दैहिक सुखों के लिए लोगों को अपनी बेतुकी बातों में फंसा कर गुमराह करता रहता था वह किसी बात पर नहीं टिकता था , और उसने कल्पित बातों का ढेर कर रखा था .जिस से उसकी नीयत और सच्चाई पर शंका होती है .खुद मुहम्मद का , और उसका समाज में सम्मान करना बड़े शर्म की बात है ”
जिस तरह पोप बेनेडिक्ट ने मुहम्मद साहब दे धमकी भरे पत्र , के साथ कुरान की उन आयातों , जिनमे मुहम्मद साहब को अवतार बताने का दावा किया था और बाइबिल को मुस्लिम विद्वानों के सामने पढ़ा , और मुहम्मद साहब को पाखंडी अवतार या रसूल घोषित कर दिया ,उस से हिन्दू आचार्यों को शिक्षा लेना चाहिए .फिर भी हम मुहमद साहब को अवतार नहीं मान सकते , कोई कितने भी दावे करे , हम पर कोई असर नहीं होगा .

” ठुकरा के आगे बढ़ गयी , अपनी निगाहे नाज – जलवे हजारों बार वोह दिखला के रह गए ”
(200/40)

brijnandan Sharma

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