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चलो चांद पर

दुनिया के अंतरिक्ष इतिहास में,भारत का पहला कदम।बन गया मील का पत्थर,वैज्ञानिकों का सफल दमखम।।भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के,बुलंद-हौसलों का प्रतीक।चंद्रयान एक, बाइस अक्टूबर 2008प्रक्षेपण एक दम सटीक ।। 1 ।।भारत का अंतरिक्ष में बढ़ा पहला कदम,साबित हुआ लंबी छलांग।चंद्रयान का अंतरिक्ष में तीन सौ बारह,दिन की छोटी आयु मां।।याद रहेगा, चंद्रमा की कक्षा के,3400 […]

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शाकाहारी बनो…!

गर्व था भारत-भूमि कोकि महावीर की माता हूँ।। राम-कृष्ण और नानक जैसेवीरो की यशगाथा हूँ॥ कंद-मूल खाने वालों सेमांसाहारी डरते थे।। पोरस जैसे शूर-वीर कोनमन ‘सिकंदर’ करते थे॥ चौदह वर्षों तक वन मेंजिसका धाम था।। मन-मन्दिर में बसनेवाला शाकाहारी राम था।। चाहते तो खा सकते थेवो मांस पशु के ढेरो में।। लेकिन उनको प्यार मिला‘ […]

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आजादी की तलाश

– डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com चिड़िया कहाँ मुक्त हैकहाँ हैंउसकी आजादी के मौलिक अधिकारमुक्ति, समानता और स्वतंत्रता कारह-रह कर उठने वाला शोरखोता रहा है संसद के गलियारों से हो करनिस्सीम जंगल में।चिड़िया चाहती है-उन्मुक्त हँसी-ठट्ठापरपिंजरा है कउसी की हँसी उड़ाता है,कोमल, भावुक, सुन्दर चिड़ियाचाहते हैं सभीऔरचाहत के अधीन ही सहीचिड़िया हो जाया करती है-नज़रबन्दबिठा दिए जाते […]

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बाग़ी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे

कोई रूप नहीं बदलेगा सत्ता के सिंहासन का कोई अर्थ नहीं निकलेगा बार-बार निर्वाचन का ! एक बड़ा ख़ूनी परिवर्तन होना बहुत जरुरी है अब तो भूखे पेटों का बागी होना मजबूरी है !! जागो कलम पुरोधा जागो मौसम का मजमून लिखो चम्बल की बागी बंदूकों को ही अब कानून लिखो ! हर मजहब के […]

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ओ३म्:पीयूष धारा

ओ३म् सनातन सत्य स्वरूपाअगम अगोचर अजर अनूपाओ३म् अमर अविनाशी स्वामीघट-घट वासी अंतर्यामी ।। 5 ।।नित्य निरंजन मुनिजन-रंजनओ३म् सदा ही सब दुख भंजनसत्यं शिवं सुंदरं अनुपमओ३म् सच्चिदानंद स्वरूपम ।। 6 ।।ओ३म् अनादि अनंत अपारासकल विश्व को उसने धाराओ३म् सृष्टि का सिरजन हारा,वो ही सच्चा मित्र हमारा ।। 7 ।।ओ३म् पिता है ज्ञान प्रकाशकसदगुण प्रापक दुर्गुण नाशकजनम […]

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जल ही जीवन

बारिश की नन्ही बूंदों से, तपती धरती कुछ शांत हुई,जीवों को जीवनदान मिला, चहुं ओर खुशी की बात हुई। सूखे मुरझाये पौधों में, नव प्राणों का संचार हुआ,सूखी माटन्ी भी महक उठी, कण-कण में जीवन वास हुआ। वर्षा की खुशी में नाच उठे, मैढक, मोर, किसान,बादल देख पपीहा बोले, पीहू पीहू की तान। खेतिहार मजदूर […]

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मेरा बचपन

बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी।गया, ले गया, तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।।चिंता सहित खेलना सजा वो फीका निर्भय स्वच्छंद।कैसे मुल्क जा सकता है, बचपन का अतुलित आनंद।।ऊंच-नीच का ज्ञान नही था, छुआछूत किसने जानी।बनी हुई थी झोंपड़ी और चिंछड़ों में रानी।।रोना और मचल जाना थी, क्या आनंद दिखाते थे।बड़े बड़े […]

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नहरें

नहरें नहरें हमको पानी देकर, सबकी प्यास बुझाती हैं।इनका पानी पीकर ही तो, फसलें भी लहराती हैं। चंदा मामा पापा! हम भीचंदा मामा, से मिलने को जाएंगे।आसमान की सैर करेंगे, तोड़ के तारे लाएंगे। साईकिल पापा! एक साईकिल ला दो, उस पर पढऩे जाएंगे।छुट्टी वाले दिन पार्क में, उसको खूब चलाएंगे। -धर्मेन्द्र गोयल

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