परमात्मा किसको संरक्षित करता है? परमात्मा किसको सहन करता है? सरकारें किसको संरक्षित करती हैं? सरकारें किसको सहन करती हैं? स शेवृधमधि धा द्युम्नमस्मेमहि क्षत्रं जनाषळिन्द्रतव्यम्। रक्षा च नोमघोनः पाहिसूरीन्राये च नः स्वपत्याइषे धा।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.11 (सः) वह (शेवृधम्) प्रसन्नता देता और बढ़ाता है (अधि धाः) अधिकता में धारण करता है (द्युम्नम्) गौरवशाली सम्पदा (अस्मे) […]
श्रेणी: आज का चिंतन
हमारे मन की वृत्तियों का नाश करके कौन हमें दिव्यता की ओर जाने के योग्य बनाता है? मन की वृत्तियों का क्या स्तर है? अपामतिष्ठद्धरुणह्वरंतमोऽन्तर्वृत्रस्य जठरेषुपर्वतः। अभीमिन्द्रोनद्योवव्रिणाहिताविश्वाअनुष्ठाः प्रवणेषुजिघ्नते।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.10 (अपाम्) जल के, लोगों के (अतिष्ठत्) स्थापित, रूकता है (धरुण ह्वरम्) बुराईयों को धारण करने वाला (तमः) अन्धकार (अन्तः) अन्दर (वृत्रस्य) मेघ, मन की वृत्तियाँ […]
अभी तक मुस्लमान यही मानते आये हैं कि कुरान अल्लाह द्वारा भेजी गयी अंतिम किताब है , और सभी धर्मग्रंथों को निरस्त करने वाली है ,इसी लिए सभी को कुरान पर ईमान रखना चाहिए , मुस्लमान ऐसा इसलिए मानते हैं ,क्योंकि उनको बचपन से ही यही समझाया जाता है , मौजूदा कुरान 23 वर्षों में […]
-आर्यवीर आर्य पूर्वनाम मुहम्मद अली (शास्त्रार्थ महारथी अमर स्वामी जी के ट्रैक्ट जिहाद के नाम पर कत्लेआम नामक ट्रैक्ट पर आधारित) सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो मेरे देखने में आया। इसमें एक मोमिन यह दिखा रहा है कि वेदों में कत्लेआम, मारकाट, हिंसा का सन्देश दिया गया हैं। मोमिन का कहना है कि […]
लेखक- महात्मा नारायण स्वामी प्रस्तुति- दीपक हाडा, प्रियांशु सेठ संसार के अधिकतर मनुष्य आध्यात्मिकता को अच्छा समझते हैं, परन्तु बहुत थोड़े मनुष्य ऐसे मिलेंगे जो शब्द को अच्छा मानने के साथ इनका प्रायोजन भी समझते हैं। मानव का बाह्य भाग शरीर है तथा भीतरी भाग आत्मा, अत: आध्यात्मिकता शब्द ही (जो आत्मा से सम्बन्धित है) […]
पूर्ण समर्पण का क्या महत्त्व है? असमं क्षत्रमसमामनीषाप्रसोमपाअपसासन्तुनेमे। ये त इन्द्रददुषो वर्धयन्तिमहि क्षत्रं स्थविरंवृष्ण्यंच।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.8 (असमम्) असमानान्तर (क्षत्रम्) शक्ति, बल (असमा) असमानान्तर (मनीषा) बुद्धि (प्र – सन्तु से पूर्व लगाकर) (सेमपा) शुभ गुणों का संरक्षक (अपसा) गतिविधियों के साथ (कल्याण की) (सन्तु – प्र सन्तु) अत्यधिक बड़े हुए (नेमे) ये (ये) वे (ते) आपके […]
_* सफलता की इमारत बहुत समय पहले की बात है, एक विख्यात ऋषि गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। उनके गुरुकुल में साधारण परिवार के लड़को से लेकर बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के पुत्र भी पढ़ा करते थे। वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और […]
प्रियांशु सेठ [एक मित्र ने शंका रखी है कि क्या इन्द्रिय-संयम अर्थात् ब्रह्मचर्य का पालन जीवन में अनिवार्य है? इस लेख के द्वारा इस शंका का समाधान किया जा रहा है।] वेदादि सत्य शास्त्रों ने मोक्ष-मार्ग के पथिक के लिए ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य बताया है। एक साधक के लिए इन्द्रिय-संयम उसी प्रकार आवश्यक है, […]
एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गए। वहाँ शिकार खलते-खेलते एक दूसरे से बिछड़ गये। राजा कहीं ओर, सिपाही दूसरी ओर। एक दूसरे को खोजते हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँचे। राजा ने उन्हें प्रणाम कहा और अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा। नेत्र […]
Dr DK Garg बचपन में महाशय मामचंद भजनीक एक भजन सुनाया करते थे अखिल विश्व कल्याणकारी,वेद सभा घर घर हो, ओम पताका फैराए जो, आर्य समाज अमर हों मुझे पिताजी अपने साथ पारायण यज्ञ में ले जाया करते थे और गुरुकुल के ब्रह्मचारियों का वेद पाठ मुझे प्रभावित करता था,इसी आलोक में मैं पीछे 18 […]