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आतंकवाद

तालिबान 90 हजार पुराने हथियार, अफगान सेना 3 लाख आधुनिक हथियार

तालिबान 90 हजार पुराने हथियार,
अफगान सेना 3 लाख आधुनिक हथियार।
उनकी 3 लाख की सेना कहां गायब हो गई।
इसके बावजूद एक माह में तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया …कैसे ??

जब 2002 में अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबानी सरकार को उखाड़ कर नई सरकार स्थापित की थी तब सारे तालिबानी कहां गायब हो गए थे।
वे गायब नही हुए थे उन्होंने अपनी इस्लामिक सोच का पूरा फायदा उठाया था। सिर्फ उनके कुछ टॉप लीडर्स गायब हुए बाकी वही तालिबानी अधिकतर संख्या में अफगानिस्तान की नई सेना में भर्ती होते गए और अमेरिका को मूर्ख बनाते रहे। माल भी खाते रहे मजे भी लेते रहे और नाम से सिर्फ अमेरिकी सरकार के अधीन रहे असल में थे वे तालिबान ही।

ट्रंप यह सब कुछ समझ चुके थे ,मोदीजी भी यह सब समझते थे। इसीलिए ट्रंप ने अफगानिस्तान छोड़ने की योजना बना ली थी …क्योंकि अमेरिका बेकार में धन बरबाद कर रहा था। इसीलिए मोदीजी ने भी समझदारी से काम लेकर भारत का कोई सैनिक दखल अंदाजी का रिस्क नहीं किया।

क्योंकि …इस्लाम कुछ सिखाए या ना सिखाए यह जरूर सिखाता है की चालें कैसे खेली जाए। पाकिस्तान भी इन्ही चालों से कई दशकों तक अमेरिका का धन खाता रहा और अब चीन को मूर्ख बना रहा है।

अब जैसे ही अमेरिका ने अपनी सेना को अफगानिस्तान से बाहर निकाला एक माह के अंदर अफगानिस्तान की नई तीन लाख की सेना ने तालिबान का कोई मुकाबला नहीं किया जबकि उनके पास आधुनिक हथियार और वायुसेना भी थी। वे थोड़ा बहुत दिखावटी विरोध करते रहे और तालिबान एक के बाद एक शहर को कब्जे में करता रहा।

सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था कि
अगर कोई मुस्लिम तेल में अपने हाथ डूबो कर फिर तिल की बोरी में डाल दे जितने तिल उसके हाथ पर चिपक जाएं अगर कोई मुस्लिम उतनी बार भी कसम खा ले उसका विश्वास मत करो।

लेकिन …हमारे यहां के तथाकथित सेकुलर और मैकाले बुद्धि के लोगों को पता नही कब समझ आएगी।
क्योंकि इस्लामिक विचारधारा है ही ऐसी।
ये लोग सौ साल तक आपकी सेवा कर लेंगे लेकिन .….
उद्देश्य एक ही कि कब मौका मिले और …आपकी
राम नाम सत्य कर दें।

यही #सद्दाम_हुसैन के समय इराक में भी हुआ था, अमेरिका के एक आक्रमण के साथ ही वहां की सारी सेना गायब हो गई ! अमेरिका ने वहां एक कठपुतली सरकार स्थापित की लेकिन बाद में वही सेना ISIS के रूप में सामने खड़ी हो गई थी।

क्योंकि ….इस्लाम के लोग सिर्फ कुरान और अपने पैगम्बर से ऊपर किसी को नही मानते।
ये वही करेंगे जो कुरान में लिखा है।
चाहे इनको हजारों साल का इंतजार करना पड़े।

इसी समस्या का सामना मोदीजी को करना पड़ रहा है, सत्तर सालों से भारत की ब्यूरोक्रेसी, अफसरशाही , नयापालिका और लगभग हर संस्थान , सिनेमा चाहे मीडिया सब में कम्युनिस्ट, भ्रष्ट, इस्लामिक, चर्च के लोगों का कब्जा है।
इनमे बहुत ही कम राष्ट्रीय विचारधारा के लोग है।
और ये लोग शांति से मकरे बन कर व्यवस्था में बैठे हुए हैं। आईएएस लॉबी अस्सी प्रतिशत इन्ही लोगों की है।
इसीलिए अगर भारत में राष्ट्रवादी व्यवस्था कायम करनी है तो कम से कम दस साल और राष्ट्रवादी लोगो का शासन कायम रहना चाहिए।

2014 तक सरकारी नौकरी करने वाले लोगों के बीच लेन देन की बातें खुले आम होती थी और इस बात को इज्जत से देखा जाता था कि फलां अफसर इतनी कमीशन लेता है। यह व्यवस्था बदलते समय लगेगा।

नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला पश्तो हैं।
जब धारा 370 हटा तब मलाला का कहना था कि लड़कियाँ स्कूल नहीं जा पाएँगी।
आज उनकी पश्तो लड़कियों का बलात्कार हो रहा है, तालिबानी आतंकियों से ज़बरन उनका विवाह किया जा रहा है। तब मलाला को कोई मलाल ही नहीं है।

बस भारत के मामले में मुँह खोलना आता है!!

प्रस्तुति : देवेंद्र सिंह आर्य

चेयरमैन : उगता भारत

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