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महान देशभक्त विकास जूड की रिहाई के लिए के लिए आगे आइए : लिया था खालिस्तानियों से लोहा, ऑस्ट्रेलिया में देशभक्ति की जगाई थी अलख

 


आचार्य श्री विष्णुगुप्त


आप लोगों ने विकास जुड़ का नाम भी नहीं सुना होगा, उसकी देशभक्ति की कहानी और देशभक्ति की लड़ाई भी नहीं सुनी होगी, उसकी देशद्रोहियों के प्रति वीरता भी नहीं सुनी होगी, यह सब सुनते जानते भी कैसे? उसकी कहानी तो भारतीय मीडिया में प्रकाशित हुई ही नहीं , क्योंकि वह देशभक्ति के लिए लड़ा था, तो भारत के विखंडन के खिलाफ वह संघर्ष किया था और देशद्रोहियों को सरेआम ललकारा था तथा ऑस्ट्रेलिया को दिखाया था कि तिरंगा के स्थान पर हम मर मिटने वाले हैं।
…… विकास जुड़ की वीरता की कहानी ऑस्ट्रेलिया में शुरू होती है, जब वह खालिस्तानियों को सरेआम सरेआम ललकारा था, आईना दिखाता है और कहता है कि विदेशों में भारत विखंडन की नींव रखने वाले लोगों को जोरदार जवाब मिलेगा। खालिस्तानी आतंकवादियों का समूह, ऑस्ट्रेलिया में भारत के खिलाफ और भारत विखंडन की गतिशीलता को लिए हुए एक प्रदर्शन आयोजित किया था। आस्ट्रेलिया की सड़कों पर खालिस्तानी आतंकवादियों और मुस्लिम जिहादियों की एक बड़ी रैली निकली थी । ये सभी भारत विरोधी नारे लगा रहे थे, भारत विखंडन की वकालत कर रहे थे ,विकास जुड़ को यह सब देखा नहीं गया वह देखता भी क्यों , उसके अंदर तो देश भक्ति की ज्वाला धधक रही थी, वह तुरंत तिरंगे झंडे का इंतजाम करता है और तिरंगे झंडे को लेकर ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर उतर कर खालिस्तानियों का मुकाबला करता है , वह तिरंगा झंडा फहरा कर, लहराकर भारत की शान को बढ़ाता है।
खालिस्तानी और मुस्लिम जिहादियों को यह कैसे बर्दाश्त हो सकता था कि एक छोटा सा युवक उसे चुनौती दे और तिरंगे की शान बढ़ाएं ।गहरी साजिश होती है ,झूठे आरोप लगाए जाते हैं और इसके बाद विकास जुड़ को जेल में डलवा दिया जाता है, आज वह आस्ट्रेलिया की जेलों में कैद कैद है।
विकास जुड़ कौन है उसके परिवार का इतिहास क्या है , देशद्रोहियों और जिहादी संस्कृति से लड़ने का उसके पूर्वजों का इतिहास क्या है? यह भी जानना जरूरी है विकास जुड़ मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला है, विकास जुड़ मूल रूप से मराठा है। पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठों की पराजय हुई थी। मराठों के पराजय के बाद उनका कत्लेआम हुआ था। बहुत सारे मराठे वापस महाराष्ट्र लौट गए थे पर कुछ मराठे हरियाणा में रह गए थे। विकास जुड़ का परिवार भी हरियाणा में रह गया था। आज हरियाणा में मराठों की संख्या भी कम नहीं है। विकास जुड़ पढ़ाई करने के लिए हरियाणा से ऑस्ट्रेलिया गया था। कहने का तात्पर्य है विकास जुड़ के अंदर में देशभक्ति के पक्ष में और देशद्रोहियों से लड़ने की शक्ति विरासत में मिली हुई है।
विकास जुड़ की रिहाई के लिए पूरे दुनिया में अभियान चलने की जरूरत थी , जहां-जहां भी हिंदू देशभक्त रहते हैं वहां वहां विकास जूड़ की रिहाई के लिए अभियान ,आंदोलन, प्रदर्शन होने चाहिए थे ,लेकिन ना तो आस्ट्रेलिया और ना ही भारत में कोई आंदोलन, कोई अभियान , कोई प्रदर्शन हुए। भारत में जो विरोध नहीं हुआ उसके पीछे कारण यह है कि लोगों के बीच में विकास जूड़ की देशभक्ति वीरता की कहानी प्रचारित नहीं हो सकी, सोशल मीडिया में भी विकास जूड़ की वीरता की कहानी प्रचारित नहीं हो सकी।
आइए हम सब मिलकर विकास जून की ऑस्ट्रेलिया की जेल से रिहाई के लिए अभियान चलाते हैं और भारत सरकार पर भी दबाव डालते हैं। आप सभी अपने-अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर विकास जूड़ की रिहाई के लिए सक्रियता सुनिश्चित करें और विकास जूड़ की वीरता के प्रति अपना फर्ज भी निभाएं।


आचार्य श्री विष्णुगुप्त


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