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क्या कहता है मैक्स मूलर भारत के बारे में

अपनी पुस्तक ” हम भारत से क्या सीखें “- में मैक्समूलर ने भारत के बारे में लिखा है कि – ” यह निर्णय हो चुका है कि हम सभी पूर्व से ही आए हैं। इतना ही नहीं हमारे जीवन की जितनी भी प्रमुख एवं महत्वपूर्ण बातें हैं सब की सब हमें पूर्व से ही मिली हैं। ऐसी स्थिति में जब भी हम पूर्व की ओर जाएं तभी हमें यह सोचना चाहिए कि हम अपने प्राचीन घर की ओर जा रहे हैं । भले ही हमने पूर्व का विशेष अध्ययन किया हो या नहीं , जिस किसी भी व्यक्ति को उदार शिक्षा मिली हो , जिस किसी ने भी शिक्षा के ऐतिहासिक क्रम को समझा होगा , वह पूर्व को अपना घर ही मानेगा । पूर्व को जाते हुए उसके मन में उसी प्रकार की सुखद अनुभूति आवेगी जैसी अनुभूति आंखों से अपने घर की ओर अग्रसर होते – होते आती है । यदि वह समुचित शिक्षा पाए हुए हैं तो ज्यों – ज्यों वह पूर्व की ओर बढ़ता हुआ चलेगा त्यों – त्यों उसे ऐसी वस्तुएं ऐसी स्थितियां मिलेंगी , जिनसे उसका पूर्व परिचय रह चुका होगा ।

वह जो कुछ भी देखेगा उसे यही मालूम होगा जैसे उन्हें वह पहले कहीं देख चुका है । उसकी अनुभूति बिल्कुल उसी प्रकार की होगी जैसे कोई बालक कुछ दिन ननिहाल में रहकर अपनी जन्मभूमि की ओर लौटते हुए मार्ग की समस्त प्रत्येक वस्तु को परिचित पाता है और उसका रोम रोम अकथनीय आनंद से भर उठता है । प्राय; ऐसा होता है कि जब यहां के लोग भारत के लिए प्रस्थान करते हैं तो उनका दिल बैठने लगता है और ज्यों – ज्यों वे भारत के समीप होते जाते हैं त्यों – त्यों यह दिल बैठने का भाव प्रबल से प्रबल होता जाता है ।क्या आप लोगों ने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है ? ऐसा इसलिए होता है कि आपने भारत के ऋण को समझा नहीं है । ऐसा इसलिए होता है कि आपने अध्ययन द्वारा अपने भारत से परिचय नहीं प्राप्त किया है ।”

इसीलिए है मेरा भारत महान ।
समझो अपने भारत को ।
जानो अपने गौरवपूर्ण अतीत को ।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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