रामायण श्री राम और पर्यावरण ,भाग – 2

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* मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के जीवन चरित्र और कार्यप्रणाली पर एक विशेष लेख माला*
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रामायणकालीन पर्यावरण वृक्ष जैव विविधता के प्रति उच्च संरक्षण आदर भाव का बहुत आदर्श गर्वीला अनुपम उदाहरण हमें वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के एक प्रसंग में मिलता है| भरत जब अपनी ननिहाल से वापस आते हैं उन्हें पता चलता है उनकी माता के कारण उनके प्राण प्रिय पूजनीय अमित तेजस्वी जेष्ठ भ्राता राम को 14 वर्ष का वनवास हो गया है| भरत अविलंब राजगुरु महर्षि वशिष्ठ व सुमंत्र आदि मंत्रियों चतुरंगनी सेना के साथ पूरे राजसी वैभव के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम से क्षमा याचना कर उन्हें मना कर अयोध्या वापस लाने के लिए निकल पड़ते हैं| गंगा को पार कर जैसे ही महाराज भारत आदि प्रयाग वन में प्रवेश करते हैं| मार्ग में महर्षि भरद्वाज का आश्रम पड़ता है| भरत अपनी सेना को आश्रम से एक कोस दूर ठहरा कर अस्त्र शस्त्र और राजसी पोशाक उतारकर केवल दो वस्त्र धारण कर कुछ मंत्रियों व महर्षि वशिष्ठ के साथ महर्षि भारद्वाज दर्शन के लिए उनके आश्रम की ओर प्रस्थान करते हैं| महर्षि भारद्वाज महर्षि वशिष्ठ जी को देखते ही तत्काल अपने आसन से उठ खड़े हुए…. महा तेजस्वी भरद्वाज ने वशिष्ठ के साथ भरत को दशरथ पुत्र भरत के रूप में जान लिया| महर्षि भारद्वाज दोनों का क्रम पूर्वक कुशल क्षेम पूछते हैं| इसके पश्चात महर्षि वशिष्ठ भरत महर्षि भरद्वाज का कुशल क्षेम पूछते हुए कहते हैं…………….|

वसिष्ठो भरतश्चैनं पप्रच्छतुरनामयम्|
शरीरेग्निषु वृक्षोंषु शिष्येषु मृगपक्षीषु||(अयोध्या कांड)

“महर्षि वशिष्ठ और भरत जी ने महर्षि भरद्वाज से उनके शरीर, यज्ञअग्नि ,शिष्य और आश्रम के वृक्ष तथा पशु पक्षियों का कुशल मंगल पूछा”

अयोध्या कांड के उपरोक्त 65वें सर्ग के श्लोक संख्या 7 से से हमें रामायण कालीन जीव जगत वृक्षों पर्यावरण के प्रति उच्च बोध चेतना का दिग्दर्शन हो जाता है| कितनी महान संस्कृति थी| प्रतापी रघुवंश जिसके अधीन पूरी पृथ्वी का शासन रहा उसका युवराज भरत महर्षि वशिष्ठ के साथ मनुष्य ही नहीं आश्रम वन्य क्षेत्र के वृक्षों पशु पक्षी का कुशल मंगल पूछ रहा है| पर्यावरण के प्रति समर्पण संरक्षण के भाव का ऐसा अनुपम क्या साधारण उदाहरण भी दुनिया की किसी अन्य सभ्यता में आज तक दिखाई नहीं देता| अब वृक्ष पशु पक्षियों की तो बात छोड़िए मनुष्य ठीक से अपने पड़ोसी बंधु बांधव की कुशल छेम नहीं पूछता| लेकिन अपवाद हर काल में होते हैं रामायण काल में एक विलासी वर्ग ऐसा भी था जो केवल वृक्षों वन वन्यजीवों को मनोरंजन का ही साधन मानता था अर्थात सैर सपाटे के लिए नेशनल पार्क का टूर वाइल्ड सफारी घूमना फिरना आजकल की बात नहीं है रामायण काल में भी ऐसा ही होता था| इसका उदाहरण हमें अयोध्या कांड की एक अन्य घटना से मिलता है| महाराज दशरथ अपने प्रिय पुत्र श्री राम के वियोग में प्राण त्याग देते हैं| राम लक्ष्मण वनवास चले गए हैं अयोध्या राजा विहीन हो जाती हैं भरत शत्रुघ्न अपनी ननिहाल में है| महा यशस्वी मार्कंडेय मुद्गल एवं कश्यप गौतम और जाबालि जैसे ऋषि मंत्री आकर सर्वश्रेष्ठ महर्षि वशिष्ठ को संबोधित कर अपना अपना अभिप्राय कहने लगे| वे कहते हैं हमारा राज्य राजा विहीन हो गया है अर्थात अराजक है ऐसे देश में अपराधियों का लुटेरों का चोर लफंगे अपराधिक तत्वों का बोलबाला हो जाता है बहुत ही सुंदर अराजक राष्ट्र का वर्णन अयोध्या कांड में मिलता है| यहां में प्रकरण से संबंधित केवल पर्यावरण महत्व के 2श्लोकों का उद्धरण आपके समक्ष पेश करूंगा….. जो इस प्रकार है|

नाराजके जनपदे कारयन्ति सभा नरा:|
उघानानि च रम्याणि हृष्टा:पुण्यगृहाणि च||

नारजके जनपदे उघानानि समागतः|
सायाहे क्रीडितु यान्ति कुमायर्यो हेमभूषिता||

समस्त ऋषि शोक मग्न विधवा तीनों रानियों से कह रहे| देवियों हमारी अयोध्या राजा विहीन हो गई है |राज सिंहासन खाली नहीं रहना चाहिए | महाराज दशरथ के स्वर्ग सिधारने से अराजक देश में शुभ कर्मों के लिए लोग सभा नहीं करते |ना रमणीक उद्यान लगाते हैं दंड के भय न होने के कारण लोग वृक्षों को काट डालते हैं और ना यज्ञशाला आदि पुण्य ग्रह स्थल बनवाते हैं|

फलस्वरूप राजा विहीन देश में मानसून वर्षा का चक्र गड़बड़ा जाता है| ऐसे राष्ट्र में कुमारिया स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत होकर क्रीड़ा करने के लिए शाम को वाटिका में नहीं जाती| अराजक राष्ट्र में विलासी लोग शीघ्र यानों पर आरूढ़ होकर अपनी स्त्रियों को साथ ले वन विहार के लिए नहीं जाते|

(अभी हाल फिलाल की अपने गृह जनपद की घटना आपको बताना चाहूंगा हमारे जनपद गौतम बुध नगर में धनोरी पक्षी विहार नम भूमि क्षेत्र है जहां वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट फोटोग्राफर देसी विदेशी प्रवासी पक्षियों को महंगे डीएसएलआर कैमरों में कैद करने के लिए आते हैं| बाइक सवार तीन लुटेरे एक Wildlife photographer का महंगा कैमरा छीन कर ले गए| नोएडा पुलिस ने 25000 का इनाम लुटेरों पर घोषित कर दिया है अभी तक पता नहीं चला है| नोएडा पुलिस ने आज 29 अगस्त 2020 को लुटेरों पर 25000 का इनाम घोषित कर दिया| लेकिन इस घटना से ईकोटूरिज्म प्रभावित होगा अब कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं करेगा| यही वाल्मीकि रामायण में वर्णित अराजक राष्ट्र मेरे लिए ताजातरीन उदाहरण है|)

उपरोक्त अयोध्या कांड के इस स्थल से यही निष्कर्ष निकलता है| पर्यावरण अपराध वृक्षों को काटना कानून व्यवस्था law and order का विषय है ऐसा हमारे पूर्वज मानते थे| ऐसे अपराधी लोगों को तत्काल राजा की ओर से दंड मिलता था| वृक्षों जीव जगत के विरुद्ध किए गए अपराधों के लिए| यदि ऐसा न होता तो महाराज दशरथ के मरने के पश्चात राज ऋषि मंत्री ऐसी दुहाई क्यों देते हैं? निष्कर्ष यही निकलता है राष्ट्र में राजा के ना होने से अर्थात कानून व्यवस्था के ना होने से ईकोटूरिज्म वृक्षारोपण जैसे अभियान सफल नहीं हो सकते राष्ट्र हरियाली प्राकृतिक सौंदर्य से विहीन हो जाता है |यही रामायण कालीन ऋषि मुनियों की मान्यता एकदम सत्य है|

शेष अगले अंक में|

*आर्य सागर खारी* ✍✍✍

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