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भाषा को लेकर भी होती रही है एक राजनीति

संजय द्विवेदी अब जबकि भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन सितंबर महीने में होने जा रहा तो एक बार यह विचार जरूर होना चाहिए कि आखिर हिंदी के विकास की समस्याएं क्या हैं? वे कौन से लोग और तत्व हैं जो हिंदी की विकास बाधा हैं? सही मायनों में हिंदी के मान-अपमान का संकट राजनीतिक ज्यादा […]

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भूमि विधेयक पास कराये विपक्ष

देवेन्द्र सिंह आर्य बहुत देर से चर्चा का विषय बना भूमि विधेयक को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। सरकार और विपक्ष दोनों के लिए यह विधेयक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। विपक्ष इस विषय में पीछे हटने को या सरकार का साथ देने को तैयार नही लगता, यद्यपि सरकार इस […]

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रोजा इफ्तार के बहाने सियासत

मृत्युंजय दीक्षितजब रमजान का पवित्र माह प्रारम्भ होता है और ईद का अत्यंत पवित्र पर्व नजदीक आता जाता है वैसे -वैसे देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल अपनी राजनीति को नये सिरे से चमकाने के लिये रोजा इफ्तार का सहारा लेकर मुसलमानों को बेवकूफ बनाने के लिए जुट जाते हैं। विगत 65 वर्षो से कांग्रेस व […]

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प्रधानमंत्री का ‘बड़ा काम’

देवेन्द्र सिंह आर्य राजनीतिज्ञों और राजनीति के प्रति लोगों के गिरते विश्वास को देखते हुए यह एक शुभ संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने कहे को याद रखते हैं और उसे पूरा करने के प्रति गंभीर रहते हैं। प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी एक रैली में कहा था कि दुनिया के दूसरे देशों […]

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दिग्गी के कार्यकाल की भी हो जांच

सुरेश हिन्दुस्थानीमध्यप्रदेश में वर्तमान में व्यापमं मामला राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है, सत्ताधारी दल भाजपा और कांगे्रस दोनों के लिए यह मामला अपने अपने हिसाब से संजीवनी देने का काम कर रहा है, लेकिन जब सच उजागर होगा, तब शायद कहानी कुछ और ही निकल सकती है, अब इस मामले में किसी भी […]

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मोदी प्रशंसकों पर चेतन भगत का एसिड अटैक

प्रवीण गुगनानी एक स्थापित हिंदी समाचार पत्र में 9 जुलाई को प्रकाशित चेतन भगत का एक आलेख प्रकाशित हुआ है, सोशल मीडिया पर भक्तों की नई प्रजाति. एसिड रस (साहित्य में नया रस) में डूबे इस लेख को मैनें बलात पढ़ा! अंग्रेजी लेखकों के बौद्धिक दंभ का शिकार हम भारतीय कोई पहली बार नहीं हो […]

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एक अच्छे गृहमंत्री राजनाथ

देवेन्द्र सिंह आर्य भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक मजबूत इरादे के गृहमंत्री साबित हो रहे हैं। उनकी बातों में डींग मारने की प्रवृत्ति न होकर गंभीरता और आत्मविश्वास के साथ यह स्पष्टï करने का भाव अधिक होता है कि वह एक जिम्मेदार और महान देश के गृहमंत्री हैं, जिसे किसी प्रकार की गीदड़ […]

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भाजपा नेतृत्व की बढ़ती जा रहीं मुश्किल चुनौतियां

एस. निहाल सिंह मोदी सरकार का पहला चरण पूरा हो चुका है। इस एक साल में प्रधानमंत्री को गौरवान्वित करने वाली सफलता मिली है जब उन्होंने यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में लगी घोटालों की झड़ी के विपरीत देश का रुख विकास की ओर मोड़ दिया है। हालांकि अब एक साल से कुछ ज्यादा का सफर […]

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जनप्रतिनिधियों की जरूरत का सवाल

कुलदीप नैयर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के इस सुझाव से भी सहमत हूं कि सांसदों की वेतनवृद्धि संबंधी निर्णय करने हेतु स्वतंत्र वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए उन्हें अधिक पैसे चाहिए, लेकिन उनकी जरूरत को ठीक ढंग से जानने के […]

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बिहार के चुनाव की आहट

देवेन्द्र सिंह आर्य ज्यों-ज्यों बिहार के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, त्यों-त्यों नेताओं को अपनी औकात की जानकारी होती जा रही है। कभी नाज नखरों से मोदी की छाया से भी परहेज कर एनडीए छोड़ गये, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस समय अपनी नैया मझधार में फंसती दीख रही है। अब उन्होंने पराजित मानसिकता के […]

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