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कविता

क्या वह मनुष्य था ?

क्या वह मनुष्य था ?

मनुष्य की शक्ल में खड़ा
सभी मनुष्य नहीं होते
मनुष्यता देवत्व का आकार
सत्य, सेवा ,सद्विचार, पहचान।

जिसने माता-पिता की हत्या की
जिसने बच्चे ,बूढ़े ,संतों की
देशभक्तों की सैनिक पुत्रों की
मात्र चंद धन प्राप्त करने हेतु।

देश बेचते हैं शत्रुओं के हाथ
राष्ट्र को हानि पहुंचाने रचते जाल
भविष्य में आनेवाली संतानों की
जिन्हें नहीं है थोड़ा भी ध्यान।

ऐसे लोग मनुष्य की शक्ल में
पशु से भी बदतर होते हैं
समाज को इन्हें पहचानना
चाहिए
यह बादी नही ,अपवादी लोग हैं।

हरि बल्लभ सिंह ‘आरसी’

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