Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-22/01/2014

सज्जनों को हमेशा मिलता है

ईश्वरीय शक्तियों का संरक्षण

– डॉ. दीपक आचार्य

9413306077

dr.deepakaacharya@gmail.com

दुनिया भर में इंसानों की तमाम प्रकार की प्रजातियों के बीच सज्जनों का वजूद भी हमेशा रहा है। वर्तमान कलियुग में भी सज्जनों को भले ही हाशिये पर समझा जाता हो, प्रचार से दूर हों, मगर सज्जनों का अस्तित्व हर क्षेत्र में न्यूनाधिक मौजूद है। सज्जनों को हमेशा किसी न किसी से कोई न कोई काल्पनिक खतरा हमेशा बना रहता है।

इनका मानना होता है कि आजकल दुर्जनों की पूछ हो रही है और दुर्जनों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वे कान के कच्चे और दिमाग के खोखले होते हैं और इन्हें चलाने, दौड़ाने, सुलाने और नचाने वाले कोई और ही हुआ करते हैं जो इनसे भी अधिक दुर्जन और शातिर होते हैं। इसलिए अधिकांश दुर्जनों के बारे में यह धारणा बनी हुई रहती है कि ये दूसरों के कहने में चलते हैं और इनके खुद के पास अपनी शक्तियों के मनमाने दुरुपयोग से ज्यादा सोच नहीं हुआ करती है।

नेकी, ईमानदारी और कत्र्तव्यपरायणता से जीने वाले, अपने कर्मयोग के प्रति वफादार और गंभीर लोगों को हमेशा इस बात का मलाल रहता है कि चोर-उचक्के, भ्रष्ट-बेईमान और नाकारा लोग हमेशा मौज मारते हैं और इन्हें पूछने वाला, इन पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं होता। जबकि अच्छे लोगों को पग-पग पर लोगों की सुननी पड़ती है, परेशान होना पड़ता है और कई प्रकार की मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं।

आम तौर पर सज्जनों को इस बात की स्वाभाविक पीड़ा होती है कि बदमाशों की कारगुजारियां बढ़ती चली जाती हैं और ऊपर के लोग भी इन बदमाशों की चापलुसी, स्वार्थपरक धंधों और जायज-नाजायज सेवा से प्रसन्न होकर अभयदान दे डालते हैं और ये लोग डंके की चोट कहते सुने जाते हैं कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

दूसरी ओर सज्जनों की हालत ये होती है कि इनसे भरपूर काम भी लिया जाता है, समय-असमय कुछ नहीं देखा जाता, और तिस पर भी दुर्जनों की डाँट-फटकार। इस स्थिति में अक्सर सज्जन लोग विचलित हुआ करते हैं और कई-कई बार तनाव झेलने को विवश होते हैं। आजकल सज्जन और ईमानदार लोगों, काम करने वालों की स्थिति सभी जगह ऎसी ही है।

इन दुविधापूर्ण स्थितियों का दूसरा शुभ्र पक्ष सज्जनों के हित में है। जो लोग ईमानदारी से अपने धर्म-कर्म और फर्ज निभाते हैं, उन्हें भले ही दो हाथ वाले पॉवरफुल समझे जाने वाले हजारों-लाखों लोगों से प्रताड़ना क्यों न मिलती रहे, इनके काम को सराहना भले न मिले, परेशानियां और ताने क्यों न सुनने पड़ें, इनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं हो सकता। ये सब सिर्फ आभासी ही हुआ करते हैं। इसके लिए इनके प्रति बेपरवाह रहना चाहिए।

सज्जनों को उन लोगों से दुःखी होने की कोई जरूरत नहीं है जो खुद अमानवीय, नापाक, भ्रष्ट और बेईमान हैं। सिर्फ उन्हीं लोगों की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए जिनके आचरण ठीक हों, शेष को तो पशुओं से भी गया-बीता मानकर उपेक्षित कर दिया जाना चाहिए, चाहे वे कितने ही पॉवरफुल क्यों न हों।

भगवान हमेशा अच्छे लोगों और अच्छाइयों के साथ रहता है, इन्हें संरक्षित-सुरक्षित और प्रोत्साहित करता है। ईश्वरीय शक्तियां अच्छे लोगों के आभामण्डल के साथ ही हमेशा बनी रहती हैं और उन्हें संबल देती रहती हैं। दुनिया में जो भी लोग श्रेष्ठ कार्य करते हैं, धर्म, न्याय और नीति के मार्ग पर चलकर अपने फर्ज अदा करते हैं उन सभी लोगों को एक विराट अदृश्य शक्ति संरक्षित करती है।

एक सामान्य सज्जन व्यक्ति को इसका आभास तक नहीं हो सकता लेकिन ईश्वर पर अगाध और अनन्य आस्था व श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति इस सत्य को अच्छी तरह जान सकता है। यह ईश्वरीय शक्ति उन सभी लोगों से रक्षा करती है जो हमारे बारे में बुरा सोचते, कहते, लिखते और चिंतन करते हैं, जो हमारे खिलाफ षड़यंत्र करते हैं, नकारात्मक मानसिकता से भरे-पूरे होकर आसुरी स्वभाव बना चुके हैं तथा हर किसी का बुरा करने में दिन-रात लगे रहते हैं।

दुनिया की कोई सी शक्तिशाली हस्ती हो, इस ईश्वरीय ताकत के आगे उसका कोई बस नहीं चलता। जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें अपने कामों को जारी रखना चाहिए। फर्ज निभाने का काम पूरी ईमानदारी से होना चाहिए और यह बिना किसी भय के हो। धर्म और सत्य की हमेशा विजय होती है, ये कभी परास्त नहीं हो सकते। फिर असुरों का काम उपद्रव करना ही है और दैवीय गुणों से सम्पन्न लोगों का काम है दैवत्व और दिव्यत्व की स्थापना में अहर्निश लगे रहना।

—000—

Comment:Cancel reply

Exit mobile version