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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

भारत के महान ऋषियों के महान आविष्कार

हमारे प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों और ऋषि-मुनियों ने कुछ ऐसे आविष्कार किए हैं जिनके बल पर आज के आधुनिक विज्ञान और यहाँ तक की दुनिया का चेहरा भी बदल गया है। जरा सोचिए शून्य (0) नहीं होता तो क्या हम गणित की कल्पना कर सकते थे? दशमलव नहीं होता तो क्या होता?

इसी तरह भारत ने कई आविष्कार और सिद्धांतों की रचना की. भारत के बगैर ना तो धर्म की कल्पना की जा सकती है और ना ही विज्ञान की।

१. बिजली का आविष्कार

Electricity in ancient India
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥ 

ये है अगस्त संहिता और इसका मतलब है – एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्रपटीका (यानी कॉपर शीट) डालें और शिखिग्रीवा (यानी कॉपर सल्फेट) डालें। फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (यानी वेट सॉ डस्ट) लगाएं। ऊपर पारा (यानी मरकरी) और दस्त लॉस्ट (यानी जिंक) डालें। फिर तारों को मिलाएं तो उससे मित्रावरुणशक्ति (यानी इलेक्ट्रिसिटी) का उदय होगा।

महर्षि अगस्त एक वैदिक ऋषि थे। ये राजा दशरथ के राजगुरु थे। महर्षि अगस्त्य की गणना सप्त ऋर्षियों में की जाती है। इन्होने अगस्त्यसंहिता नामक ग्रंथ की रचना की। हैरानी की बात है कि इस ग्रंथ में बिजली बनाने की विधि बताई गई है, जो उस समय में किसी अजूबे से कम नहीं थी।

२. अस्त्र शस्त्र का आविष्कार

यहाँ पर हम कोई धनुष, भाला या तलवार की बात नहीं कर रहे हैं। इसका आविष्कार तो भारत में हुआ ही है लेकिन हम अग्नेय अस्त्रों की बात कर रहे हैं। अग्नियास्त्र, वरूणास्त्र, पशुपतास्त्र, सर्पास्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि अनेक ऐसे अस्त्र हैं जिनका आधुनिक रूप बंदूक, मशीन गन, तोप, मिसाइल, विषैली गैस तथा परमाणु वस्त्र हैं।

वेदों और पुराणों में निम्न अस्त्रों का वर्णन मिलता है –

इंद्रास्त्र पाशुपतास्त्र ब्रह्मास्त्र पर्वतास्त्र
वरूणास्त्र मोहिनी अस्त्र वैष्णवास्त्र अग्नियास्त्र
नारायणास्त्र नागास्त्र वज्रास्त्र आदि…

महाभारत के महायुद्ध में कई ऐसे प्रलयकारी अस्त्रों का इस्तेमाल हुआ है। उन्हीं में से एक अस्त्र था ब्रह्मास्त्र। आधुनिक काल में परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) की संहार क्षमता पर काफी शोध कार्य किया और अपने इस मिशन को नाम दिया त्रिदेव (ट्रिनिटी)। इस मिशन के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई, 1945 को इसका पहला परमाणु परीक्षण किया गया।

परमाणु सिद्धांत और अस्त्र का जनक जॉन डाल्टन को माना जाता है। लेकिन उनसे भी पहले लगभग ढाई हजार (२५००) वर्ष पूर्व ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे गये सूत्रों पर आधारित परमाणु सिद्धांत का अनुवाद किया था। भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक माना जाता है। आचार्य कणाद ने यह भी बताया था कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।

३. आयुर्वेद का आविष्कार

दुनिया को दवाओं की पहली समझ भारतीयों ने हिंदी 300 से 200 ईसा पूर्व को साम्राज्य के राजवैद्य चरक ने दी। उन्होंने अपने ग्रंथ चरक संहिता में एक से एक प्राकृतिक दवाओं का जिक्र किया है। इसके अलावा सोना-चांदी वगैरह को पिघलाकर उसके भस्म का प्रयोग भी सबसे पहले वैद्य चरक ने ही बताया था।

उस दौर में मौजूद ऐसी कोई बीमारी नहीं थी जिसका तोड़ वैद्य चरक के पास नहीं था। उन्हें अपने इसी योगदान के कारण भारतीय चिकित्सा और दवाओं का पिता कहा जाता है।

४. शून्य (0) और दशमलव का आविष्कार

महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट जी ने शून्य (0) और दशमलव (.) की खोज की थी। यूरोपीय देशों को अंक प्रणाली का ज्ञान अरब देश से प्राप्त हुआ था जबकि अरब देश को यह ज्ञान भारत देश से मिला था।

जरा सोचिए शून्य (0) नहीं होता तो क्या आज हम गणित की कल्पना भी कर सकते थे? डेसिमल या दशमलव नहीं होता तो क्या होता? भारत का 0 अरब में सिफ़र यानी खाली नाम से जाना गया। लैटिन, इटालियन, फ्रेंच से होते हुए अंग्रेजी में यह ज़ीरो (zero) कहलाया।

५. पहिए का आविष्कार

आज से 5000 और उससे भी कई वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ था जिसमें रथों के उपयोग का उल्लेख मिलता है। आप जरा सोचिए अगर पहिए नहीं होते तो क्या रथ चल पाते? इससे सिद्ध होता है कि पहिए 5000 वर्ष पूर्व थे। मानव विज्ञान के इतिहास में पहिए का आविष्कार एक बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। साइकल और फिर कार तक का सफर पहिए के आविष्कार के बाद ही संभव हो सका है। इससे मानव जीवन को गति मिली। गति से ही जीवन में परिवर्तन आया।

हमारे पश्चिमी विद्वान पहिए के आविष्कार का श्रेय इराक को देते हैं जहां पर रेतीले मैदान हैं। जबकि इराक देश के लोग 19 वीं सदी तक रेगिस्तान में ऊंटों की सवारी ही करते रहे। हालांकि महाभारत और रामायण काल के पहले से ही पहिए का यह चमत्कारी आविष्कार भारत में हो चुका था और रथों में पहियों का प्रयोग किया जाता था।

दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी (Indus Valley Civilization) के अवशेषों से प्राप्त 3000 से 1500 वर्ष पूर्व की बनी यह खिलौना हाथ गाड़ी आज भी भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रमाण के रूप में रखी हुई है। और यह हाथ गाड़ी साबित करती है कि संसार में पहिए का आविष्कार इराक में नहीं बल्कि भारत में हुआ था।

६. विमान का आविष्कार

Vymanika Shashtra

हमें इतिहास की पुस्तकों मे पढ़ाया जाता है कि विमान का आविष्कार Wright Brothers (यानी राइट बंधुओं) ने किया। लेकिन यह गलत है। हां, यह ठीक है कि आज के आधुनिक विमान की शुरुआत राइट ब्रदर्स ने 1903 में की थी। लेकिन उनसे हजारों साल पहले ऋषि भारद्वाज ने विमान शास्त्र (Vymaanika Shaastra) लिखा था जिसमें हवाई जहाज बनाने की तकनीकों का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखे गये वैमानिक शास्त्र (Vymaanika Shaastra) में एक उड़ने वाले यंत्र यानी विमान के कई प्रकारों का उल्लेख किया गया था तथा हवाई युद्ध के कई नियम व प्रकार भी वर्णित थे।

  1. गोधा – यह ऐसा विमान था जो अदृश्य हो सकता था।
  2. परोक्ष – यह दुश्मन के विमान को पंगु कर सकता था।
  3. प्रलय – एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था जिससे विमान चालक (जैसा नाम से पता चलता है) भयंकर तबाही मचा सकता था।
  4. जलध रूप – यह एक ऐसा विमान था जो बादल के जैसे दिखता था।

स्कन्द पुराण के अध्याय 23 में उल्लेख मिलता है कि ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी जिसके द्वारा वह कहीं भी आ जा सकते थे। रामायण में भी पुष्पक विमान का वर्णन मिलता है जिसमें लंकापति रावण माता सीता को हर के ले गया था।

दोस्तों भारत के इन सभी आविष्कारों में आपको कौन सा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

‘जोश’ से साभार

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