क्या था 7 अगस्त 2008 को कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुआ गुप्त समझौता ?

कॉन्ग्रेस पार्टी और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टीभारत और चीन सेना के बीच हुई आपसी झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं चीन ने भी कमांडिग ऑफिसर समेत अपने 40 से ज्यादा सैनिकों को खोया। इस बीच भारत सरकार लगातार तनाव को खत्म करने की कोशिशों में जुटी रही। लेकिन विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा मामले पर केवल राजनीति खेली और चीन पर बिलकुल मौन रहीं। ऐसा क्यों?
पूरे मामले पर यदि गौर करें। तो पता चलता है वह कांग्रेस पार्टी जो भारत-चीन मामले पर लगातार मोदी सरकार की आलोचना कर रही थी। उसी कांग्रेस पार्टी के चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ गहरे संबंध हैं। जो स्पष्ट बताते हैं कि कांग्रेस ने आखिर हमेशा चीन के प्रति अपना रवैया इतना नरम क्यों रखा? और क्यों भारतीय सेना पर हमला करने के बावजूद कांग्रेस ने कभी चीन को लेकर एक शब्द नहीं बोला? जबकि दूसरी ओर अपने देश की सरकार पर सवाल उठाते रहे।
भारत की चीन और पाकिस्तान से कोई मतभेद नहीं, मतभेद हैं प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर 2014 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में इन दोनों देशों द्वारा हड़पी भारतीय ज़मीन को लेकर है। यही कारण है कांग्रेस इन देशों के विरुद्ध की जाने वाली हर सख्ती का विरोध कर अप्रयत्क्ष रूप से इन दोनों देशों की बोली बोलती रहती है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर परामर्श के लिए CCP के साथ समझौते पर कांग्रेस के हस्ताक्षर 
7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी की अगुवाई वाली कांग्रेस और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था। शायद आज वही वजह है कि कांग्रेस चीन की नापाक हरकतों पर भी चुप्पी साधे हुए है। यूपीए के अपने पहले कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने उच्च स्तरीय सूचनाओं और उनके बीच सहयोग करने के लिए बीजिंग में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौता ज्ञापन ने दोनों पक्षों को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर प्रदान किया। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि 2008 में CCP और कांग्रेस के बीच समझौता ज्ञापन उस समय आया जब भारत में वामपंथी दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-1 सरकार में विश्वास की कमी व्यक्त की थी।
इस समझौता ज्ञापन को तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचिव राहुल गाँधी ने सोनिया गाँधी की उपस्थिति में साइन किया था। जबकि चीन की ओर से इसे स्वयं वहाँ के वर्तमान प्रधानमंत्री शी जिनपिंग ने हस्ताक्षर किया था। उस समय जिनपिंग पार्टी के उपाध्यक्ष थे।
इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से पहले सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी की शी जिंनपिंग के साथ आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए लंबी बैठक हुई थी।
साल 2008 में सोनिया गाँधी अपने बेटे राहुल, बेटी प्रियंका, दामाद रॉबर्ट वाड्रा और दोनों के बच्चों को साथ लेकर ओलंपिक खेल देखने पहुँची थीं। इसके अलावा उन्होंने और राहुल गाँधी ने चीन में कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था।
Ambassador Luo Zhaohui meets Congress Vice President Rahul Gandhiराहुल गाँधी के चीन के साथ सम्बन्ध 
बात सिर्फ़ इस समझौते ज्ञापन की नहीं है। राहुल के संबंध चीन के साथ कुछ समय पहले डोकलाम विवाद पर भी उजागर हुए थे। जब उन्होंने चीन के साथ एक नहीं दो बार गुप्त बैठकें की थी।
पहली मीटिंग 2017 में हुई थी, जब उन्होंने चीनी राजदूत लुओ झाओहुई के साथ उस समय बैठक की थी, जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद छिड़ा था।
इस बैठक के संबंध में पहले तो कांग्रेस ने साफ इंकार कर दिया था। लेकिन जब चीन की एंबेसी ने खुद इसका खुलासा किया, तो कांग्रेस को इस मुद्दे पर काफी जिल्लत झेलनी पड़ी थी। यह बैठक विशेष रूप से संदिग्ध इसलिए भी थी, क्योंकि उस समय कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी, चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध पर अपने रुख पर कायम रहते हुए भारत सरकार पर तीखे हमले कर रहे थे।
इसके बाद कैलाश मानसरोवर मामले पर चीन के नेताओं से हुई गुप्त बैठक के बारे में तो राहुल गाँधी ने खुद ही खुलासा कर दिया था। राहुल उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जिसके कारण उनका इस तरह चीन अधिकारियों व नेताओं से बैठक करने ने कई सवाल खड़े कर दिए थे।
एक अन्य दिलचस्प कोण कांग्रेस और चीन के बीच का और देखिए। LAC पर भारतीय सेना पर आक्रमक रवैया रखने के कारण पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी ने चीन को लेकर लोकसभा में अपना गुस्सा जाहिर किया था। साथ ही भारतीय नेताओं को सराहते हुए चीन को चुनौती भी दी थी।
कुछ समय बाद अधीर रंजन चौधरी को चीन के ख़िलाफ़ अपने रवैया हल्का करना पड़ा और चीन पर किया अपना ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा। ये शायद इसलिए हुआ क्योंकि चीन के ख़िलाफ़ अपने नेता के बोल कांग्रेस पार्टी को ही नहीं पसंद आए। जिसके मद्देनजर  राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सोशल मीडिया पर यह सफाई तक दी।
उन्होंने लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत और चीन के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को मान्यता और महत्व देती है। दुनिया की दो प्राचीन सभ्यताओं और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, दोनों देशों को 21वीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए नियत किया गया है।”

Comment: