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आधुनिक रेल की वास्तविकता

पंकज शर्मा तरुण – विनायक फीचर्स भारतीय रेल की वर्तमान तस्वीर कितनी बदली यह किसी से भी छुपा नहीं है। एक समय था जब पूरे देश में छोटी लाइन थी जिसे अंग्रेजों ने बिछाया था इसको मीटर गेज/नेरो गेज कहा जाता था।कोयले से चलने वाले काले रंग के इंजिन हुआ करते थे, जिसे भाप के […]

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हरयाणवी जन जीवन पर वैदिक संस्कृति एवं आर्यसमाज का प्रभाव

लेखिका = डॉ० कुमारी सुशीला आर्या एम०ए०, पी०एच०डी० प्रस्तुति = अमित सिवाहा हरयाणा पुरातन काल से वैदिक संस्कृति का केन्द्र रहा है। इसे ब्रह्मष देश अथवा ब्रह्मदेश के नाम से पुकारा जाता था। इसकी वर्तमान संज्ञा तथा प्राचीन कई एक नाम संस्कृत भाषा परक है। इतिहास साक्षी है कि इस क्षेत्र में ऋषि मुनियों के […]

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सूरा फातिहा का वैदिक आधार !

सूरा फातिहा का वैदिक आधार ! हमारे सभी सम्माननीय जागरुक पाठक ,जो इस ब्लॉग को लगातार पढ़ते आये हैं ,वह इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं ,कि जब मुस्लिम ब्लोगरों के पास कोई समुचित ,तर्कपूर्ण उत्तर नहीं होता ,या उनके पास कोई प्रमाण नहीं होता ,तो वह लोग गाली गलौच पर उतर जाते […]

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विज्ञान के युग में अंधविश्वास की जगह नहीं

संजना चोरसौ, उत्तराखंड 08 अप्रैल को लगने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर खगोलशास्त्रियों में जहां उत्साह है तो वहीं परंपरा और मान्यताओं को प्राथमिकता देने वालों में बेचैनी भी है. हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि करीब 50 साल बाद लंबी अवधि के लिए लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं […]

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किशोरियों की शिक्षा में डिजिटल दुनिया का सहयोग

ज्योति दिल्ली काजल (बदला हुआ नाम) एक 15 वर्षीय लड़की है जो अपने परिवार के साथ दिल्ली स्थित उत्तम नगर इलाके में रहती है. उसके परिवार में कुल छः सदस्य हैं. काजल अपनी चार बहनों, मां और मौसी के साथ किराए के घर में रहती है. कोरोना महामारी के दौरान उसके पिता की एक दुर्घटना […]

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1 अप्रैल, मूर्ख दिवस‌ अप्रैल फूल पर विशेष- एक दिन हास परिहास‌ का भी जरूरी

सुरेश सिंह बैस शाश्वत अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी इसे ऑल फूल्स डे के नाम से भी जाना जाता हैं। एक अप्रैल वैसे तो छुट्टी का दिन नहीं है परन्तु इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है, […]

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रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

उत्तराखंड हमारे समाज में अक्सर ऐसे कई रीति रिवाज देखने को मिलते हैं जिससे लैंगिक भेदभाव स्पष्ट रूप से नज़र आता है. लड़का और लड़की के जन्म से लेकर उसके शादी-ब्याह, दहेज और संपत्ति के अधिकार तक के मामले में यह भेदभाव नज़र आता है. लड़का के जन्म पर जहां जश्न मनाया जाता है, तो […]

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ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों की शिक्षा में मददगार साबित होता डिजिटल साक्षरता

सैय्यदा तैयबा कौसर पुंछ, जम्मू डिजिटल तकनीक के विकास ने भारत के जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाया है उसमें शिक्षा भी प्रमुख है. इसकी मदद से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की किशोरियां भी अपनी शैक्षणिक बाधाओं को दूर कर रही हैं. डिजिटल साक्षरता ग्रामीण भारत में किशोरियों को शैक्षिक संसाधनों की […]

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मनुष्य अपने स्वभाव से शाकाहारी है या मांसाहारी ?

हवा-पानी-भोजन सभी जीवधारियों के जीवन आधार हैं। हवा-पानी साफ हों प्रदूषित न हों, यह भी सर्वमान्य है। मनुष्य को छोड़ कर शेष सभी शरीरधारी अपने भोजन के बारे में भी स्पष्ट हैं उनका भोजन क्या है? यह कितनी बड़ी विड़म्बना है कि सबसे बुद्धिमान् शरीरधारी मनुष्य अपने भोजन के बारे में स्पष्ट नहीं है। मैं […]

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21 मार्च विश्व वानिकी दिवस पर विशेष- मनुष्य की सभ्यता वन वानकी से कायम

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” भारतवर्ष में वनसंपदा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि सघन वनों की छाया में ही भारतीय संस्कृति पनपी है। भारतीय जनमानस को इन्हीं वनों की छाया में साधनारत महापुरुषों से समय समय पर आदर्श जीवन संदेश प्राप्त होता रहा है। वृक्षों की धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के अतिरिक्त भारतीय जन […]

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