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विविधा समाज

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लक्ष्य से भटकती पौराणिक कांवर यात्राएं

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी कांवड़ को शिव जी का स्वरूप कहा गया है :- कांवड़ शिव की आराधना का ही एक रूप है। इस यात्रा के जरिए जो शिव की आराधना कर लेता है, वह धन्य हो जाता है। कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें […]

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समाज

हिंदुस्तान के मुसलमानों का बड़ा तबका समर्थन करता है समान नागरिक संहिता का

रज्जाक अहमद आज दुनिया में भारत जय -जय कार हो रही है। इसके उपरांत भी बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि भारत में आये दिन ऐसी ऐसी नई चर्चाए पैदा होती है जिनका कोई आधार नहीं है। अब नया सगुफा शुरु हुआ ‘ यूनिफार्म सिविल कोड़ ‘ जिसका अभी ड्राफ्ट भी तैयार नही […]

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समाज

होम ट्यूशन में भी सुरक्षित नहीं लड़कियां

प्रियंका साहू मुजफ्फरपुर, बिहार बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित मड़वन ब्लॉक की रहने वाली एक 16 वर्षीय नाबालिग निर्मला (बदला हुआ नाम) अपने साथ बचपन में हुए यौन दुराचार की घटना के बारे में सुनाते हुए फूट-फूट कर रोने लगी. वह बताती है कि जब 6-7 साल की उम्र में दूसरी कक्षा में पढ़ रही […]

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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (23 जून) पर विशेष आर्थिक कठिनाइयों का सामना करती विधवाएं

देवेन्द्रराज सुथार जालोर, राजस्थान आज़ादी के सात दशकों बाद भी देश में कुछ जातियां, समुदाय और वर्ग ऐसे हैं जो आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. जिन्हें आज भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जो समाज के मुख्यधारा से कटे हुए हैं. लेकिन विधवाओं का वर्ग ऐसा है जो सभी […]

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अमेरिकी प्रभाव वाला नहीं भारतीय संस्कृति वाला पितृ दिवस मनाएं

डा. राधे श्याम द्विवेदी हमारा समाज और पिता की भूमिका :- समाज केवल स्त्री को ही स्त्री नहीं बनाता बल्कि एक पुरुष को भी पुरुष बनने और बने रहने को बाध्य करता है। पुरुषत्व के कारण एक पुरुष दहाड़ मारकर रो नहीं सकता, सिसक नहीं सकता, गृहस्थी में हाथ बंटा नहीं सकता, बच्चों और अपनी […]

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सामाजिक एकता बढ़ाएगा समान कानून

सुरेश हिंदुस्थानी वर्तमान में समान नागरिक कानून की चर्चा बहुत ज्यादा है। होना भी चाहिए, क्योंकि विश्व के अधिकांश देश समान कानून की अवधारणा को स्वीकार करते हैं। आज जो देश विश्व की महाशक्ति मानने का साहस रखते हैं, उन सभी देशों में कानून के नाम पर कोई समझौता नहीं किया जाता। भारत में कानून […]

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मूलभूत सुविधाओं की कमी पहाड़ों से पलायन का कारण है

बीना बिष्ट हल्द्वानी, उत्तराखंड अक्सर पर्वतीय समुदायों की मूलभूत सुविधाओं पर समाचार पत्रों में लेख और चर्चाएं होती रहती हैं. लेकिन धरातल पर इसके लिए किस प्रकार कार्य किया जाएगा इसका जबाब किसी के पास नहीं होता है. वर्ष 2011 की जनगणना के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल जनसंख्या 10086292 है. इसमें से […]

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कैनवास पर जीवन के रंग बिखेरती दलित बस्ती की किशोरियां

अमृतांज इंदीवर मुजफ्फरपुर, बिहार बात जब बिहार में चित्रकला की आती है, तो मिथिला चित्रकला शैली के भित्ति चित्र व अरिपन का नाम जरूर आता है. मिथिला या मधुबनी चित्रकला एशिया के विभिन्न देशों में अपनी कलात्मकता और विशिष्ट शैली के लिए विख्यात है. यह चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल […]

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शिक्षा की बढ़ती दुकानें बनाम गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रणाली

ललित गर्ग शिक्षा मंत्रालय हर साल शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग जारी करता है। इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग के मुताबिक आईआईटी मद्रास को देश का सर्वेश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान घोषित किया गया है। जबकि दूसरे नम्बर पर भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलुरु है। आजादी के अमृत काल में जब चहूं ओर से अनेक गौरवान्वित करने वाली खबरें आती […]

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महिला सशक्तिकरण, देश की राजनीति और देश की महिला पहलवान

किसी भी बिंदु पर दो विचारधाराएं होना और दो विचारधाराओं का टकराव होना प्राकृतिक नियम है। प्रत्येक विचारधारा की अपनी मान्यताएं, अपने नियम और अपनी कसौटियां तथा गुण विशेष हुआ करते हैं । विद्वान जगत की जहां तक बात है वह तो एक ईश्वर के मानने में भी भिन्न-भिन्न मान्यताएं रखता है अर्थात एक ईश्वर […]

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