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गीता के मूल 70 श्लोकों का काव्यानुवाद

गीता मेरे गीतों में , गीत 45 ( गीता के मूल ७० श्लोकों का काव्यानुवाद)

अहं पदार्थ मानव मर्त्य हैं जग में , आते और चले जाते । अमर्त्य तो केवल ईश्वर है सब गीत उसी के ही गाते।। ज्ञानी जन कहें हमको कीर्ति की ना इच्छा है। उन्नति में बाधक है कीर्ति ,कथन ऋषियों का सच्चा है ।। जितने भर भी हुए महात्मा , सबकी इच्छा एक रही। हम […]

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गीता के मूल 70 श्लोकों का काव्यानुवाद

गीता मेरे गीतों में – गीत 44 ( गीता के मूल 70 श्लोकों का काव्यानुवाद )

ज्ञान का रहस्य कान सुनना चाहे नहीं, नाक दे क्रिया छोड़। रसना चखना छोड़कर , लेवे मुखड़ा मोड़ ।। बोले से भी बोले नहीं, मेरी जिह्वा ऐसी होय। स्पर्श छूना छोड़ दे , और पैर भी निश्चल होय।। हाथ पकड़ना छोड़ दे , और काम विदा हो जाय। हष्ट – पुष्ट हों इंद्रियां पर काम […]

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