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आतंकियों को अपने यहाँ शरण देना और चीन का पिछलग्गू बनना पाकिस्तान को पड़ सकता है भारी

 

पाकिस्तान जैसा शातिर देश सारे संसार में नहीं है यह अपनी चालों से सारे संसार का मूर्ख बनाने का प्रयास करता रहा है । कुछ समय के लिए इसने अमेरिका , ब्रिटेन और चीन जैसी बड़ी शक्तियों को मूर्ख बनाकर भारत के विरुद्ध प्रयोग करने में सफलता भी प्राप्त की थी । परंतु अब परिस्थितियां बदल रही हैं और लग रहा है कि पाकिस्तान को अब अपने किए का परिणाम भुगतना ही पड़ेगा । पाकिस्तान के विरुद्ध अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन सांसद एंडी बिग्स ने विधेयक पेश किया है। जिसमें पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं । पाकिस्तान के विरुद्ध अमेरिका के नए प्रशासन ने भी अपेक्षा के विपरीत जाकर भौंहें तान ली हैं।


अमेरिका के प्रशासन ने अब यह समझ लिया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को खुला संरक्षण देने वाला देश रहा है । जिसके चलते विश्व शांति की परिकल्पना तक नहीं की जा सकती । क्योंकि खून, हिंसा , अत्याचार और आतंकवाद पाकिस्तान निर्यातित ऐसी जहरीली फसल है जो संसार में शांति स्थापित होने ही नहीं देती है । इसलिए ऐसे देश के विरुद्ध कठोरता का प्रदर्शन न केवल अमेरिका की ओर से बल्कि सारे संसार के सभी देशों की ओर से होना चाहिए । अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान से इसलिए भी नाराज है कि वह चीन के साथ लगकर अमेरिकी हितों को चोट पहुंचाने का काम करता रहा है । अमेरिका चीन को इस समय अपना शत्रु नंबर 01 मानता है । जिसका साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान देता रहा है। पाकिस्तान की यह हरकत अमेरिकी नेतृत्व प्रशासन को पसंद नहीं है । इससे ऐसी संभावनाएं बनती जा रही हैं कि अमेरिका पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उससे गैर नाटो सहयोगी देश का दर्जा छीनने की सोच सकता है।
अमेरिकी संसद के 117वें सत्र के पहले दिन एक सांसद ने इससे संबंधित एक विधेयक प्रतिनिधि सभा में पेश करके अमेरिका की पाकिस्तान को लेकर भविष्य की राजनीति के संकेत दे दिए हैं। जिसे पाकिस्तान के शासकों को समय रहते समझना चाहिए और विश्व शांति में बार-बार बाधक बनने की अपनी प्रवृत्ति से स्वयं को दूर रखना चाहिए । क्योंकि विश्व शांति के प्रति प्रतिबद्धता जैसी संसार के अन्य देशों की है वैसी ही पाकिस्तान की भी है । विश्व समुदाय के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह पाकिस्तान को बारूद की खेती करने की अनुमति न दे और यदि वह इसके उपरांत भी इस खेती को जारी रखता है तो उसकी खेती सहित उसका स्वयं का भी विनाश कर दिया जाए।
यहाँ पर यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि वर्ष 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी देश के तौर पर पाकिस्तान को नामित किया गया था। इस समय 17 देश अमेरिका के प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी हैं। पाकिस्तान 2004 से ही इस सुविधा का लाभ लेता आ रहा है और साथ ही वह अपने आप को कुछ अधिक शक्तिशाली समझने लगा है, जिस कारण वह आतंकवाद को निरंतर प्रोत्साहित करता रहा है। वास्तव में पाकिस्तान ने चीन के साथ अपनी निकटता बढ़ाकर अमेरिका को यह आभास देने का प्रयास किया कि वह अपनी सीमा में रहे क्योंकि उसकी दोस्ती इस समय चीन के साथ भी है। ऐसे में अमेरिका के लिए भी यह आवश्यक हो गया कि वह पाकिस्तान को ही उसकी औकात बता दे।
रिपब्लिकन सांसद एंडी बिग्स ने जो विधेयक पेश किया है, उसमें पाकिस्तान का प्रमुख गैर नाटो सहयोगी देश का दर्जा समाप्त करने की बात की गई है। इस दर्जे के चलते पाकिस्तान को अमेरिका की अधिक रक्षा आपूर्तियों तक पहुंच और सहयोगात्मक रक्षा अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में भागीदारी जैसे विभिन्न लाभ मिलते हैं। विधेयक में यह भी कहा गया कि अमेरिका का राष्ट्रपति पाकिस्तान को प्रमुख नाटो सहयोगी का तब तक दर्जा नहीं दे सकता है, जब तक राष्ट्रपति कार्यालय यह प्रमाणित नहीं करता है कि पाकिस्तान अपने देश में हक्कानी नेटवर्क के पनाहगाह और उनकी गतिविधियों को बाधित करने वाले सैन्य अभियान चला रहा है।
विधेयक में राष्ट्रपति से इस बात को भी प्रमाणित करने की बात है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों के खिलाफ अभियोग चलाने और उन्हें गिरफ्तार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में पाकिस्तान को मिलने वाली सभी वित्तीय एवं सुरक्षा सहायता रोक दी थी और उनके प्रशासन ने पाकिस्तान का प्रमुख गैर नाटो सहयोगी देश का दर्जा समाप्त करने पर विचार भी किया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार देश नामित किया था।
वास्तव में विश्व राजनीति में संबंध बहुत जल्दी बिगड़ते बनते रहते हैं। हर देश अपने राजनीतिक स्वार्थ के दृष्टिगत ही किसी को अपना मित्र मानता है। इस समय की वैश्विक परिस्थितियां पूर्णतया ऐसी बन चुकी हैं जिनमें अमेरिका और चीन का साथ रहना बहुत कठिन होता जा रहा है। बात स्पष्ट है कि यदि परिस्थितियों की इस नाजुक स्थिति को पाकिस्तान नहीं समझा तो अमेरिका उसके बारे में अवश्य समझ लेगा कि वह चीन के साथ लगा रहकर उसके हितों के विरुद्ध कुछ भी कर सकता है । जिसे अमेरिका होने देना नहीं चाहेगा, इसलिए अमेरिका ने यदि इस समय पाकिस्तान के लिए कुछ संकेत दिए हैं तो उन्हें पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए अन्यथा उसके लिए और भी अधिक घातक परिणाम आ सकते हैं।

 

 

 

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