शिवाजी के पत्र का जयसिंह पर नही पड़ा कोई प्रभाव हमने पिछले आलेख में शिवाजी के उस पत्र को उल्लेखित किया था, जो उन्होंने जयपुर के राजा जयसिंह के लिए लिखा था। उस पत्र के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि शिवाजी मराठाभक्त नहीं हिंदू और हिंदूस्थान के भक्त थे। पर दुर्भाग्य की बात […]
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भारत के राष्ट्रनायकों और इतिहास पुरूषों के साथ जो अन्याय हमारे इतिहासकारों और आज तक के दुर्बल नेतृत्व ने किया है, संभवत: उसी के विषय किसी कवि ने कितना सुंदर कहा है- ”धरती की सुलगती छाती के बेचैन शरारे पूछते हैं, जो लोग तुम्हें दिखला न सके, वो खून के धारे पूछते हैं अंबर की […]
देशद्रोही राजा चंद्रराव और शिवाजी शिवाजी राजा चंद्रराव की दूषित और राष्ट्रद्रोही मानसिकता से क्षुब्ध रहने लगे। षडय़ंत्रों और छल कपट से भरी उस समय की राजनीति में कुछ भी संभव था, इसलिए शिवाजी राजा चंद्रराव की राष्ट्रद्रोही मानसिकता के प्रति मौन तो थे पर असावधान किंचित भी नही थे। वह जानते थे कि राष्ट्रद्रोही […]
शिवाजी भारतीय राष्ट्रवाद के उन्नायक थे। उनके हर निर्णय और हर कार्य में राष्ट्रवाद झलकता था। अक्टूबर 1664 ई. में उन्होंने बीजापुर से खवासखान की सहायता के लिए आये बाजी घोर पड़े की सेना को परास्त कर भगा दिया था। बाजी घोरपड़े को अपने भी प्राण गंवाने पड़ गये। भारत का राष्ट्र निर्माता शिवाजी इस […]