टीम अन्ना द्वारा ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का नारा लगाते-लगाते ‘सत्ता-परिवर्तन’ और सत्ता को अपने हाथ में लेने का निर्णय एक अंधी सुरंग में प्रवेश है, जहां से लक्ष्य के और दूर होते जाने की संभावना बढ़ती जाती है। सरकार और दूसरे राजनीतिक दल इस पूरी टीम को इसी चुनावी जाल में फंसाने में सफल रहे क्योंकि […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
राकेश कुमार आर्यमनुष्य के जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है। अपने जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा पाना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। हमारे संविधान ने भी संसार के अन्य सभ्य देशों के संविधानों के आधार पर अपने प्रत्येक नागरिक को यह मौलिक अधिकार प्रदान किया है। इसीलिए राज्य के प्रत्येक नागरिक […]
भारत में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 25 जुलाई 2012 को समाप्त हो गया है। इसी महीने देश के 13वें राष्ट्रपति के रूप में प्रणव मुखर्जी को चुना गया। भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान से होता है। जनता की जगह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक […]
लघु से विराट की ओर जाने का संकल्प लेकर भारतीयता लघुता में विराटता का प्रतिबिम्ब देखती है। लघु से विराट की ओर अग्रसर होने का संकल्प ही धर्म है। धर्म को सद्संकल्पों के बंधन से रक्षित किया गया है। रक्षा बंधन का पर्व उसी संकल्पधार्यता का प्रतीक है।रक्षा बंधन पर्व हमें उस भाव की रक्षा […]
भारत सरकार धर्मनिरपेक्षता का बहुत ढिंढोरा पीटती है। सन 1947 से लेकर सन 1993 तक के इन 45 वर्षों के दौरान इस सरकार के आचरण से यह सिद्घ होता है कि यह सरकार वास्तव में धर्मनिरपेक्षता को नही अपना रही है, अपितु इस सरकार के आचरण से यही सिद्घ होता है कि यह हिंदुओं को […]
1948 के बाद भारत में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ ! उसके बाद से अब तक सांप्रदायिक दंगो की झड़ी सी लग गयी ! बात चाहे 1969 में गुजरात के दंगो की हो , 1984 में सिख विरोधी हिंसा की हो, 1987 में मेरठ के दंगे हो जो लगभग […]
राजीव गुप्ताअगर हम बड़े – बड़े साम्प्रदायिक दंगो को छोड़ दे तो भी देश में गत वर्ष हुई सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के मूल में किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओ का आहत होना, सहनशीलता और धैर्य की कमी के साथ – साथ और क्रिया का प्रतीकारात्मक उत्तर देना ही शामिल है ! अभी हाल ही […]
अभी हमारे देश में कांवड़ का क्रम पूर्ण हुआ है। पिछले कुछ सालों से कांवडिय़ों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्घि हुई है। भारत की परंपराएं बहुत महान हैं, किंतु अधिकतर परंपराएं रूढि़वाद की जंग से ढकी हुई हैं, जिससे इन परंपराओं के पीछे का सच बहुत कम लोगों को पता होता है। अपने इसी परंपरावादी […]
गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर के भव्य जीवन का भव्य स्मारक है शांति निकेतन। बहुत समय तक लोग जाने वालों की यादों को सहेज कर रखने का प्रयास किया करते हैं। जाने वालों की समाधियों पर स्मारकों पर उनके चित्रों पर और उनकी यादों पर अपने श्रद्घा पुष्प चढ़ाते रहते हैं। यादों को यहां हमने इसलिए […]
इक़बाल हिंदुस्तानीइतिहास के जानकार बताते हैं कि फ्रांस की महारानी मेरी एंटोनी ने भूख से परेशान लोगों द्वारा एक बार बगावत से पहले राजमहल घेर लेने पर आश्चर्य के साथ लोगों से यह सवाल पूछा था कि अगर रोटी नहीं मिल रही तो क्या हुआ वे केक क्यों नहीं खाते? इसी तरह का मासूम दिखने […]