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विशेष संपादकीय

कांग्रेस मोदी का विकल्प पेश करे

modi jiकांग्रेस के पास एक ऐसे नेता हैं जो एक साथ दो परस्पर विरोधी गुणों से विभूषित हैं, अर्थात वे गुलाम भी हैं और आजाद भी हैं। जो व्यक्ति गुलाम है अर्थात दूसरे के शब्दों को बोलता है, जिसके पास अपना बोलने को कुछ नही है, वह आजाद कैसे हो सकता है? पर कांग्रेस के गुलाम नवी आजाद ऐसी शख्सियत हैं जो एक साथ गुलाम और आजाद हैं। वह कांग्रेस की ओर से अक्सर कुछ न कुछ बोलते हैं, यह अलग बात है कि कई बार उनका बोलना रास न आए।

अभी गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से कहा है कि भारत की जनता प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग शुरू करे, इसके पहले उन्हें ललित मोदी प्रकरण में दोषी सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

आजाद ने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री के हित में है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें। अन्यथा यह घटना पूरी दुनिया में उनका पीछा करेगी। वह इससे बच नहीं सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि वह शांत रह गए तो एक समय आएगा, जब जनता उनके इस्तीफे की मांग शुरू कर देगी।’’

आजाद ने प्रधानमंत्री के वादे को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता में आने के बाद सबसे पहला काम वह यह करेंगे कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाएंगे, लेकिन उन्होंने ललित मोदी को भारत लाने के लिए एक पत्र तक नहीं लिखा। आजाद ने कहा, ‘‘देश के नागरिक पूछ रहे हैं कि विदेश मंत्री या राजस्थान की मुख्यमंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाइयां की गईं हैं। हरेक घंटे राजस्थान की मुख्यमंत्री के खिलाफ नए सबूत सामने आ रहे हैं।’’

गुलाम नवी आजाद ने अपनी पार्टी की ओर से जो विचार रखे हैं वे उनकी दृष्टिï में उचित हो सकते हैं, पर उन्हें यह भी स्पष्टï करना चाहिए कि इस प्रकरण में अब प्रियंका बढ़ेरा का नाम भी कहीं न कहीं से जुड़ा है, तो उनकी भूमिका कितनी संदिग्ध है? जहां तक प्रधानमंत्री मोदी के इस्तीफे की बात है तो इससे पहले देश की जनता प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगे उन्हें अपनी पार्टी की ओर से मोदी का विकल्प देश की जनता को देना होगा। यह सच है कि देश की जनता किसी भी शासक का विकल्प खोजती है, और कांग्रेस का दायित्व है कि वह देश की जनता की इस अपेक्षा पर खरी उतरे।

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