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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत में राज्योत्पत्ति का मूल कारण रही है-स्वतंत्रता

राज्योत्पत्ति का भारतीय सिद्घांतभारत के विषय में पिछले लेख में हम उल्लेख कर रहे थे कि भारत प्राचीनकाल से ही स्वतंत्रता प्रेमी देश रहा है। एक समय ऐसा था जब आर्यावर्त्त में राज्य और राजा नही होते थे। देश का शासन धर्म से शासित होता था। शनै:-शनै: इस व्यवस्था में विकार उत्पन्न हुआ और समाज […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

दासता के उस कथित काल में भी हम बना रहे थे-अंकोरवाट

भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार-प्रसार मानवता का प्रचार-प्रसार था। मेधा के उपासक रहे हमारे पूर्वजों ने विदेशों को भी मेधा का उपासक बनाकर सुशिक्षित और सुसंस्कारित विश्व समाज के बनाने में सहयोग दिया। जीतकर भी विनम्र और मर्यादित रहना भारत की ही परंपरा है, अन्यथा तो लोग जीत में आपा खो देते हैं, पराजित […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमारा सम्राट और परिव्राट चीन को प्रभावित करत रहा

जब हम भारत वर्ष क अतीत क विषय मं जानन की इच्छा करत हैं, तो हमाराप्रचलित इतिहास हमं आज क खण्डित भारत की सीमाओं मं रहन क लिए ही बाध्यकरता है। इतिहास स शत्रुलखकों न उन गौरवपूर्ण पृष्ठों को विलुप्त कर दियाहै, जो ‘वृहत्तर-भारत’ का आभापूर्ण और शोभायमान चित्र प्रस्तुत कर सकतहैं।वृहत्तर भारत का वह […]

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कश्मीर की देशभक्ति ने दो बार धूल चटाई थी महमूद गजनवी को

राजाओं की गौरवपूर्ण श्रंखला से कश्मीर का इतिहास भरा पड़ा है। जब हम कश्मीर के इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों का अवलोकन करते हैं तो ज्ञात होता है कि भारतीय संस्कृति को अपनी गौरव-गरिमा से लाभान्वित करने में कश्मीर के राजाओं ने महत्वपूर्ण योगदान किया। चूंकि यह योगदान अब से 1000 वर्ष पूर्व या उससे भी […]

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हिन्दू ध्वजवाहक कश्मीर के वो गौरवशाली हिन्दू शासक

कश्मीर के गौरवशाली हिंदू इतिहास के विषय में हमने पिछले लेखों में सूक्ष्म सा प्रकाश डाला था। अब पुन: कश्मीर की उस केसर को इतिहास के गौरव पृष्ठों पर खोजने का प्रयास करते हैं, जिसकी सुगंध ने इस स्वर्गसम पवित्र पंडितों की पावन भूमि को भारतीय इतिहास के लिए श्लाघनीय कार्य करने के लिए प्रेरित और […]

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‘काश! इतिहास हमारे अवगुणों में भी ‘इतिहास’ खोजता’

मनुष्य के वैभव काल में उसके ‘सदगुण’ उसकी ढाल बनते हैं, जो हर प्रकार की आपदा से उसकी रक्षा करते हैं। परंतु पराभव काल में वही सदगुण उस व्यक्ति की विकृति  बन जाते हैं। स्वातंत्रय वीर सावरकर ने ‘सद्गुण विकृति’ की इस रहस्यमयी पहेली को भारतीय इतिहास के संदर्भ में बड़ी सावधानी और विवेकशीलता से स्पष्ट किया है। दीये की आवश्यकता […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हमें भारतीयों की दिग्विजयों से परिचित नही कराया जाता

भारतीय इतिहास को अत्यंत दुर्बल और कायर हिंदू जाति का इतिहास सिद्घ करने के लिए तथा यहां 1235 वर्ष तक चले स्वतंत्रता संघर्ष को उपेक्षित करने के लिए हमें भारतीय शासकों के विश्व विजयी अभियानों से अथवा उत्सवों से परिचित नही कराया जाता है। देश की महानता के मापदण्ड जब आप किसी जाति के इतिहास […]

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आदि शंकराचार्य और मंदिर संस्कृति ने पढ़ाया एकता का पाठ

छोटे-छोटे राज्य व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बनाते हैं। व्यक्ति अपने राज्य के लोगों को ही अपना मानता है, और बाहरी लोगों ‘परदेशी’ मानता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए इसीलिए संपूर्ण भूमंडल को ‘एक देश’ या एक परिवार बनाने हेतु आर्यावर्त्तीय राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित करने का आदर्श लक्षित किया। व्यक्ति […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा

राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है।वेद का […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अपने स्वतन्त्रता सैनानियों को हमने बना दिया आदिवासी व जनजाति इत्यादि

गतांक से आगे… भारतीय इतिहास को विकृतीकरण से उबारने का आवाहन करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अब यह हमारे लिए है कि (इतिहास की) शोध का हम अपना व्यक्तिगत स्वतंत्र मार्ग अपनावें और वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ऐतिहासिक गृथों का अध्ययन करें, और जीवन की साधना बना देश का भारत भूमि […]

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