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विशेष संपादकीय

21वीं सदी में 14वीं सदी की सोच

21वीं सदी का मानव अपने आपको सुसभ्य मानता है, इसलिए अन्याय, अत्याचार, शोषण और दमन को बहुत से भ्रांतिवश 14वीं शताब्दी की बात मानते हैं, परंतु आज भी इस धरती से अन्याय और अत्याचार, शोषण और दमन समाप्त नही हुए हैं, अपितु कहीं-कहीं तो बहुत ही भयावह रूप में हमारे बीच खड़े हैं। इनकी उपस्थिति […]

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