Categories
राजनीति

शिवराज को घेरने वाले दिग्विजय अब खुद घिर गये लगते हैं

वीरेन्द्र सिंह परिहार ब्यापम घोटाले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घेराबन्दी करनें वाले प्रदेश के भतूपूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस पार्टी के बड़बोले नेंता दिग्विजय सिंह स्वत: कुछ ऐसे घिर गये हैं कि निकलने का रास्ता शायद ही मिल सके। उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक सतत् दस […]

Categories
राजनीति

भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सामूहिक चिन्तन जरूरी

सुरेश हिन्दुस्थानी अच्छे सपने देखना बुरी बात नहीं है, और इस सपने को खुली आँख से देखा जाये तो और भी अच्छा है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इन सपनों में किसी प्रकार का संकुचन ना हो। मतलब साफ है कि व्यापक दृष्टि से सपने देखे जाएँ तो यह समग्र विकास […]

Categories
राजनीति

क्या बिहार में जंगलराज था या है ? अगर ‘हाँ’ …तो इसमें भाजपा का भी योगदान है

आज से कुछ दिनों पहले , रविवार ९ अगस्त २०१५ को , गया की रैली में बिहार के पिछले २५ वर्षों के शासनकाल को , जंगलराज , कुशासन और बिहार की बदहाली का कारण बता कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो भाजपा की प्रदेश इकाई को सांसत में ही डाल दिया है l प्रधानमंत्री के इस बयान […]

Categories
राजनीति

अब समाजवाद की बागडोर अखिलेश को सौपने की तैयारी

मृत्युंजय दीक्षित राजधानी लखनऊ में विगत 4 अगस्त को समाजवादियों का सम्मान समारोह किया गया इस बहाने देशभर के समाजवादी एकत्र हुए तथा भविष्य में समाजवादी की भूमिका पर अपने विचारों का आदान प्रदान भी किया। यह सम्मेलन तो था समाजवादियों के सम्मान का लेकिन इसके मुख्य केंद्रबिंदु युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही थे। सभी […]

Categories
राजनीति

लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक सत्र

मृत्युंजय दीक्षित संसद का वर्तमान मानसून सत्र संभवत: 68 वर्षो में सबसे शर्मनाक सत्र के रूप में याद किया जायेगा। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश के जनमानस मे आशा व उम्मीदों का एक नया दीप जला था लेकिन कांग्रेस पार्टी के केवल दो बड़े नेताओं श्रीमती सोनिया गांधी व राहुल गांधी की […]

Categories
राजनीति

नाक की लड़ाई बना संसदीय हंगामा

उमेश चतुर्वेदी लोकसभा से कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के बाद कांग्रेस का आक्रामक होना स्वाभाविक ही है। लोकतांत्रिक समाज में विपक्ष अक्सर ऐसे अवसरों की ताक में रहता है, ताकि वह खुद को शहीद साबित करके जनता की नजरों में चढ़ सके। ठीक सवाल साल पहले मिली ऐतिहासिक और करारी हार से पस्त […]

Categories
राजनीति

रेलवे में हादसों की रफ्तार बनाम सुरक्षा की पटरी

प्रमोद भार्गव रेलवे में सुरक्षा इंतजामों के तहत वाइफाइ व्यवस्था शुरू करने से पहले उन ग्यारह हजार चार सौ तिरसठ पार-पथों पर भूतल और उपरिगामी पुलों की जरूरत है, जो मानव रहित हैं। इनके अलावा सात हजार तीन सौ बाईस फाटक वाले पार पथ भी हैं। इन सभी पुलों पर आए दिन हादसे होते रहते […]

Categories
राजनीति

पैरोडी बनता बिहार चुनाव

विडंबना है कि बिहार के चुनावों को पैरोडी में तबदील कर दिया गया है। पैरोडी के मायने हैं-किसी बात को तोड़-मरोड़ कर, नई तुकबंदी के साथ कहना। बेशक प्रधानमंत्री मोदी हों या नीतीश कुमार-लालू यादव, वे पुख्ता मुद्दों और भावी विकास के ब्लू प्रिंट पेश करने के बजाय पैरोडियां बनाने में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री मोदी […]

Categories
राजनीति

कृपया चुनावी भाषणों को गालियों में तब्दील मत कीजिए

शैलेन्द्र चौहान एक समय था जब नेता एक-दूसरे के प्रति शालीन भाषा का इस्तेमाल करते थे। वे इसका ख्याल रखते थे कि राजनीतिक बयानबाजी व्यक्तिगत आक्षेप के स्तर पर न आने पाए। उनकी ओर से ऐसी टिप्पणियों से बचा जाता था जो राजनीतिक माहौल में कटुता और वैमनस्य पैदा कर सकती थीं। दुर्भाग्य से आज […]

Categories
राजनीति

दिल्ली में सरकारों का छाया-युद्ध

विकास नारायण विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही नहीं, पुलिस कमिश्नर बस्सी भी दिल्ली की जनता के प्रति सजग रहना चाहते हैं। यहां तक कि उपराज्यपाल नजीब जंग अपने कार्यकलापों में बेशक रीढ़-विहीन नजर आएं, संशय-विहीन नहीं कहे जा सकते। अन्यथा आरोप-प्रत्यारोप की वर्तमान कवायद में अबूझ क्या है? कौन नहीं जानता कि दिल्ली की […]

Exit mobile version