उजड़ गया दर्जी चिड़िया का परिवार

_____________________________

हमारे गैराज /आंगन में स्थित नन्ही दर्जी चिड़िया का आंगन घोसला परिवार रक्षाबंधन पर्व की पूर्व संध्या पर उजड़ गया| दर्जी चिड़िया के चूजे /घोसला 1 महीने से सरीसृप अन्य शिकारी पक्षियों से तो सुरक्षित रहा………! लेकिन कमजोर जीव के प्रकृति में हजार दुश्मन होते हैं|
यह परिवार क्रूर चालाक स्तनधारी शिकारी जंतु बिल्ली से नहीं बच पाया जो घोंसले के आसपास अक्सर मंडराती हुई देखी जाती थी….. बिल्ली ने दर्जी चिड़िया के कोमल तीनों चूजो को खाकर घोसले को भी शाखा से तोड़कर नीचे गिरा दिया| परिवार के खोजी दल अर्थात बच्चों ने जब यह देखा तो वह मानसिक तौर पर एक दम टूट गए स्तब्ध हो गए…. बच्चों का अलग अनूठा ही भावनात्मक संबंध चिड़िया घोसले में उसके चूजो से हो गया था|

दर्जी चिड़िया आज भी घोंसले के आसपास मंडरा रही है, उसे मंडराते हुए देखना बहुत ही हृदय विदारक है| तीनों में से एक चूजा जो जेष्ठ था उसके शरीर पर हरे रोम आने लगे…थे | शिकारी, शिकारी दोनों को भगवान ने बनाया है…. भगवान के किसी कार्य पर प्रश्नचिन्ह लगाना कमी निकालना नास्तिकता ही होगी| फिर भी मांसाहारी शिकारी जंतुओं में थोड़ा दया भाव ईश्वर डाल देते तो किसी का क्या बिगड़ जाता?

लेकिन ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना सर्वाधिक बुद्धिमान जंतु मनुष्य में ही दया भाव नहीं है, क्रूरता के मामले में वह पशुओं को भी पीछे छोड़ देता है…. फिर मांसाहारी शिकारी जंतुओं से दया का व्यवहार प्रदर्शित करने की अपेक्षा कहां तक नैतिक है?

जीव जंतु तो भोग योनि है, शिकार और शिकारी दोनों ही अपनी भोगों को भोग रहे हैं…. दर्जी चिड़िया के परिवार की गुनाहगार हत्यारी बिल्ली भी किसी सड़क पर मनुष्य के वाहन से कुचलकर मारी जाएगी….. उसके बच्चों को भी कुत्ते आदि खा जाते हैं………………….|

यही विचार हमें मानसिक शांति देता है!

हमने आशा की थी आपको दर्जी चिड़िया के परिवार की आंखों देखी से तब तक परिचित कराया जाएगा जब तक उसके बच्चे हंसी खुशी विकसित होकर घोंसला नहीं छोड़ देते…. यह सत्य है जगत व्यवस्था हमारी मानसिक अपेक्षाओं से नहीं चलती…. जीवन में कभी भी किसी के साथ कुछ भी घटित हो सकता है प्रत्येक जीव की कर्म स्वतंत्रता के कारण….!

सभी को सादर नमस्ते!

आर्य सागर खारी✍✍✍

Comment: