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आतंकवाद

यह कोई पिक्चर है या फिर लव जिहाद

 

#डॉविवेकआर्य

सेक्युलर सारा दिन कहते है कि क्या सारा दिन हिन्दू मुस्लिम करते रहते हो। पर फरहान अख्तर की पिक्चर ‘तूफान’ के बारे में चर्चा करने पर उनके मुँह में दही जम जाती हैं।
धिम्मी मानसिकता का पोषण करते हुए पिक्चर में फरहान अख्तर को एक उगाही करने वाले हीरो के रूप में पेश किया गया हैं, जबकि वह दरअसल गुंडा हैं। अर्थात कोई मुस्लिम गुंडा अगर उगाही भी करे तो भी हीरो क्योंकि वह जकात (इस्लामीकरण के लिए दिया गया चन्दा) में उस लूटी गई रकम का हिस्सा देकर अपने आपको सच्चा मोमिन सिद्ध करता हैं।

-एक सड़क छाप अनपढ़ गुंडे की प्रेमिका

एक पढ़ी लिखी हिन्दू डॉक्टर दिखाई गई हैं। क्या यह संदेश देना चाहते है कि जिसके भी नाम के आगे खान लिखा हो चाहे वो अनपढ़ हो, पंक्चर लगाता हो, नाइ हो, कसाई हो पर उन पर फ़िदा एक मुर्ख पढ़ी लिखी हिन्दू लड़की ही होगी। आप प्रतिदिन अख़बार में पढ़ते है कि हिन्दू लड़की के पीछे मुस्लिम लड़का पड़ जाता है। उसके मना करने पर उस बेचारी लड़की पर धारदार हथियार लेकर हमला करता हैं। उसे यही पहले लीब्रण्डू सरफिरा आशिक कहकर सम्बोधित करते हैं। फिर उसको बचाने के लिए वकीलों की फौज लगा देते हैं। और अगर कोई हिन्दू लड़की किसी मुस्लिम लड़के के साथ भाग जाये तो उसे पूरा संरक्षण देते हैं। अब इसी को गली गली में बढ़ावा देने के लिए ऐसा नैरेटिव गढ़ा गया हैं। लव जिहाद की घटनाओं को प्रेम की परिभाषा देने का यह षड़यंत्र स्पष्ट दिख रहा हैं। इस फ़िल्म में फरहान अख्तर को उसकी प्रेमिका नाना प्रभु के पास बॉक्सिंग सिखने भेजती हैं। नाना प्रभु की पत्नी बम्ब विस्फोट में मारी जाती है और वो बम्ब विस्फोट करने वाले शांतिप्रिय समुदाय से नफरत करता हैं।
हाल ही में वसिम रिजवी ने क़ुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले भी कोलकता क़ुरान पेटिशन दायर हो चूका हैं। क़ुरान में स्पष्ट रूप से गैर मुसलमानों के लिए हिंसक भावना को बढ़ाने वाली बात की गई हैं। उससे प्रेरणा लेकर बम विस्फोट करने वालों के बयान और कारनामें बंगलादेश से लेकर इराक, अफ्रीका तक जगजाहिर हैं। ऐसे में जिसके परिवार का कोई सदस्य मारा गया हो वो किसी से कभी कोई शिकायत भी न करे। लादेन के लिए नमाज ए जनाजा पढ़ने वालों को कभी कसूरवार न माने जाये। कश्मीर से पंडितों को भागने वालों और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार करने वालों को कभी गलत न माने जाये । ईद पर जबरन हिन्दुओं की आराध्य गौ माता को मजहब के नाम पर काटने वालों को कभी कसूरवार न समझे जाये। हमारे देश का पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच हो तो पाकिस्तान की जीत पर खुशियां बनाने वाले कभी गलत न समझे जाये। यह छदम नैरेटिव सेट करने की असफल कोशिश इस पिक्चर में की गई हैं।

पर हिन्दू समाज अब इतना नासमझ नहीं रहा हैं। यह जो तमाशा बना रखा है सोशल मीडिया के कारण अब यह छुपा नहीं हैं।

-विद्रोही हिन्दू लड़की।

अपनी पत्नी की शांति दूतों द्वारा किये गए बम विस्फोट में मरने के बाद अपनी पढ़ी लिखी हिन्दू लड़की का लव जिहाद देखकर हिन्दू बाप अपनी लड़की को रोकता है तो बाप जिसने उसे बचपन से पाला था को छोड़कर अपने अनपढ़ गुंडे मुस्लिम प्रेमी के पास चली जाती हैं। फेमिनिज्म के नाम लेकर हिन्दुओं की लड़कियों को यही सिखाया जा रहा हैं। अनुभवी बाप तो कोई अच्छा दूल्हा ढूंढ़ने में अक्षम है। जवानी की दहलीज पर बॉलीवुड की फिल्में देखकर वासना से वशीभूत होकर मॉडर्न हिन्दू लड़की अपने बाप से ज्यादा समझदार हैं। जो कभी अपने पति का चुनाव करने में कोई गलती नहीं करती। अगर इतनी ही अनुभवी होती तो शादी के बाद बोरों में उनकी लाश क्यों मिलती हैं। अपने ससुर और देवर और पति के दोस्तों के साथ हलाला करने की सजा क्यों मिलती हैं। इतना ही प्रेम था तो दूसरी औरत को उसका पति कुछ दिन बाद क्यों ले आता हैं अथवा उसे देह का धंधा करने पर मजबूर क्यों करता हैं। इसका उत्तर कोई फेमिनिज्म का वकील नहीं देगा। पर आपको सोचना होगा। क्योंकि आपके घर में, आपके आस पास, आपके रिश्ते में, आपके पड़ोस में, आपके समाज में ध्यान दे तो यही हो रहा हैं।

ध्यान दीजिये अब तो रिवर्स लव जिहाद भी चल पड़ा हैं। जिसमें मुस्लिम लड़कियां सुन्दर हिन्दू लड़कों को फंसाकर उन्हें इस्लाम कबूल करवाकर उनसे निकाह करने पर मजबूर कर रही हैं। पर हिन्दुओं को क्या। उनके काम धंधे बढ़िया चल रहे हैं। एक बच्चा पैदा करते हैं जिसे डॉक्टर, इंजीनियर, कम्पनी में टाई लगाकर जॉब करने वाला बनाना हैं। माल में शॉपिंग, पहाड़ों में सैर सपाटा, वीकेंड पर होटल रेस्टोरेंट में खाना और व्हाट्सप्प पर स्टेटस अपडेट करने तक उसकी जिंदगी पूरी हो गई हैं।

पर यह कम्फ़र्टेबल जोन कब तक रहेगा? यह आपको सोचना हैं। आप युद्ध क्षेत्र में है पर आपको पता ही नहीं हैं। श……. शोर मत मचाये हिन्दू 1200 साल से सो रहा है।

 

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