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सब्सिडी कटौती बनाम राजनीति

रसोई गैस के सब्सिडीयुक्त सिलेंडरों की संख्या एक साल में सीमित कर छह करने के केंद्र के निर्णय के बाद जो राजनीति चली आ रही है, उसने इतने संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता को खत्म कर दिया है। ऐसा करते हुए लगभग सभी पार्टियों ने खुद को हल्का साबित कर दिया। सबसे पहले यह काम कांग्रेस […]

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गौ संवर्धन के उपाय

गौ संवर्धन के उपाय गौवंश संवर्धन व गाय की रक्षार्थ निम्न कार्य किये जा सकते हैं :- 1. गाय की महत्ता का प्रचार जिसमें यह भी आवें कि आने वाले परमाणु युद्घ में भी यदि गाय गोबर से आलिप्त निवास है तो उसकी किरणों का प्रभाव नही के बराबर होगा आदि। 2. मुसलमान तथा गैर […]

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राष्टट्रद्रोह और व्यवस्था परिवर्तन

राकेश कुमार आर्यजब नक्सलवादी हिंसा 6 मार्च 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हमारे 76 जवानों को शहीद कर दिया तो उसके पश्चात सारा देश इस हिंसा के विरूद्घ आवाज उठाने लगा कि इन हिंसक और अत्याचारी नक्सली राक्षसों के विरूद्घ देश की सुरक्षा के हित में कठोर कदम उठाये जायें। परंतु हमारे गृहमंत्री पी […]

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माटी-मानुष के लिए एफडीआई का विरोध

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का वर्तमान केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का निर्णय अपने आप में न केवल एक अभूतपूर्ण निर्णय था अपितु 1 अक्टूबर को दिल्ली की जंतर-मंतर पर उनके द्वारा की गयी रैली में उमड़ी भीड़ को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है आज भी उनके लिए माटी-मानुष कितना महत्वपूर्ण है […]

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गांधीगिरी सुनने में ही अच्छी, जीवन में ढालना मुश्किल

सिद्धार्थ शंकर गौतमवर्तमान पीढ़ी के लिए गांधी दर्शन और उनके आदर्शों पर चलना ठीक वैसा ही है जैसे नंगे पैर दहकते अंगारों पर चलना। चूंकि गांधी द्वारा दिखाया गया सत्य और नैतिकता का मार्ग अत्यंत दुष्कर है व बदलते सामाजिक व आर्थिक ढांचे में खुद को समाहित नहीं कर सकता लिहाजा यह उम्मीद बेमानी ही […]

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अन्ना और रामदेव भ्रष्टाचार दूर करने के लिए सरकार को बताएं लोकतंत्र को बना दो, विद्वानों का शासन

राकेश कुमार आर्यभगवान कृष्ण की गीता और हमारे वेद व्यक्ति को निष्काम कर्म का सदुपदेश देते हैं। निष्काम कर्म वे हैं जिन्हें व्यक्ति लोककल्याण के भाव से करता है और करने के बाद भूल जाता है। जब निष्कामता का यह भाव शासन का आधार बन जाता है तो वह शासन लोककल्याण कारी शासन बन जाता […]

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पिता शब्द की धातु और निरूक्ति द्वारा व्याख्या

आचार्य ब्र.नंदकिशोरपिता- ‘पा रक्षणे’ धातु से ‘पिता’ शब्द निष्पन्न होता है। ‘य: पाति स पिता’ जो रक्षा करता है, वह पिता कहलाता है। यास्काचार्य प्रणीत निरूक्त में लिखा है-‘पिता पाता वा पालयिता वा’-नि. 4। 21। ”पिता-गोपिता”-नि. 6। 15 पालक, पोषक और रक्षक को पिता कहते हैं।पिता की महिमा व गरिमावैदिक शास्त्रों, मनुस्मृति वाल्मीकि रामायण, महाभारत […]

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हिंदी के लिए बर्बादी का कारण बनी हिंग्लिश

राजेश कश्यपआजकल राष्ट्रभाषा हिन्दी बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। वैश्विक पटल पर अपनी प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही हिन्दी के समक्ष भारी धर्मसंकट खड़ा हो चुका है। इस धर्मसंकट का सहज अहसास भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राजभाषा विभाग की सचिव वीणा उपाध्याय द्वारा गतवर्ष […]

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सुशासन बाबू के किले में सुरंग

ढोल का पोल खुल गया है। यह कहावत बिहार में चरितार्थ हो रहा है। नीतीश कुमार के सुशासन के गुब्बारे में लगता है कि पिन लग गई है। ऐसा इसलिए कि मजबूत किलेबंदी के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता के मिथ आजकल राष्ट्रीय मीडिया में टूट कर बिखर चुका है। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही […]

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30 सितंबर को पचासवीं पुण्यतिथि पर विशेष

अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए जिन स्वदेश प्रेमी राष्ट्रभक्तों ने सतत संघर्ष किया-उनमें महात्मा गांधी, महामना पं. मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की श्रंखला में ही एक विभूति थे लाला हरदेवसहाय। इस महान विभूति ने अपना सर्वस्व स्वदेश, स्वदेशी व स्वाधीनता के लिए जीवन अर्पित कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के […]

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