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विश्वकर्मा थे संसार के पहले वास्तुकार

वास्तुदेव की पत्नी अंगिरसी से विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ।
माना जाता है कपने पिता की तरह ही ऋषि विश्वकर्मा भी वास्तुकला के आचार्य माने जाते है।
अश्विनी मास की चतुर्दशी तिथि को विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार मानते है।
इसलिए कल कारखानो से लेकर कंपनियों तक मे इनकी पूजा होती है।

विश्वकर्मा जयंती भारत के कर्नाटक, असम,पश्चिम बंगाल और भी राज्यो मे बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता है।
विश्वकर्मा को देवताओं का वास्तुकार भी माना जाता है।
एक कथा यह भी प्रचलित है की सोने की लंका का निर्माण भी
भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही किया गया था जिसे दक्षिणा के रुप मे रावण ने शिव से मांग लिया था।
चार युगो मे विश्वकर्मा ने कई नगर और भवनो कि निर्माण किया।
पश्चिम बंगाल मे इस पूजा को राना पूजा के नाम से भी बडी धूमधाम से मनाते है। इस दिन पूजा से पहले सारी रात जागकर धर की महिला और पुरुष दोनो बडी श्रद्धा से तरह तरह के व्यंजन बनाते है फिर सुबह स्नान आदि कर भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा अर्चना कर भोग लगाते है आज के दिन सभी कर्मचारी अपने औजार की भी पूजा करते है मुझे ये परव विशेष रुप से बहुत पसंद है
भगवान विश्वकर्मा से मेरी प्रार्थना है आज ठीक एक माह पश्चात नौ दुर्गा आ रही है उनका भवन कल से बनने की तैयारियां शुरू हो जायेगी हे भगवन ऐसा भवन बनाना की उसकी सुंदरता रावण की लंका से भी भव्य हो
कृष्णा भिवानीवाला

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