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आतंकवाद

भारत में लोगों के धर्मांतरण की ऐसे बनती रही हैं ईसाई मिशनरियों द्वारा योजना

स्पेन से 1964 में फादर एम डायज गैर्रिस रोमन कैथोलिक चर्च के एक षणयंत्र के तहत भारत आये । वो स्वामी नारायन मंदिर में एक पर्यटक के रूप में छ: महीना और फिर वहीं किराये के कच्चे मकान में 5 साल रुके । उद्देश्य था उत्तरी गुजरात की आदिवासी एवं अन्य जनजातियों का अध्ययन कर […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

मनु महाराज के अनुसार टैक्स केवल वाणिज्यिक लोगों से ही लिया जाना चाहिए

उपकरणों से शिल्पकर्म रत #शूद्रों से कर न लिया जाय। ——— —————— टैक्स लेना राज्य का कर्तव्य और अधिकार दोनों है, लेकिन कैसी सरकार टैक्स ले सकती है और किससे कितना ले सकती है, इसके भी सिद्धांत गढे गए हैं, पहले भी और हाल में भी। ब्रिटिश जब कॉलोनी सम्राट हुवा करता था तब वहां […]

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इतिहास के पन्नों से

महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह

ऐतिहासिक दिन-13 मार्च 1940 🎤सरदार उधम सिंह (26 दिसम्बर 1899 से 31 जुलाई 1940) का नाम भारत की आज़ादी की लड़ाई में पंजाब के क्रान्तिकारी के रूप में दर्ज है। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ’ ड्वायर (en:Sir Michael Francis O’Dwyer) को लन्दन में जाकर गोली मारी। कई […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी महाराज से घृणा क्यों?

भगवान राम से द्वेष क्यों? रामसेतु के विषय मे जब कोर्ट केस हुआ तब मनमोहन सिंह की सरकार ने श्रीराम को काल्पनिक बताया। सरकार ने कहा कि कभी कोई राम हुए ही नहीं। ममता बैनर्जी जय श्री राम के नारे से चिढ़ती है। करुणानिधि सरे आम भगवान राम को गाली देता है। मायावती और करुणानिधि […]

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राजनीति

पश्चिमी बंगाल में आखिर क्या है बीजेपी के अपनी जीत का दावा करने का आधार

सरोज सिंह ‘साड़ी में लड़कियाँ, साइकिल पर सवार हो कर स्कूल जा रही हैं।’ शिक्षा के माध्यम से छात्रों का सशक्तिकरण सरकार कैसे कर रही है, इसी थीम पर 26 जनवरी 2021 की परेड में पश्चिम बंगाल की झांकी बनाई गई थी। थीम का नाम दिया गया था – ‘सौबूज साथी’। बांग्ला में ‘सौबूज’ का […]

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भारतीय संस्कृति

शिव एक समन्वयकारी शक्ति का नाम है

डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र शिवत्व की प्रतिष्ठा में ही विश्व मानव का कल्याण संभव है शिव मानसिक शांति के प्रतीक हैं। वे अपनी तपस्या में रत अवस्था में उस मनुष्य का प्रतीकार्थ प्रकट करते हैं जिसे किसी और से कुछ लेना-देना नहीं रहता। जो अपने में ही मस्त और व्यस्त है; शांत है। ऐसी सच्ची शांति […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

शत्रु राष्ट्र के सामान का बहिष्कार होना ही चाहिए

(पूर्वकाल में लिखा गया लेख, जिसकी प्रासंगिकता आज भी है | ) यह सत्य है कि, चीनी समान, जो पूर्ण भुगतान के साथ भारत के छोटे-बड़े व्यापारियों के पास पहूँच चुका है, और उनका भारी पूंजी भी लग चुका है, का क्या होगा ? भारत में पाकिस्तानी कलाकार के साथ सिनेमा का निर्माण हो चुका […]

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विविधा

भारत में कोरोना काल में महिलाओं ने लिखी अपनी नई कहानी

प्रज्ञा पाण्डेय पिछले साल भारत में शुरू हुई कोरोना महामारी के भय ने लोगों को घरों में बंद कर दिया। सामान्य गतिविधियों में कमी आने के कारण लोगों में अवसाद बढ़ गया। लेकिन कोरोना पहली महामारी नहीं है जिसने दुनिया में तबाही मचायी है बल्कि इससे पहले भी विश्व ने कई घातक बीमारियों का सामना […]

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देश विदेश

अधिकतर देशो के शिक्षा बजट पर कोरोना का प्रभाव

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा वैक्सीन आने के बाद यह समझा जा रहा था कि अब कोरोना पर काबू पा लिया जाएगा पर कोरोना की लगभग एक साल की यात्रा के बाद स्थिति में वापस बदलाव आने लगा है और जिस तरह से कोरोना पॉजिटिव केसों में कमी आने लगी थी उस पर विराम लगने के […]

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राजनीति

पांच राज्यों के चुनाव से हो सकती है देश की दिशा और दशा तय है

अवधेश कुमार चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव की तारीखें भले अब घोषित हुई हों, लेकिन राजनीतिक दल चुनावी बिगुल पहले ही फूंक चुके हैं। ये चुनाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दृष्टि से भी दिशा-निर्देशक साबित हो सकते हैं। तृणमूल कांग्रेस, एआईएडीएमके, डीएमके, मुस्लिम लीग और वामपंथी दलों के […]

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