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काल के गाल में

बताओ भित्तिचित्रों की नक्काशी, करने वाला था कौन?
कोणार्क, बृहदेश्वर, खजुराहो, प्राचीन की कथा सुनाओ।

आराध्य देव की पूजा का, पुरखों का ढंग बतलाओ।
तक्षशिला नालंदा के खण्डहर, कुछ तो कहो कहानी।

विज्ञान कला में थे निष्णात, वे कहां गये पंडित ज्ञानी?
मोहजोदड़ो हड़प्पा खोलो, हृदय के उद्गार।

सूखा है स्नानकुण्ड क्यों, खाली धान्यागार?
तुम्हें निरख कर समझ में आता, है कितना काल सबल?

जीवन बदल रहा पल-पल।
जिनसे जहां रोशन होता था, वे कहां गये नक्षत्र?

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