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गौ और गोवंश

अरावली पर्वत की रानी : सिरोही गाय

आर्य सागर खारी गाय का घी उत्तम रसायन है, लेकिन बात जब गायों की दर्जनों देसी प्रजातियों मैं किसका घी उत्तम माना जाए ? तो वहां साहीवाल राठी गिर जैसी उत्तम नस्लों को पीछे छोड़ते हुए मध्यम आकार की सफेद सलेटी कबरे रंग की देसी गाय की अनोखी नस्ल नारी बाजी मार लेती है। इस […]

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गौ और गोवंश भारतीय संस्कृति

गांव दर्शन में धर्म दर्शन’

=============== भारत की आत्मा गांवों में बसती है । वैदिक कालीन परंपराओं संस्कृति की कुछ झलकियां आज भी गांवो में दिखाई देती हैं। यह छवि हमारे गांव के चैत्य ( देव) स्थल जिसे ग्रामीण’ प्राचीन झीडी तपोभूमि ‘कहते हैं की है। जिसमे स्थित असंख्य पेड़ों में से एक मंजूफल के पेड़ पर एक वानर बैठा […]

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गौ और गोवंश

हरिद्वार में हिंदुओं ने जब घोषणा कर दी थी – चाहे जो हो जाए पर गाय हत्या नहीं होने देंगे

गौरक्षा के लिए बलिदान बलिदान पर्व – 8 फरवरी सन 1920 ई. सन 1918 में ग्राम कटारपुर, हरिद्वार के मज़हबी गौ हत्यारों ने बकरीद पर सार्वजनिक रूप से गौहत्या की घोषणा की, मायानगरी हरिद्वार के मायापुरी क्षेत्र में कभी ऐसा घोर अनर्थ नहीं हुआ था. अतः हिन्दुओं ने तत्कालीन स्थानीय ज्वालापुर थाने पर शिकायत की, […]

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गौ और गोवंश

‘गौ घृत और यज्ञ’

=========== *ताहवन दीदिवः प्रतिष्म रिषतो दह। अग्ने त्वं रक्षस्विनः*।। घी से प्रदीप्त यज्ञाग्नि, हमारे प्रतिकूल शत्रुओं और दोषों को सर्वथा भस्म करने में समर्थ है। *जिघम्र्यग्निं हविषा घृतेन प्रतिक्षियन्तं भुवनानि विश्वा*।। सम्पूर्ण लोकों का आधार, प्रत्येक पदार्थ में विद्यमान अग्नि को मैं होम के योग्य घी से प्रदीप्त करता हूँ। *यत्र सोमः सूयते यत्र यज्ञो […]

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गौरक्षा पर प्रश्न चिह्न क्यों ?

गौरक्षा का प्रश्न उठते ही हिन्दू विरोधी दल सक्रिय हो उठते हैं। 1967 में गौरक्षा की मांग पर इंदिरा गांधी ने सैंकड़ों निरपराध हिन्दू स्त्री पुरुषों को गोली से मरवा दिया । कुछ साल पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो० डी. एन. झा ने “Holy Cow : Beef in Indian Dietary Traditions” नामक पुस्तक लिखी। उसमें […]

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गौ और गोवंश

गाय बिना गोदान

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’ गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के लिए गोदान। इन दोनों गोदानों में गाय का जिक्र है साथ ही आज के दौर में परिवर्तन की शुरुआत हो गई […]

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गौभक्तों का महानतम बलिदान. शोर्य दिवस – 18 सितम्बर, 1918 ई. कटारपुर, हरिद्वार,

. सन 1918 में ग्राम कटारपुर, हरिद्वार के मुसलमानों ने बकरीद पर सार्वजनिक रूप से गोहत्या की घोषणा की, मायानगरी हरिद्वार के मायापुरी क्षेत्र में कभी ऐसा घोर अनर्थ नहीं हुआ था. अतः हिन्दुओं ने ज्वालापुर थाने पर शिकायत की, पर वहां के थानेदार मसीउल्लाह तथा अंग्रेज प्रशासन की शह पर ही यह सब कुकर्म […]

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आयें जाने अमृत गौदुग्ध की महिमा को !!* *!! गौदुग्ध यानि देशी गाय के दूध !!*

       ✦ *संस्कृत में दूध के तीन मूल नाम मुख्यत:-* *इस प्रकार प्रचलित हैं :–* *दुग्ध, क्षीर और पय।* *‘दुग्धं क्षीरे पूरिते च’, ‘क्षीरं पानीयदुग्ध यो: पयः क्षीरे च नीरे च’* *इन तीनों नामों की व्युत्पत्तियां संस्कृत में बहुप्रचलित हैं। इनके अलावा दूध के हजारों विशेषण नाम संसार की हर भाषा में प्रयोग […]

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1966 के गोरक्षा आंदोलन में हरियाणा के आर्य जनों का योगदान

विरजानंद दैवकरणि, डॉ. रघुवीर वेदालंकार गोरक्षार्थ हरयाणा से जत्थे निरन्तर जा रहे थे। ९ सितम्बर १९६६ को जत्थेदार स्वामी सन्तोषानन्द जी ( रेवाड़ी ) के नेतृत्व के कुछ व्यक्तियों ने सत्याग्रह किया। गुरुकुल झज्जर के ब्रह्मचारी तथा कर्मचारी पूर्णरूपेण इस आन्दोलन के प्रति समर्पित थे। आचार्य भगवान्देव जी तो अपना समस्त समय गुरुकुल से बाहर […]

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गोधूल बेला की शास्त्र सम्मत विवेचना

डा. राधे श्याम द्विवेदी गोधूलि शब्द का अर्थ है – गो + धूल = अर्थात गायों के पैरों से उठने वाली धूल। पुराने समय में जब गायें जंगल से चरकर वापस आती थीं तो पता चल जाता था कि शाम होने वाली है। इसलिए इस समय विशेष को गोधूलि बेला कहने लगे। अर्थात संध्या का […]

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