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इमरान खान को नियाजी शब्द से घृणा

शायद आपने ध्यान दिया होगा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की प्रथम श्रेणी की महिला आईएफएस अधिकारी विदिशा मैत्री ने जब इमरान की स्पीच का जवाब दिया तो उन्होंने अपने सम्बोधन में मि0 इमरान न कहकर मि0 इमरान अहमद खां नियाजी कहकर संबोधित किया। इससे न सिर्फ इमरान बल्कि पूरा पाकिस्तान उबल और जलभुन गया।

इमरान खान अपने नाम के आगे नियाजी शब्द लगाना पसन्द नहीं करते हैं और इसे छिपाते हैं। पर पाकिस्तान का विपक्ष जब इमरान खान पर हमलावर होता है तो गो नियाजी गो कहकर उन्हें चिढ़ाता है। पाकिस्तान में नियाजी शब्द एक गाली जैसा है, पर इसके पीछे भी एक रहस्य है।

नियाजी शब्द से पाकिस्तान को भारत के हाथों 1971 में मिली तगड़ी शिकस्त याद आती है और पाकिस्तान के घाव हरे हो जाते हैं। शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि इमरान खान उन जनरल अमीर अब्दुल्ला खां नियाजी की उस पीढ़ी के हैं जिन्होंने 1971 की जंग में 90 हज़ार पाकिस्तानी सेना के साथ भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने उनका रिवाल्वर रखवाकर उनका सैनिक बैच नोच लिया था। जनरल अरोड़ा खुद कुर्सी पर वैठे रहे और जनरल अमीर अब्दुल्ला खां नियाजी को पांच घण्टा खड़ा ही रखा। इस आत्मसमर्पण के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए जो वर्तमान में बांग्लादेश कहलाता है।

पाकिस्तान के लिए ये शिकस्त बेहद दुखदायी थी क्योंकि जनरल अमीर अबदुल्ला खां नियाजी की छवि एक दहाड़ते शेर जैसी पाकिस्तानियों के दिलों में थी। वे सोचते थे ये आदमी लड़ते लड़ते मर जायेगा पर शिकस्त कबुल नहीं करेगा। पर ऐसा हो न सका। आत्मसमर्पण की शर्मिंदगी लिए कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने तो घर लौटकर आत्महत्या कर ली। इस करारी हार की जांच के लिए जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी पर हमीदउर्रहमान आयोग का गठन कर दिया गया। एक लंबे समय तक इमरान के पिता भी इसी हार का कटाक्ष पाकिस्तान की जनता से सुनते रहे।

फिर जब इमरान क्रिकेट में आये तो क्रिकेट के बादशाह बनकर क्रिकेट पर छा गये। इमरान के बिना पाकिस्तानी क्रिकेट की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। फिर अपनी कप्तानी में उन्होंने क्रिकेट का वर्ल्डकप भी पाकिस्तान को दिलाया। लोग इमरान के वंशजअमीर अहमद खां नियाजी की शिकस्त और उन पर लगे कलंक को भूल गये। इमरान पाकिस्तान के लिए खुदा बन गये।

आज जब इमरान एक परेशानहाल पाकिस्तानी पीएम हैं। क्रिकेट में सफल पर राजनीति में असफल व्यक्ति के तौर पर पहचाने जाने लगे हैं तो पाकिस्तानियों के मन में ये आशंका बलवती होती जा रही है कि नियाजी शब्द ही बेहद मनहूस है। एक नियाजी की वजह से सन 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए तो दूसरे इमरान नियाजी के पीएम बनते ही भारत अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान का खेल खत्म हुआ और अब अगला नम्बर पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान का है।

सचमुच नियाजी शब्द बेहद मनहूस है। पीओके और बलूचिस्तान तो गयो समझो।

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