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गाय, गांधीजी और कांग्रेस

राकेश कुमार आर्यगोडसे और गांधीजी दोनों में एक ‘उभयनिष्ठ’ गुण ये था कि वे दोनों गौभक्त थे। गांधीजी की गौभक्ति को कांग्रेस ने मार दिया, और गांधीजी की यह सैद्घांतिक हत्या भी उनके परम शिष्य नेहरू के शासन काल में ही कर दी गयी। गांधीजी की कांग्रेस में सन 1921 से कई बार गोरक्षा को […]

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‘अराष्ट्रीय राष्ट्रीयता’ का दूषित परिवेश

स्वतंत्रता आंदोलन के काल में जो लोग अंग्रेजों की चाटुकारिता करते हुए राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी सक्रियता प्रदर्शित कर रहे थे, उनकी इस दोहरी मानसिकता पर पहला और प्रबल प्रहार करने वाले लोकमान्य तिलक थे। उन्होंने ऐसे लोगों के विषय में कहा था-”यह लोग उत्कट देशभक्त हैं, लेकिन इनकी राष्ट्रीयता ही अराष्ट्रीय है।” ”क्यों?” इसलिए […]

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भारतीय नारियों की भारत भूमि: डा0 इन्द्रा देवी

भारत के महापुरूषों ने दूर दूर तक अपनी संस्कृति को फैलाया। वे शस्त्र नही प्रेम को लेकर आगे बढे। उन्हे न रथ की आवश्यकता पडी न धुडसवारों की उनके विचार ही पादातिक थे। वे चींटी को बचाकर चले तथा पशु बल को सदैव नगण्य समझा निपट अन्यों ने उनको अपना और अनन्य गिना। यही संस्कृति […]

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मेवाड़ के महान राजा: महाराणा प्रताप सिंह

1. महाराणा प्रताप का परिचय !जिनका नाम लेकर दिन का शुभारंभ करें, ऐसे नामों में एक हैं, महाराणा प्रताप । उनका नाम उन पराक्रमी राजाओं की सूची में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है, जो देश, धर्म, संस्कृति तथा इस देश की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु जीवन भर जूझते रहे ! उनकी वीरता की पवित्र स्मृति […]

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सावरकर अनूठे व्यक्तित्व के धनी थे

भानुप्रताप शुक्लकांग्रेस ही नही, कम्युनिस्ट सहित सभी अल्पसंख्यक परस्त सेकुलरिस्ट पार्टियां देशभक्ति की दौड़ भी सांप्रदायिकता की पटरी पर ही दौड़ाती है। उनके लिए महान वही है जो बहुसंख्यकों की बात बिल्कुल नही, केवल अल्पसंख्यकों की बात करे। जो स्वहित एवं दलहित को राष्ट्रहित से ऊपर रखे और अल्पसंख्यकवाद का नाद करे। कांग्रेस और वामपंथी […]

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वीर सावरकर के आदर्श शिवाजी थे

प्रो. देवेन्द्र स्वरूपपहला 30 अगस्त 1911 को लिखा दूसरा 13 नवंबर 1913 को तीसरा 10 सितंबर 1914 को चौथा 2 अक्टूबर 1917 को पांचवा 24 जनवरी 1920 को छठा 31 मार्च 1920 को। क्या उन्होंने कभी सोचा कि सावरकर के बार बार दया की याचिका करने पर भी अंग्रेज शासकाकें ने उनको जेल से रिहा […]

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मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: से ‘ओल्ड एज होम’ तक

डा. इन्द्रा देवी शब्दकोश का सबसे मार्मिक शब्द मॉं है। मातृ, मदर, आई बेबे, माती, नैने, अम्मी आदि  इसके पर्यायवाची हैं।  पृथ्वी को माता और आकाश को पिता कहा जाता है। पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जन इनके पुत्र हैं राष्ट्र भक्ति का परिचय भी भारत माता के रूप मेें ही देते है। स्वामी दयानन्द […]

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शाश्वत है मां

एक और मातृनवमी बीत गयी। फिर मैंने अपनी मां का श्राद्घ नही किया। क्योंकि मैं नही मानता कि वे मेरे साथ नही हैं। मृत्यु सिर्फ देहावसान है। आत्मा तो अमर है। बीस बरस हुए अम्मा को गुजरे। पर हर वक्त हर दिन वो मेरे साथ रही हैं। खुशी गम, अच्छे बुरे, सबमें। मेरा मानना है, […]

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गुरुकुल की परंपरा फिर शुरू हो रही है

शिक्षा और तकनीक को आज सबसे जरूरी चीज मानने वाले शायद इस खबर पर थोड़ी त्योरी चढ़ाएं लेकिन रामायण और महाभारत भी अब युवाओं की जरूरत और संभावनाएं बनेंगे। धार्मिक इतिहास को धर्मग्रंथों में होने और दादी-नानी की कहानियों, साधु-महात्माओं के प्रवचनों में सुनने के अलावा अब खासकर युवा इसमें अपना भविष्य बनाएंगे..और यह सब […]

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अपराध बढऩे के मुख्य कारण

आज मौत कितनी सस्ती हो गयी है कि ऐसे कई गिरोह सक्रिय है जो सिर्फ चन्द रुपयो के लिए किसी की भी हत्या कर देते है फिर चाहे जिसकी हत्या करानी है वह कोई भी क्यों न हो वे यह भी नही सोचते कि उस व्यक्ति कि हत्या से कितने बच्चे अनाथ हो जायेंगें उसके […]

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