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धर्म-अध्यात्म

प्रत्येक मनुष्य को देश व समाज को सुदृढ़ करने का कार्य करना चाहिए

ओ३म् ============= हमारा जन्म भारत में हुआ। अनेक मनुष्यों का जन्म भारत से इतर अन्य देशों में हुआ है। सभी मनुष्यों का एक सामान्य कर्तव्य होता है और अधिकांश इसका पालन भी करते हैं कि जो जिस देश में उत्पन्न होते हैं वह उस देश की उन्नति व सम्पन्नता सहित उसकी रक्षा और उसके सम्मान […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदों में सच्चा अध्यात्मवाद है जो देशवासियों को देशभक्त बनाता है

ओ३म् ========== वेद ही विश्व में अध्यात्म का आदि वा सर्वप्राचीन ग्रन्थ है। ईश्वर, जीव व प्रकृति विषयक त्रैतवाद का सिद्धान्त वेद की ही देन है। सभी विद्वानों की अपनी-अपनी योग्यता होती है। बहुत से विद्वान बहुत से विषयों को नहीं जान पाते। ऐसा ही वेदपाठी व वेदों के अध्ययनकर्ता विद्वानों के साथ भी हुआ। […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य अपने अपने जन्मों को उन्नत और श्रेष्ठ बनाने के लिए क्या करे ?

ओ३म् ========== मनुष्य एक चेतन व अल्पज्ञ आत्मायुक्त शरीर को कहते हैं जिसके पास दो हाथ व दो पैरों सहित बोलने के लिये वाणी होती है तथा एक विवेकवान व मनन करने की क्षमता से युक्त बुद्धि व मस्तिष्क होता है। मनुष्य की मृत्यु होने पर उसका शरीर अन्त्येष्टि कर्म के द्वारा नष्ट होकर अपने […]

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आर्य समाज देहरादून का दिनांक 19 जनवरी 2020 का साप्ताहिक सत्संग

ओ३म् “गुरु वह होता है जो अपने भक्तों को परमात्मा से जोड़ता हैः शैलेशमुनि सत्यार्थी” ============= हमें आज दिनांक 19-1-2020 को आर्यसमाज धामावाला, देहरादून के साप्ताहिक सत्संग में जाने का अवसर मिला। इसका एक कारण आर्यसमाज में हरिद्वार के सुप्रसिद्ध आर्य विद्वान श्री शैलेश मुनि सत्यार्थी जी का व्याख्यान था। प्रातः आर्यसमाज की यज्ञशाला में […]

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वेदविहित विधि से ईश्वरोपासना न करने से जन्म परजन्मों में हानियां

ओ३म् ========== मनुष्य को उपासना की आवश्यकता क्यों है? इसके अनेक कारण हैं। मुख्य कारण तो उपासना से हमें उपास्य ईश्वर के सद्गुणों का ज्ञान होने सहित ईश्वर से अपनी जीवन यात्रा को सुगम रीति से चलाने में मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है। ईश्वर उपासक निर्धन व दरिद्र नहीं होता। ईश्वर की उपासना से उपासक […]

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हमें ईश्वर को जगत में उसकी चेष्टाओं और क्रियाओं के द्वारा देखना चाहिए

ओ३म् ========== परमात्मा ने हमें मानव शरीर और इसमें पांच ज्ञानेन्द्रियां एवं पांच कर्मेन्द्रियां दी हैं। हमारे नेत्र हमारी ज्ञानेन्द्रिय है जो हमें स्थूल दृश्यों का दर्शन कराती हैं। अपने नेत्रों से हम स्वयं को व दूसरे मनुष्यो, अन्य प्राणियों एवं पृथिवी, वृक्ष, सूर्य, चन्द्र, जल आदि पदार्थों को देखते हैं। वेद से हमें ज्ञात […]

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वेद विज्ञान और भारत का इतिहास

संस्कृत भाषा से भारत वासियों की दूरी बनाकर विदेशी लेखकों , विद्वानों , साहित्यकारों और इतिहासकारों को भारत और भारत के बारे में झूठी और भ्रामक धारणाएं स्थापित करने का अच्छा अवसर उपलब्ध हुआ । भारत वासियों ने अज्ञानता के कारण और पश्चिमी जगत के विद्वानों को ही विद्वान मानने की अपनी मूर्खता के कारण […]

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वेदों को हानि ब्राह्मण कुलीन उन पंडितों से हुई जिन्होंने सत्य वेदार्थ का अनुसंधान एवं प्रचार नहीं किया

ओ३म् ========== वेदों का आविर्भाव सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा से हुआ था। सृष्टि के आरम्भ में न कोई भाषा थी न ही ज्ञान। ज्ञान भाषा में ही निहित होता है। मनुष्यों की प्रथम उत्पत्ति से पूर्व भाषा व ज्ञान का होना असम्भव व अनावश्यक था। भाषा तो मनुष्यों की उत्पत्ति के बाद ही हो […]

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धर्म-अध्यात्म

हमें ईश्वर के सत्य स्वरूप की ही उपासना करनी चाहिए असत्य की नहीं

ओ३म् ========== किसी भी वस्तु या पदार्थ का स्वरूप कुछ विशिष्ट गुणों को लिये हुए होता है। उन गुणों को जानकर उसके अनुरूप उसके बारे में विचार रखना व उसका सदुपयोग करना ही उचित होता है। ईश्वर भी एक द्रव्य व पदार्थ है जिसमें अपने कुछ गुण, कर्म व स्वभाव आदि हैं। हमें ईश्वर के […]

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यदि ईश्वर सृष्टि ने बनाता तो क्या होता ?

ओ३म् ========== हम इस संसार में रहते हैं और हमसे पहले हमारे पूर्वज इस सृष्टि में रहते आये हैं। संसार में प्रचलित मत-मतान्तर तो कोई लगभग दो हजार और कोई पन्द्रह सौ वर्ष पुराना है, कुछ इनसे भी अधिक प्राचीन और कुछ अर्वाचीन हैं, परन्तु यह सृष्टि वैदिक मत व गणना के अनुसार 1.96 अरब […]

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