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फर्जी सेकुलरिज्म : तेनालीराम की असलियत छुपाई

हमने बचपन में अकबर-बीरबल की कई कहानियाँ सूनी-पढी हैं, इन कहानियों में बताया जाता था कि किस प्रकार बीरबल नामक चतुर मंत्री अपने बादशाह अकबर को अपनी चतुराई और बातों से खुश कर देता था.

परन्तु यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि वास्तव में बीरबल जैसा कोई चतुर पात्र इतिहास में था ही नहीं. अकबर के दरबार में जो नौ रत्न थे, उनमें से बीरबल एक जरूर था, परन्तु उसकी चतुराई अथवा अकबर जैसे क्रूर व्यक्ति का उस पर प्रसन्न होना इत्यादि केवल गढ़ी गई कहानियाँ हैं. और यह कहानियाँ गढ़ी हैं कांग्रेस पोषित इतिहासकारों ने…

तथ्य यह है कि अकबर-बीरबल से सम्बंधित जितनी भी कहानियाँ-किस्से और चतुराई के वर्णन जो हमें सुनाए-पढाए जाते हैं, वे वास्तव में दक्षिण भारत के विशाल साम्राज्य विजयनगरम के राजा कृष्णदेवराय तथा उनके बुद्धिमान मंत्री तेनालीराम के बीच की सत्य घटनाएँ हैं.परन्तु इन सभी घटनाओं को अकबर-बीरबल की कहानियों का स्वरूप देकर कांग्रेस ने देश के बच्चों को गुमराह किया, जानबूझकर किया ताकि उनका नकली सेकुलरिज्म मजबूत बने. आप सोचेंगे कि आखिर ऐसा क्यों किया गया??

कांग्रेस ने इतिहास-नाटक-साहित्य-फिल्म जैसे क्षेत्र शुरू से ही वामपंथियों के हवाले कर रखे हैं. नेहरू के जमाने से कांग्रेस-वामपंथ के बीच यह अलिखित समझौता रहा है कि वामपंथ इन क्षेत्रों में अपनी ब्रेनवाश तकनीक से लेखन-मंचन इत्यादि करेगा, ताकि देश के वास्तविक इतिहास और संस्कृति को पूरी पीढ़ी से छिपाया जा सके, उसे विकृत किया जा सके. चूँकि इन नकली इतिहासकारों को मुग़ल साम्राज्य के बारे में ही बच्चों को पढ़ाना था, बताना था, इसलिए कृष्णदेवराय-तेनालीराम की घटनाओं को अकबर-बीरबल नाम से रचा गया. फिर इस झूठ को लगातार बढ़ाया और फैलाया गया. क्योंकि यदि ये “दलाल इतिहासकार” तेनालीराम के बारे में बच्चों को बताते तो स्वाभाविक रूप से बच्चों में यह उत्सुकता जागती कि आखिर विजयनगरम साम्राज्य कहाँ है, कैसा था, कितना बड़ा था? तब इन वामपंथी इतिहासकारों को यह बताना पड़ता कि विजयनगरम साम्राज्य मुग़ल साम्राज्य के मुकाबले काफी बड़ा था, मुग़ल साम्राज्य से बड़ा तो मराठाओं का साम्राज्य था. राजा कृष्णदेवराय एक बेहद दयालु और कुशल राजा थे, जिन्होंने कभी भी अकबर की तरह रक्तपात अथवा धोखाधड़ी नहीं की… स्वाभाविक रूप से बच्चे यह भी पूछते कि अकबर द्वारा हजारों हिन्दुओं का जो कत्लेआम किया गया, वह क्यों किया गया? दक्षिण में हम्पी के प्रसिद्ध मंदिर किसने तोड़े? हिन्दू धर्म और भारत की महान संस्कृति उन बच्चों के सामने दोबारा जागृत हो जाती. ये सारा सच्चा इतिहास छिपाने के लिए और मुगलों (अर्थात वामपंथियों की पहली और आख़िरी पसंद) को महान बताने तथा अकबर का चित्रण एक दयालु बादशाह के रूप में करने के लिए ही तेनालीराम के किस्से चुराए गए और उन्हें बीरबल-अकबर की कहानी बताया गया. अन्यथा “शान्ति का कथित धर्म” और कांग्रेस-वामपंथ का तथाकथित सेकुलरिज्म दोनों एक साथ नंगे हो जाते. इतने वर्षों बाद आज भी स्थिति बदली नहीं है… आज भी आतंकी बुरहान वाणी को “भटका हुआ नौजवान” अथवा राष्ट्रपति से दया की भीख माँगने वाले डरपोक अफज़ल गुरू को “स्वतंत्रता संग्राम सेनानी” तक बताया जाता है… याकूब जैसे दुर्दांत अपराधी को बचाने के लिए रात बारह बजे कोर्ट खुलवाई जाती है.

हालाँकि दक्षिण भारत ने अपनी परम्पराओं और लोककथाओं को काफी बचाकर रखा है, परन्तु उत्तर भारत में “सेकुलरिज्म” और वामपंथ ने इस देश का बहुत नुकसान किया है, जिसकी भरपाई करने में काफी समय लगेगा… भारतीय संस्कृति और इतिहास का पुनर्जागरण बहुत आवश्यक है…

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