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श्रीलंका में श्रीसेना का उदय

श्रीलंका में महिंद राजपक्ष की हार हमें विंस्टन चर्चिल की याद दिलाती है। जैसे ब्रिटेन में द्वितीय महायुद्ध के महानायक के तौर पर चर्चिल को जाना जाता था, ऐसे ही तमिल आतंकवाद के विध्वंसकर्ता के तौर पर राजपक्ष को जाना जाता है। श्रीलंका के इतिहास में महिंद राजपक्ष का नाम अमर रहेगा, इसमें किसी को […]

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पेरिस में पैगंबर के पैगाम की हत्या

फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका ‘चार्ली एब्दॉ’ के पत्रकारों की हत्या विश्व-पत्रकारिता के इतिहास में सबसे काले दिन की तौर पर जानी जाएगी। हर वर्ष साहसी पत्रकारों की हत्या की खबरें हम सुनते ही रहते हैं, लेकिन पेरिस के इस हत्याकांड ने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस हत्या के विरोध में सिर्फ यूरोप […]

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शर्म जो इनको आती नहीं ..!!

मनीराम शर्मा हमारे सांसदों को मुफ्त का आवास, नौकर चाकर, दो दो सेक्रटरी , बिजली,पानी,  फोन , वाहन भत्ता  आदि लाखों रूपये प्रतिमाह की सुविधाएं जनता के खून पसीने की   कमाई से मिलते हैं | मुफ्त का आवास सुलभ न हो तो पांच सितारा होटलों  में ठहरते हैं और वहां क्या क्या करते हैं यह […]

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किरण के आने से रोचक हुई जंग

सुरेश हिन्दुस्थानी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वैसे तो भाजपा पूरी तरह से इस बात को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही थी कि राज्य में नई सरकार उनकी ही पार्टी की बनेगी, कुछ संदेह था तो वह देश की प्रथम आईपीएस महिला किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने के बाद दूर हो गया। ऐसा […]

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भारतीय संविधान -कमजोर लोगों के शोषण का एक साधन

श्री सेठ दामोदर स्वरुप ने डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में दिंनाक 19.11.1949 को संविधान सभा में बहस को आगे बढाते हुए आगे  कहा कि महात्मा गाँधी ने अपने जीवनभर विकेन्द्रीयकरण की वकालत की है| आश्चर्य का विषय है उनके विदा होते ही हम इस बात को भूल गए हैं और राष्ट्रपति व केंद्र को […]

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  संघ और सरकार का मिलाजुला खेल है आक्रामक धर्म और कड़े आर्थिक सुधार

पुण्‍य प्रसून वाजपेयी सुधार की रफ्तार मनमोहन सरकार से कही ज्यादा तेज है। संघ के तेवर वाजपेयी सरकार के दौर से कहीं ज्यादा तीखे है । तो क्या मोदी सरकार के दौर में दोनों रास्ते एक दूसरे को साध रहे हैं या फिर पूर्ण सत्ता का सुख एक दूसरे को इसका एहसास करा रहा है […]

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वही राग वही रंग फिर कैसे बदलेगा नीति आयोग?

 पुण्‍य प्रसून वाजपेयी प्रधानमंत्री मोदी का नीति आयोग और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के योजना आयोग में अंतर क्या है। मोदी के नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पानागढ़िया और मनमोहन के योजना आयोग के मोंटक सिंह अहलूवालिया में अंतर क्या है। दोनों विश्व बैंक की नीतियों तले बने अर्थशास्त्री हैं। दोनो के लिये खुला बाजार […]

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PK आरोप है या आलोचना?

ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,जबसे राजू हिरानी की फिल्म पीके आई है पूरे देश में कुछ लोगों ने हड़कंप मचाया हुआ है। उनको लगता है जैसे हिन्दू धर्म लाजवंती का पौधा है जो छूते ही मुरझा जाएगा और उसके ऊपर इस एक फिल्म के चलते संकट पैदा हो गया है। जबकि तलवारों और तोपों के बल पर […]

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भारतीय सिनेमा व तुष्‍टीकरण की राजनीति

डॉ0  सूर्य प्रकाश  अग्रवाल   वर्श 2014 के अंत में जिस प्रकार प्रसिद्ध अभिनेता आमीर खान के द्वारा अभिनीत व हिरानी जैसे कुशल निर्देशक के द्वारा निर्देषित फिल्म पीके रिलीज हुई और फिल्म ने देखते ही देखते प्रदर्षन के मात्र पहले तीन सप्ताह में ही तीन सौ करोड रुपये का व्यवसाय दिला कर सफलता के […]

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अधर्म युद्ध

        डॉ. शशि तिवारी                 इतिहास गवाह है इस पृथ्वी पर जितना रक्तपात धर्म क्षेत्र और धर्म के नाम पर हुआ हैं उतना अधर्म या युद्ध क्षेत्र में भी नहीं हुआ है फिर बात चाहे महाभारत की हो या इस सदी में धर्म के आधार पर भारत, पाक विभाजन की हो या […]

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