जब सरदार पटेल ने दबा दिया था पंजाब का वह बवाल

पंजाब में यह पहला बवाल नही है।देश आजाद होने केतुरन्त बाद भी यह हुआ था।सरदार पटेल जैसे दूरदर्शी ने इसे दबा दिया।तब यें अलग खालिस्तान का सपना पूरा नही टर सके।धीरे धीरे लक्ष्य की ओर बढे।हिन्दी समाप्त की।आर्यसममाज ने स्वामी आत्मानन्द जी और ओमानन्द जी के नेतृत्व में संघर्ष किया।लोगों ने बलिदान दिया।

आन्दोलन कुछ सबल रहा लक्ष्य से नही डिगे।अन्त में कश्मीर वाली स्थिति हो गयी,अत्याचार, पक्षपात, फिर आन्दोलन संघर्ष आखिर हरियाणा का निर्माण हुआ और आधे लोग चंगुल से छूटे, लक्ष्य की ओर फिर भी बढते रहे।एक समय आया दाढी मूछ,केश नही तो विना बताए गोली।हजारोंलोग मरे।जिसने केश रहितों का पक्ष लिया उन्हें भी गोली।लाला जगत्नारायण,रमेश,लोंगेवाला देशभक्त जैसे पत्रकार नेता ,और हजारों सामान्य जनता मारी गयी।बेअन्त सिंह जैसे निर्भीक प्रतिभाशाली लोगों ने अपना बलिदान दिया।पंजाब कुछ पटरी पर लौटा।परन्तु ६२प्रतिशत का प्रभाव देखिए कि मानो आधी जनता(८४८%)कुछ है ही नही सरकारी नौकरियों उच्च पदों राजनीति में उनका भाग कितने प्रतिशत है? उन्हें अवसर की खोज रहती है,आज फिर अवसर मिला है खालिसतानियों को।आज दृश्य दूसरा है।विदेशी सहायता भी है।शाहीन बाग भी साथ है।वामपन्थी का तो लक्ष्य ही है देशको खण्डित करना उनका भरपूर साथ है।कांग्रेस छटापटा रही है किसी को जेल का भय है ,घोटाले सामने आ रहे हैं सब मीले हुए हैं लक्ष्य मोदी को हटाना है।देश बचे या जाये मोदी नहि रहना चाहिए।चीन का सहयोग, पाकिस्तान का जहां से भी सहयोग हो सके लो।मुद्दा बडा सुन्दर हाथ लगा है किसान ???उधर दो दो बार जमानतजब्तियों को भी खणस निकिलने का अवसर दिख रहा है कुछ तो हाथ लगेगा ही।।जबकि सगा भाई भी सिथ नहि है।

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