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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमारी ‘पराजय’ के कुछ अवर्णित सैनिक कारण

जिस प्रकार  हमारे पतन के राजनैतिक कारणों में कुछ काल्पनिक कारण समाहित किये गये हैं और वास्तविक कारणों को वर्णित नही किया गया है, उसी प्रकार हमारे पतन  के लिए कुछ काल्पनिक सैनिक कारण भी गिनाये जाते हैं। पर इन सैनिक  कारणों को गिनाते समय भी हमारे अतीत का ध्यान नही रखा जाता है और […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

कानपुर के किसोरा राज्य की आत्मबलिदानी राजकुमारी ताजकुंवरी

राकेश कुमार आर्यभारत पर आक्रमण करने के पीछे मुस्लिम आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपनी लड़ाई लड़ी। जहां मुस्लिमों ने केवल लूट मचायी वहां कितने ही लोगों ने लूट […]

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अपने ‘राष्ट्रीय-संकल्प’ के लिए प्राणाहुति देने वाला संयमराय

वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान  पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो शर्तें हैं। उन […]

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बुन्देलखण्ड की वीरभूमि के सपूत आल्हा-ऊदल

भारत की पवित्र भूमि के लिए बड़ा सुंदर गीत गाया जाता है :- मेरे देश की धरती सोना उगले.. उगले हीरे मोती…मेरे देश की धरती………….. मैं समझता हूं भारत मां के लिए जिस कवि के हृदय में भी ये भाव मचले होंगे और उन्होंने जब कुछ शब्दों का रूप लिया होगा तो वह कवि भी […]

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तराइन का दूसरा युद्घ और चौहान, जयचंद व गौरी का अंत

राकेश कुमार आर्यतराइन का युद्घक्षेत्र पुन: दो सेनाओं की भयंकर भिड़ंत का साक्षी बन रहा था। भारत के भविष्य और भाग्य के लिए यह युद्घ बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा था। भारत अपने महान पराक्रमी सम्राट के नेतृत्व में धर्मयुद्घ कर रहा था, जबकि विदेशी आततायी सेना अपने सुल्तान के नेतृत्व में भारत की […]

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हिन्दुत्व का पराक्रमी वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान भारतीय त्याग, तपस्या, साधना और पौरूष का प्रतीक है। वह अपने गुणा- अवगुणों से तत्कालीन हिंदू राजाओं में से कई के लिए ईष्र्या और द्वेष का कारण बन गया था। कई इतिहासकारों ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के एक से अधिक विवाहों के होने का उल्लेख किया है। अत: थोड़ी सी असावधानी से एक […]

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भारत के पराक्रम और पतन का अदभुत संगम:पृथ्वीराज चौहान

विश्वके ऐसे कितने ही देश हैं जिन्होंने दिन के प्रकाश में अपनी स्वतंत्रता को खो दिया और ऐसा खोया कि फिर कभी उसे प्राप्त न कर सके। ऐसी स्थिति उन्हीं लोगों की या देशों की हुआ करती है, जो अपनी जिजीविषा और जिज्ञासा को या तो शांत कर लेते हैं या उसे खो बैठते हैं। […]

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हिन्दू ध्वजवाहक कश्मीर के वो गौरवशाली हिन्दू शासक

कश्मीर के गौरवशाली हिंदू इतिहास के विषय में हमने पिछले लेखों में सूक्ष्म सा प्रकाश डाला था। अब पुन: कश्मीर की उस केसर को इतिहास के गौरव पृष्ठों पर खोजने का प्रयास करते हैं, जिसकी सुगंध ने इस स्वर्गसम पवित्र पंडितों की पावन भूमि को भारतीय इतिहास के लिए श्लाघनीय कार्य करने के लिए प्रेरित और […]

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धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा

राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है।वेद का […]

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विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप

डा. संपूर्णानंद का कथन है कि-’विज्ञान के नाम पर अपनी ज्ञान धरोहर को एकदम खारिज कर दिया जाए यह भी अंधविश्वास का ही एक प्रकार है, क्योंकि सही विज्ञान को परीक्षण के अनंतर ही निष्कर्ष निकालता है। अपनी वैदिक परंपरा तो जांच की परंपरा रही है, उसे जांचें और उस जांच में कुछ त्याज्य पायें […]

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