Categories
राजनीति

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले जारी

राकेश कुमार आर्य
पड़ोसी देश बांग्लादेश 1971 के भारत-पाक युद्घ के पश्चात भारत की सहायता से एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया था। तब इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की कूटनीति और युद्घनीति की एक बहुत बड़ी मिसाल के रूप में महिमामंडित किया गया था। 1971 में बने बांग्लादेश में तब 28 प्रतिशत हिंदू थे और बांग्लादेश ने एक धर्मनिरपेक्ष और अल्पसंख्यक हितैषी राष्ट्र के रूप में आगे बढऩे का आश्वासन भारत सहित पूरी विश्व बिरादरी को दिया था। परंतु मजहबी कट्टरता ने इस देश को तेजी से अपनी गिरफ्त में लेना आरंभ किया और जब बांग्लादेश ने अपनी स्थापना के 40 वर्ष पूर्ण किये तो 2011 में हिंदू 28 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत ही रह गये। बीस प्रतिशत हिंदुओं को इस्लामिक कट्टरता लील गयी।
बांग्लादेश में मुस्लिम मदरसों का प्रचलन तेजी से बढ़ा और छोटे से इस देश में ही 2011 तक लगभग एक लाख मदरसे स्थापित हो गये। भारत में मदरसों की संख्या 5 लाख हो गयी है। भारत में 18 करोड़ की मुस्लिम जनसंख्या में से हर 360 व्यक्तियों के पीछे एक मदरसा खड़ा है। फिर भी मुस्लिम समाज को शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा कहा जाता है तो उसका कारण मुस्लिम समाज को आधुनिक शिक्षा से वंचित रखकर मुल्ला मौलवियों द्वारा उस पर अपना मजहबी शिकंजा कसे रखने की चाल है। अधिकतर मुस्लिम मां-बाप अपने बच्चों को मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने इसलिए भेजते हैं कि उनके बच्चों का जीवन स्तर ऊंचा हो, परंतु ये बच्चे मुल्ला मौलवियों की गिरफ्त में आकर कट्टर बन जाते हैं। जिससे एक अच्छा और सुखदायी राष्ट्रीय समाज बनाने में कठिनाई आती है। बांग्लादेश में भी यही हो रहा है, वहां कई बार शासकों ने प्रयास किया है कि धर्मनिरपेक्षता के प्रति बांग्लादेश की वचनबद्घता अटल रहे, परंतु कठमुल्लावाद के हावी होने के कारण ऐसा संभव नही हो पाया है। अब भी वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना और वहां के अल्पसंख्यक आयोग ने हिंदू समुदाय के साथ धार्मिक पक्षपात न करने के लिए लोगों को आगाह किया था, परंतु इसका कोई सकारात्मक प्रभाव या परिणाम नही आया। खबरें आ रही हैं कि बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ हिंसक हमले पूर्ववत ही जारी हैं। बांग्लादेश के 32 जिलों में हिंदुओं के 485 घरों और 578 दुकानों या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ हिंदू मंदिरों में भी तोड़ फोड़ की गयी है।
इस मजहबी शिक्षा से मुस्लिम समाज का भी अहित हो रहा है। जो लड़के मदरसों में मजहबी शिक्षा ग्रहण करते हैं वो किसी प्रकार की नौकरी के योग्य नही होते, इसलिए कई बार जानबूझकर तो कई बार अज्ञानताजनित मजबूरी में उन्हें हिंसक वारदातें करनी पड़ती हैं जिनसे उनका भविष्य ही बर्बाद हो जाता है। इसके लिए मुस्लिम समाज में पनपा आधुनिक शिक्षा प्राप्त एक वर्ग खासा चिंतित है, जो मजहबी तालीम को एक सीमा तक ही उचित मानता है, परंतु तरक्की के लिए वह आधुनिक शिक्षा को ग्रहण करना ही श्रेयस्कर मानता है। परंतु कठमुल्लावाद के शिकंजे में कसे मुस्लिम समाज में इन लोगों की संख्या अभी नगण्य है।
भारत सरकार नजरिया सारे घटनाक्रम को जानकर भी अनजान बने रहने का है वोटों की राजनीति आड़े आ जाती है। यदि देश की सरकार अपने पंगु धर्मनिरपेक्ष चेहरे को बदलने का प्रयास करे तो पड़ोसी देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति में भारी सुधार किया जा सकता है और देश के शिक्षित मुस्लिम bangladeshhinduattacked_650_010714012109युवकों को यही दिशा देकर देश का सामाजिक राष्ट्रीय परिवेश भी शुद्घ किया जा सकता है।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version