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आतंकवाद

रूस के भीतर भी हो रहे हैं यूक्रेन पर किए गए हमले के विरुद्ध प्रदर्शन

 अशोक मधुप

रूस के अलावा जापान, हंगरी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में लोग यूक्रेन पर हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं। लोग ‘युद्ध नहीं चाहिए’ के नारे लिखे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस युद्ध को रोकने की मांग कर रहे हैं।

यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की  विश्व में आलोचना हो  रही है। जगह−जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।कहा जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अपने अहम के लिए दुनिया को युद्ध में धकेल दिया।यह भी खबर है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन हर हालात में यूक्रेन पर कब्जा चाहतें हैं। इसके लिए वह अपने 50 हजार सैनिक की बलि देने के लिए भी तैयार हैं। ऐसे  हालात में रूस से ही अच्छी खबर आई है। वहां के नागरिक युद्ध का विरोधकर रहे हैं। यह कार्य रूस के साथ –साथ पूरी दुनिया में होना  चाहिए। जनता को युद्ध का विरोध करना चाहिए।

यूक्रेन पर हमले के विरोध में रूस में लोगों का युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। रूस की राजधानी मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और अन्य शहरों में शनिवार को लोग सड़क पर उतर आए और नारेबाजी की। पुलिस ने  460 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसमें मॉस्को के 200 से अधिक लोग शामिल हैं।

रूस में यूक्रेन पर हमले की निंदा करने वाले ओपन लेटर भी जारी किए गए। इसमें 6,000 से अधिक मेडिकल स्टाफ, 3400 से अधिक इंजीनियरों और 500 टीचर्स ने साइन किए हैं। इसके अलावा पत्रकारों, लोकल बॉडी मेंबर्स और सेलिब्रिटिज ने भी ऐसे ही पिटीशन पर साइन किए हैं। यूक्रेन पर हमले को रोकने के लिए गुरुवार को एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू की गई। इस पर शनिवार शाम तक 7,80,000 से अधिक लोगों ने साइन कर दिए हैं। माना जा रहा है कि यह बीते कुछ सालों में रूस में सबसे अधिक समर्थित ऑनलाइन याचिकाओं में से एक है।
रूस के अलावा जापान, हंगरी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में लोग यूक्रेन पर हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं। लोग ‘युद्ध नहीं चाहिए’ के नारे लिखे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस युद्ध को रोकने की मांग कर रहे हैं। रूसी पुलिस ने दर्जनों शहरों में युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले 1,700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
ये भी सूचना है कि रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद युद्ध के खिलाफ हैं।कम्युनिस्ट पार्टी के दो सांसदों ने भी यूक्रेन पर हमले की निंदा की है। यह वही सांसद हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने के लिए मतदान किया था। सांसद ओलेग स्मोलिन ने कहा कि जब हमला शुरू हुआ तो वह हैरान थे, क्योंकि राजनीति में सैन्य बल का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिए। दूसरे सांसद मिखाइल मतवेव ने कहा कि युद्ध को तुरंत रोक दिया जाना चाहिए।
उधर यूक्रेन से आ रही खबर अच्छी नहीं हैं। रूसी सेना  सैनिक प्रतिष्ठान के अलावा सिविलियन  पर भी हमले कर रही है। शहरों में घुसे रूसी सैनिक लूटपाट कर रहे हैं। खार्किव शहर पर कब्जा करने के बाद रूसी सैनिकों ने एक बैंक लूट लिया।एटीएम लूटे जा रहे हैं ।सैनिक  एक डिपार्टमेंटल स्टोर में घुसकर सामान भी उठाते नजर आए।यूक्रेन का दावा है कि अब तक रूसी हमले में 198 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें 33 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा 1,115 लोग घायल हो गए हैं। यूक्रेन के हालत दिन पर दिन खराब हो रहे हैं। खाने− पीने का सामान कम पड़ गया है। रूसी हमले के बाद कीव, खार्किव, मेलिटोपोल जैसे बड़े शहरों में हर जगह तबाही  दीख रही है। मिसाइल हमलों से इमारतें बर्बाद हो गई हैं। लोग खाने −पीने  के सामान को तरस रहे हैं। कई जगह बच्चों से लेकर बड़े भी डर और दहशत की वजह से रोते देखे जा सकते हैं। लाखों लोग अपना शहर, देश छोड़कर बाहर जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने और अपने परिवार की चिंता है। वह  जल्दी से जल्दी सुरक्षित  स्थान पर पंहुच जाना चाहतें हैं।  संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 1.50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी शरणार्थी पोलैंड, मोल्दोवा और रोमानिया पहुंच चुके हैं।

 इस युद्ध के विरोध में रूस में जो हो रहा है, वह पूरी दुनिया में होना चाहिए। शांति स्थापना के बनी एजेंसी और संगठन जब असफल हो जांए तो जनता को इसके लिए उठना चाहिए। पिछले कुछ समय से लग रहा है कि दुनिया में अमन−शांति कायम रखने के लिए बना संयुक्त राष्ट्र संगठन अपनी महत्ता खो चुका है। वीटो पावर प्राप्त पांचों देश की दंबगई के आगे इसकी महत्ता खत्म हो गई है।ऐसे में पूरे विश्व को शांति स्थापना के लिए किसी नए संगठन को बनाने के बारे में सोचना होगा। इसके लिए आवाज बुलंद करनी होगी। आंदोलन करने होंगे। जनमत बनाना होगा।

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