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किशोरियों के लिए भी खेलना जरूरी है

मीना लिंगड़िया गनीगांव, उत्तराखंड खेल खेलना आम तौर पर आपकी फिटनेस और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक शानदार तरीका है. इससे न सिर्फ आपका शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि मन और मानसिक स्वास्थ्य भी फिट रहता है. दरअसल, खेल जैसे गतिविधियां आपके ब्लड सर्कुलेशन, मूड और मानसिक स्वास्थ्य को सही रखती है. एक तरफ […]

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भारत की भक्ति धारा के संत और गोस्वामी तुलसीदास

मृत्युंजय दीक्षित हिंदी साहित्य के महान कवि संत तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे व माता का नाम हुलसी था। जन्म के समय तुलसीदास रोए नहीं थे अपितु उनके मुंह से राम शब्द निकला था, जन्म के समय […]

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सांप दूध नहीं पीते*🐍

लेखक आर्य सागर खारी ✍ आज नाग पंचमी है ऐसी कथित मान्यता है सांप को दूध पिलाना आज पुण्य माना जाता है लेकिन मुद्दा यह है क्या सांप दूध पीते हैं? हमारे देश में सर्प एकमात्र ऐसा सरीसृप जंतु है जिसके बारे में लोगों को तथ्यात्मक कम कल्पनात्मक ज्ञान ज्यादा है| बात यदि सांप के […]

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मोबाइल की गिरफ्त से नौनिहालों को बचाना है

हरीश कुमार पुंछ, जम्मू फोन एक ऐसी चीज है जिसके बिना हमारी जिंदगी अब असंभव हो गई है. दिन भर हर व्यक्ति आजकल फोन पर ही लगा रहता है. दिन में कई घंटों तक रील देखना तो जैसे फैशन बन गया है. हमें देख हमारे बच्चों को भी धीरे-धीरे स्मार्टफोन की लत लगनी शुरू हो […]

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◼️क्या शूद्र ईश्वर के पैरों से उत्पन्न हुए है?◼️

प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ 🤨प्रश्न – वेद का 🔥‘ब्राह्मणोऽस्य’ ( यजुर्वेद – ३१ । ११ ) मंत्र कहता है कि “इस यज्ञपुरुष के मुख से ब्राह्मण हुए और बाहु से क्षत्रिय, ऊरू से वैश्य तथा पैरों से शूद्र उत्पन्न हुए।” 🌻उत्तर – आपका यह अर्थ सर्वथा अशुद्ध और स्वयं वेद के ही विरुद्ध है, क्योंकि […]

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बच्चों को कुपोषण मुक्त बनता आंगनबाड़ी केंद्र

भावना लूणकरणसर बीकानेर, राजस्थान आज़ादी के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा था उनमें बच्चों में कुपोषण की समस्या भी एक थी. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों में कुपोषण बहुत ज़्यादा थी. गरीबी और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं हो पाता था. […]

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किशोरियों की मानसिकता पर वार करता रंगभेद

रितिका गरुड़, उत्तराखंड 21वीं सदी साइंस और टेक्नोलॉजी का दौर कहलाता है. लेकिन इसके बावजूद कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो आज भी मानव सभ्यता के लिए किसी कलंक से कम नहीं है. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा रंगभेद का है. त्वचा और रंग के आधार पर इंसान का इंसान के साथ भेदभाव करने की संकीर्ण सोच […]

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वृद्धाश्रमों का बढ़ता चलन चिंताजनक है

हरीश कुमार पुंछ, जम्मू भारत भूमि के संस्कारों ने हमेशा बड़े बुजुर्गों को सम्मान दिलाया है. हमारी संस्कृति यह सिखाती है कि बड़ों की इज्जत करो और उनका कहना मानो. वृद्धावस्था में अपने मां-बाप की सेवा तथा उनकी खुशियों को पूरा करना संतान का दायित्व है. किसी अच्छे कार्य को करने से पहले या घर […]

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हमारी लापरवाही हमें संकट में डाल देती है हरीश कुमार

पुंछ, जम्मू दक्षिण पश्चिमी मानसून भारत में कुल वर्षा का लगभग 86 प्रतिशत योगदान देते हैं. भारत में मानसून का समय जुलाई से लेकर लगभग सितम्बर तक रहता है. इस दौरान अत्यधिक वर्षा होती है, तो ऐसे में बाढ़ आना स्वाभाविक है. वास्तव में, बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है. इसके कारण जब नदी उफनती […]

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शिव के गले में सर्प का रहस्य*

* डॉ डी के गर्ग पौराणिक मान्यताये : इस विषय में अनेको कथाएं प्रचलित है। शिव की जो तस्वीर /मूर्ति बनाई गई है उसमे शिव के गले में एक सर्प लिपटा हुआ दिखाई देगा। इस सर्प को एक विशेष नाम- वासुकि दिया गया है। दो मुख्य कथाये प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार वासुकी नागलोक […]

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