अशोक प्रवृद्ध भारतीय पौराणिक इतिहास की सबसे महत्वदपूर्ण कथा गंगावतरण, जिसके द्वारा भारतवर्ष की धरती पवित्र हुई, में इक्ष्वाकु वंशीय दिलीप के पुत्र भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने गंगा की धारा को देवलोक से भूलोक में गिरते समय अपनी जटा में सम्भालने के लिए हामी भर दी । तब ब्रह्मा के […]
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बिखरे मोती-भाग 97 गतांक से आगे….दुर्भाव से सद्भाव के,मिटते जायें संबंध।जैसे बदबू की हवा,खाती जाय सुगंध ।। 929 ।। व्याख्या :-हृदय की शुद्घि सद्भाव से होती है। हृदय में प्रसन्नता भी सद्भाव से ही रहती है। यदि किसी कारणवश हृदय में दुर्भाव पैदा हो जाए तो वह गोखरू के कांटे की तरह बढ़ता जाता है, […]
बिखरे मोती-भाग 9५ गतांक से आगे….धर्महीन जीवन सदा,बिन पतवार की नाव।लक्ष्य तक पहुंचे नही,बीच में देय डुबाय।। 919।। व्याख्या :धर्महीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान है। जिस प्रकार बिना पतवार के नाव, अपने गंतव्य स्थान तक नही पहुंच पाती है, उसे लहरें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं, कभी-कभी तो […]