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बिखरे मोती

धृति विवेक के कारनै, सज्जन कीर्ति पाय

बिखरे मोती भाग-73गतांक से आगे….वध के योग्य शत्रु को,अगर न मारा जाए।बदला लेवै एक दिन,फिर पीछे पछताय ।। 796 ।। बच्चे बूढ़े श्रेष्ठजन,इन पर क्रोध को रोक।दखल जरूरी हो अगर,तो बड़े प्यार से टोक।। 797।।मूरख से उलझै नही,सत्पुरूष वक्त टलाय।धृति विवेक के कारनै,सज्जन कीर्ति पाय ।। 798।। सुख समृद्घि दरिद्रता,यह कर्मों का खेल।कहीं मूरख भी […]

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