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इतिहास के पन्नों से

जब वीर सावरकर ने मौलाना शौकत अली की कर दी थी बोलती बंद

सितंबर 1924 में सावरकर जी से मौलाना शौकत अली ने भेंट की थी । उसने अपने बौद्धिक चातुर्य का परिचय देते हुए पहले तो सावरकर जी की भरपूर प्रशंसा की , पर फिर धीरे से ‘ शुद्धि कार्य ‘ को बंद करने की बात कह दी । इस पर सावरकर जी ने उससे भी स्पष्ट कह दिया कि — ” आप पहले मुल्ला मौलवियों द्वारा हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करना रुकवाएं और खिलाफत आंदोलन भी रुकवाएं । बाद में हम भी अपने कार्य पर विचार कर लेंगे । ‘

इस पर मौलाना ने खिलाफत आंदोलन को आवश्यक बताया तो सावरकर जी ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि जब तक आप मुस्लिम पृथकतावादी आंदोलन और हिंदुओं का धर्म परिवर्तन जारी रखेंगे , तब तक आप हमें शुद्धि न करने का उपदेश किस मुंह से दे सकते हैं ? ”

इस पर मौलाना ने मुसलमानों द्वारा भारत छोड़कर अन्य देशों में जाने की बात कह दी । वह समझता था कि सावरकर जी तेरी इस धमकी से सही मार्ग पर आ जाएंगे । पर सावरकर जी ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि — ” आप पूरी तरह स्वतंत्र हैं । प्रतिदिन फ्रंटियर मेल भारत से बाहर जाती है , आप प्रतीक्षा क्यों करते हैं , तुरंत भारत से बोरिया बिस्तर लेकर अलविदा हो जाइए ।”

इस पर मौलाना ने कहा कि आप मेरे सामने बहुत बौने ( छोटे कद के ) हैं । मैं आपको दबोच सकता हूं। ” सावरकर फिर कड़क होकर बोले : – ” मैं आपके चैलेंज को स्वीकार करता हूं , किंतु क्या आप यह जानते हैं कि शिवाजी अफजल खान के सामने बहुत बौने थे , परंतु छोटे कद वाले मराठा ने कद्दावर पठान का पेट फाड़ दिया था । ”

इसके बाद मौलाना की बोलती बंद हो गई ।

ऐसे थे अपने सावरकर । सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं । आगे खड़ी चुनौती चाहे चट्टान जैसी ही क्यों ना हो , उसके सामने भी छाती को तानकर खड़े होने का दैवीय गुण उनमें था । जिसका लोहा उनके शत्रु ही मानते थे ।

निश्चित ही ऐसे महानायक को ‘ भारत रत्न ‘ मिलने में अब देर हो रही है । केंद्र सरकार को यथाशीघ्र सावरकर जी को भारत रत्न देकर सम्मानित करना चाहिए ।

( ‘ स्वातंत्र्य वीर सावरकर ‘ नामक मेरी पुस्तक से )

डॉ राकेश कुमार आर्य

संपादक : उगता भारत

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