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उगता भारत न्यूज़

‘योगीराज को विफल करता अधिकारी जनप्रतिनिधि गठजोड़ : नजूल निगम वन पंचायत की जमीनों पर अवैध कब्जों पर जिला प्रशासन मौन

 

ताक पर मुख्य मंत्री के आदेश
प्रदेश में “सरकारी” फरमान के बाद पूर्वांचल और मध्य यू पी में मंफियाओ की सम्पत्ति पर महाबली खूब गरज रहा है जब की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महाबली को सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधियो के गठजोड़ ने नक्कार बना दिया है।
मेरठ मंडल मुख्यालय के जिला मेरठ को ही यदि एक उधारण के रूप में ले तो यहाँ आधा दर्जन भाजपा पार्टी के विधायक और तीन तीन सांसदों के होते हुए भी वर्षो से सरकारी (वन विभाग,नगर निगम, ज़िला पंचायत आदि)भूमी सहित शमशान कब्रिस्तान की जमीनों पर कब्जे जमाये भूमाफिया और कतिथ बिल्डरों से कब्ज़ा मुक्त कराना तो दूर उन पर लगातार चल रहे खरीद बिक्री को भी रोकने में असफल हो रहे है। अब तो आम जनता भी सरकार के जनप्रतिनिधियो और सरकारी तंत्र पर ही संदेह करने लगी है।


मेरठ शहरी क्षेत्र में मेनका सिनेमा,शोहराब गेट, हापुड़ अड्डा,शाहपीर गेट, कंकड़खेड़ा, परतापुर, गगोल, शास्त्रीनगर,गढ़ रॉड अजंता कलोनी,हापुड़ रॉड बिजली बम्बा बायपास सहित परतापुर से मोदीपुरम तक, अब्दुल्लापुर,डाबका आदि सेकड़ो स्थानों पर शिक्षण संस्थान होटल रेस्टोरेंट आवासीय कलोनी व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स आदि तक बन चुके है कुछ स्थानों पर निजी भूमी के साथ सिंचाई विभाग पी डब्लू डी की जमीनों पर भी मंफियाओ और सफ़ेद पोश लोगो ने कब्जे किये हुए है, इस की जानकारी मंडल और ज़िला स्तरीय अधिकारियो के संज्ञान में भी है साथ ही विधायको और सांसदों को भी जानकारी है परंतु अंजान कारणों से सभी ने महाबली को शो पीस और ज़ीमेदारो को खामोश किया हुआ है। बात करे देहात क्षेत्र की तो मवाना और सरधना तहसील की यदि पुख्ता तरीके से बिना किसी “दबाव” के ज़मीनों की जाँच हो जाए और पूर्व की धुल फांकती फाईलो से धुल हटा दी जाए तो अनगिनत सरकारी कर्मचारियो और जनप्रतिनिधियो की धूल उतर सकती है।

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