सृजन जहां – है विध्वंस वहीं भगवान अनेकों मुख वाला और आंखों वाला होता है। धारण करता अनेकों दिव्य भूषण वस्त्रों वाला होता है।। अनेकों शस्त्रों से रहे सुसज्जित, शत्रु संहारक होता है। वेद की यह उक्ति सही है वह ब्रह्मांड का धारक होता है।। सब ओर उसके मुख होते, सब ओर ही आंखें रखता […]
