सूर्य की रोशनी से ये बिमारी दूर हो सकती है: —-डॉ अनुपमा प्रकृति के सान्निध्य से संस्कृति, संस्कार और सुख:— शिक्षक लखन लाल आर्य

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महरौनी (ललितपुर) । महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्यसमाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य के संयोजकत्व में आयोजित “आदर्श जीवन शैली” विषय पर दिनांक 13 सितंबर 2022 को डॉक्टर अनुपमा ने वैदिक संस्कृति व्यक्ति को सुखमय जीवन जीने का मार्ग दिखलाती है। जो प्रकृति के निकट रहेगा वह संस्कृति संस्कार और सुख को प्राप्त करेगा। प्रकृति के अंदर सूर्य सबसे बड़ा चिकित्सक। सूर्य के निकट रहने से शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते। व्यक्ति को ताजी हवा और सूर्य की रोशनी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए यह भोजन से भी अधिक आवश्यक है। इनके सेवन नहीं करने से व्यक्ति जटिल रोगों का शिकार हो जाता है। व्यक्ति को प्रतिदिन सूर्य के निकलने से पूर्व ही जागृत नित्य कर्म करना चाहिए। व्यक्ति को मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। अतिथियों को बासा भोजन बिस्कुट आदि घर के बने ना परोसकर घर के बने ताजे पदार्थ देने चाहिए। आध्यात्मिक चिंतन सादा जीवन और उच्च विचारों को अपनाने से व्यक्ति मानसिक रूप से दबाव को महसूस नहीं करता। आजकल अनेक मनोविकार लोभजन्य प्रवृत्ति और जीवन शैली के कारण हो रही है।
केंद्रीय शिक्षक डॉ अजय आर्य भिलाई ने कहा वैदिक संस्कृति हमें बांटकर खाना सिखाती है इसलिए वेद मंत्र कहता है कि अकेले होने की प्रवृत्ति व्यक्ति को पापी बना देती है। शांति पाठ में इसीलिए यूरोप अंतरिक्ष पृथ्वी जल जल वनस्पति सब को शांत कर लेने के बाद अंत में प्रार्थना की जाती है कि इन सब में बसी हुई शांति प्राप्त हो। गीता कहती है कि मनुष्य स्वयं अपना शत्रु और स्वयं अपना मित्र है।
डॉ व्यास नंदन शास्त्री बिहार ने अंतिम संस्कार पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार के पश्चात कुछ भी करणीय नहीं रह जाता।
डॉक्टर निष्ठा विद्यालंकार ने कहा वैदिक संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है वेदों में ज्ञान विज्ञान का भंडार भरा हुआ है। वेदों के मार्ग पर चलने से हमें सुख और शांति प्राप्त हो सकता है।
विशेष रूप से आयोजित की गई इस वेबिनार में पंडित पुरुषोत्तम मुनि जी द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए गए। इसके अतिरिक्त योग शिक्षक दिनेश चंद्र उदैनिया झांसी, वेद प्रकाश शर्मा, डॉ व्यास नंदन ,श्रीमती दया आर्या, श्रीमती संतोष सचान,अनिल नरूला ,आराधना सिंह शिक्षिका,सुमन लता सेन शिक्षिका,अदिति सेन आर्या ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल संचालन आयोजक आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवं आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया।

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