Categories
अन्य कविता

ठंडे दिल से तू सोच जरा, भाग-2

सतपुड़ा, विंध्य, पामीर देख, पड़ रही बुढ़ापे की सलवट।त्राहि-त्राहि होने लगती, जब ज्वालामुखी लेता करवट। परिवर्तन और विवर्तन का क्रम, कितना शाश्वत कितना है अटल?…..जीवन बदल रहा पल-पल, सब गतिशील नश्वर यहां पर। जाती है जहां तक भी दृष्टि,अरे मानव! तू किस भ्रम में है? चलना है निकट प्रलय वृष्टि। पैसा पद जायदाद यहां, नही […]

Categories
अन्य कविता

ठंडे दिल से तू सोच जरा

ढूंढ़ रहे पदचिन्ह मिले नही, यत्र तत्र सर्वत्र। मजार, मूर्ति बुत के रूप में, रह गयी शेष निशानी।नारे और संदेश गूंजते, चाहे घटना युगों पुरानी। अरे हिमालय तेरी गोदी में, तपे अनेकों संत।थे घोर तपस्वी मृत्युंजय, हुआ कैसे उनका अंत? बचपन में तू भी सागर था, है आज तेरा सर्वोच्च शिखर।अरे काल थपेड़ों के आगे, […]

Exit mobile version