आज वीर सावरकर की जन्म जयंती है.. लेकिन सावरकर जैसे वीरों की मृत्यु उनके जन्मोत्सव से ज्यादा शानदार दिलचस्प होती है| ऐसे में हम अपना कर्तव्य समझते हैं उनकी जन्म जयंती पर सावरकर जैसे वीर की गौरवशाली मृत्यु का वर्णन ना करे तो यह उनके साथ नाइंसाफी होगी… जन्म से तो सभी साधारण होते हैं वह मृत्यु ही है हमें जो महान बनाती है.. हम किस उद्देश्य से मरे किन लक्ष्य को प्राप्त कर हमने मृत्यु का वरण किया |

सावरकर की आयु 81 वर्ष हो गई थी.. उन्होंने अनुभव किया अब वह तन मन धन से मां भारती की सेवा नहीं कर सकते.. उन्होंने स्वेच्छा से अन्न जल का त्याग कर मृत्यु का आलिंगन करने का कठोर संकल्प 1 फरवरी 1966 को लिया… सावरकर के संबंधियों, रिश्तेदारों मित्रों ने वीर सावरकर को बहुत समझाया उन्होंने कहा आपका यह कदम आत्महत्या है लेकिन सावरकर ने कहा यह आत्महत्या नहीं #आत्माअर्पण है|

ठीक 25 दिन पश्चात 26 फरवरी 1966 को सावरकर ने प्राण त्यागे… सचमुच सावरकर कालजई काल के भी काल थे.. ना वीर सावरकर का अंग्रेज बाल बांका कर पाए ना ही आजाद भारत की नेहरू सरकार जो सावरकर को गांधी का हत्यारा मानती थी… गांधी भक्तों व नेहरू के कारण सावरकर को अपने जीवन के अंतिम दो दशकों में बड़ी ही उपेक्षा का सामना करना पड़ा.. लेकिन सावरकर ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया.. नेहरू की मृत्यु के पश्चात प्रधानमंत्री #लाल_बहादुर_शास्त्री जी ने वीर सावरकर को ₹60 मासिक पेंशन की व्यवस्था की |

ऐसे वीर सावरकर को आज उनकी जन्म जयंती पर शत शत नमन….👏👏👏👏

आर्य सागर खारी ✒✒✒

Comment: