Categories
संपादकीय

स्वतंत्रता राष्ट्रीय नमक हरामी के लिए नहीं है

छद्म धर्म निरपेक्षता से लकवाग्रस्त कांग्रेस और उसके कुछ अन्य समान विचारधारा वाले दलों का मानना है कि राजनीति (वास्तव में राष्टï्रनीति) से भला भगवाधारी संतों का क्या संबंध? राजनीति को यदि हम राष्टï्रनीति के रूप में लें और राजनीति को भी व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म स्वीकार कर लिया जाए तो भी ऐसा संभव […]

Categories
संपादकीय

नोबेल पुरस्कार की कहानी

आज की दुनिया में नोबेल पुरस्कार सबसे बड़ा पुरस्कार है। इसे प्राप्त करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। बड़े भागीरथ प्रयासों से ही किसी सौभाग्यशाली को यह पुरस्कार मिलता है। इस पुरस्कार को पाने की जितनी इच्छा लोगों में रहती है उतनी ही इच्छा इसके विषय में ये जानकारी लेने की होती है […]

Categories
संपादकीय

भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता : गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर

भारत की पावन धरती पर कितनी ही महान विभूतियों ने जन्म लिया है, कितने ही विदेशी महापुरूषों ने इस पावन धरती को अपनी कर्म स्थली बनाया है। प्राचीन काल से ही भारत की पावन धरा ने मातृवत मानवता को अपने पुनीत पयोधर से पावन पयपान कराकर उसे सत्कृत्यों के लिए प्रेरित किया और संसार को […]

Categories
संपादकीय

भूअधिग्रहण पर संसदीय समिति की सिफारिशें

भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्टï्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहीत नहीं कर […]

Categories
संपादकीय

क्रांतिकारियों का वो वन्दनीय आध्यात्मिक राष्ट्रवाद

वीरता का निन्दन और कायरता का वंदन केवल भारत में ही होता है। 1947 के क्षितिज पर तनिक मेरी आंखों में आंख डालकर देखो तो सही अनेकों वीर क्रांतिकारी और राष्ट्रभक्त  बलिदानी पर्दे के पीछे से उचक उचक कर हमसे कहे जा रहे हैं- हमें याद रखना, भूल मत जाना। जितनी दूर हमसे 1947 होता जा […]

Categories
संपादकीय

भारत को कैसे मिले अब तक के अपने राष्ट्रपति

रायसीना हिल्स पर बना राष्ट्रपति  भवन गणतांत्रिक भारत के हर ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना है। आजादी से पूर्व इसे वायसरीगल हाउस के नाम से जाना जाता था। लेकिन 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.15 बजे जब डा. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति  के रूप में शपथ लेकर गणतांत्रिक भारत के राजपथ पर कदम रखे […]

Categories
संपादकीय

हम विश्व के सुदृढ़तम लोकतंत्र बन जाएं

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा की अंतिम बैठक में कहा था-भारत की सेवा का अर्थ है लाखों करोड़ों पीडि़त लोगों की सेवा करना, इसका अर्थ है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना, हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति (महात्मा गांधी) की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर आंख से आंसू मिट जाएं। शायद ये […]

Categories
संपादकीय

अखिलेश राजधर्म निभायें:जनता उनके साथ है

स्वामी रामदेव के विषय में एक कांग्रेसी कुछ लोगों के बीच बैठकर अपनी भड़ास निकाल रहे थे और कह रहे थे कि साधुओं का भला राजनीति से क्या मतलब है? ये लोग राजनीति से दूर रहें और अपने हवन भजन में ध्यान दें।मैं सोच रहा था कि ऐसा दृष्टिïकोण इन लोगों का भारत के हिंदू […]

Categories
संपादकीय

गाय के उपलों से हवन?

पिछले अंक में हमने एक लेख गाय के विषय में दिया था। जिसमें लेखक खुशहालचंद आर्य ने गाय के उपलों से हवन करने की बात कही है। इस पर कुछ लोगों की प्रतिक्रिया आयी कि ऐसा करने से प्रदूषण अधिक होगा। अत: इसलिए उपलों से हवन नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही ऐसे लेख प्रकाशित […]

Categories
संपादकीय

शिक्षा का उद्देश्य अभी भी स्पष्ट नहीं

पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने शिक्षा पर सबका समान अधिकार मानते हुए इस दिशा में कुछ कदम उठाये हैं। गरीबों को भी अब निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढाने का अवसर मिलेगा। सरकार की नीति है कि पिछड़ा और दलित समाज भी शिक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत बना सके, इसलिए उस क्षेत्र […]

Exit mobile version