वाराहगिरि वेंकट गिरि (Varahgiri Venkat Giri) 24 अगस्त 1969 को भारत के चौथे राष्ट्रपति के रूप में प्रात: नौ बजे पद और गोपनीयता की शपथ ली। डा. खुशवंत सिंह ने इन्हें तब तक के सारे राष्ट्रपतियों में सर्वाधिक दुर्बल राष्ट्रपति कहकर उल्लेखित किया है। लेकिन यहां राष्ट्रपतियों की तुलना करना उचित नहीं होगा। इतना अवश्य […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
भारत के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में डा. जाकिर हुसैन आये। 13 मई 1962 को वे भारत के उपराष्ट्रपति बने थे। 7 जुलाई 1957 से 1962 तक वह बिहार के गर्वनर भी रह चुके थे। डा राधाकृष्णन ने जब पुन: राष्ट्रपति बनने से इनकार कर दिया तो कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के रूप में डा. […]
भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद विशुद्ध राजनीतिज्ञ थे, तो दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन विशुद्ध शिक्षा प्रेमी थे। उनके नाम पर कई लोगों को इसीलिए आपत्ति रही थी कि एक राजनीतिज्ञ की वजाय शिक्षाविद को राष्ट्रपति क्यों बनाया जा रहा है? लेकिन नेहरू की इच्छा के आगे किसी की नहीं चली और 13 मई […]
हिन्दू धर्म यह सनातन तथा अमृत तत्त्व की उपासना है। (१) श्रेय-प्रेय मार्ग-एक सन्त इसी धर्म के नियमों के अनुसार सन्त बन कर उसका चोला डाले हैं पर सदा सनातन धर्म की संस्थाओं का व्यंग्य-विरोध करते रहते हैं। उनका कहना है कि यह सनातन है तो इस पर खतरा कैसे है? सदा अच्छी चीजों पर […]
धनुरनुषंगरणक्षणसंगपरिस्फुरदंगनटत्कटके कनकपिशंगपृषत्कनिषंगरसद्भटश्रृंगहताबटुके । हतचतुरंगबलक्षितिरंगघटद् बहुरंगरटद् बटुके जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अनुषंग का अर्थ साथ होना और धनु तो धनुष है, यहाँ धनु: के अंतिम विसर्ग के साथ संधि के कारण “र” अक्षर आ रहा है। रण के समय (क्षण) उत्तेजना से कांपते अंगों के लिए परिस्फुरद्अंग कहा गया है। कटके का अर्थ […]
रायसीना हिल्स पर बना राष्ट्रपति भवन गणतांत्रिक भारत के हर ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना है। आजादी से पूर्व इसे वायसरीगल हाउस के नाम से जाना जाता था। लेकिन 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.15 बजे जब डा. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर गणतांत्रिक भारत के राजपथ पर […]
-ललित गर्ग – अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान कर विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक अमिट आलेख लिखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद भी, सरदार पटेल का योगदान […]
भारत को समझो’ अभियान के तहत वास्तव में पहले यह समझना चाहिए कि भारत क्या था? भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति विश्व में कैसे फैली? प्रथमतया इस तथ्य की जानकारी होना आवश्यक है। तभी भारत को वास्तविक अर्थ में समझा जा सकता है। हमें समझना होगा कि इसराइल के यहूदी कौन हैं? शेख कौन हैं? […]
सर संघचालक श्री मोहन भागवत जी ने गोवाहाटी में बयान दिया कि 1930 से मुस्लिमों की आबादी बढ़ाई गई क्योंकि भारत को पाकिस्तान बनाना था। इसकी योजना पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के लिए बनाई गई थी और यह कुछ हद तक सफल भी हुई। माननीय सर संघचालक जी ने अपने बयान में कहा है […]
भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष क्रान्ति दिवस के रूप में मनाते हैं इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत 10 मई 1857 की संध्या को मेरठ में अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर ने की थी । [6] 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों […]