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साक्षात्‍कार

मोहन भागवत का चर्चित साक्षात्कार : भारतीय समाज के भविष्य का रोडमैप

प्रवीण गुगनानी विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक व विचारक प्लेटो के शिष्य रहे हैं अरस्तू। अरस्तू सिकंदर के गुरु भी रहे हैं। अरस्तू का प्रसिद्ध ग्रंथ है “पालिटिक्स”। पालिटिक्स मे अरस्तू ने कहा है – प्रत्येक क्रांति रक्तपात से हो यह आवश्यक नहीं। अरस्तू ने आगे कहा, संविधान में होने वाला छोटा बड़ा परिवर्तन, संविधान में किसी प्रकार […]

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विविधा

बिरसा मुंडा का उलगुलान ही मूलनिवासी दिवस का खंडन है

प्रवीण गुगनानी मूलनिवासी दिवस या इंडिजिनस पीपल डे एक भारत मे एक नया षड्यंत्र है। सबसे बड़ी बात यह कि इस षड्यंत्र को जिस जनजातीय समाज के विरुद्ध किया जा रहा है, उसी समाज के काँधों पर रखकर इसकी शोभायमान पालकी भी चतुराई पूर्वक निकाल ली जा रही है। वैश्विक दृष्टि से यदि देखा जाये […]

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महत्वपूर्ण लेख

श्रीराम जन्मभूमि : देश का मानस और विमर्श

कर सारंग साजि कटि भाथा । अरिदल दलन चले रघुनाथा ।। प्रथम किन्ही प्रभु धनुष टंकोरा। रिपु दल बधिर भयहू सुनि सोरा ।। लगभग पाँच सौ वर्षों के सतत, दुधुर्ष व उत्कट संघर्ष के बाद 5 अगस्त को अयोध्या मे रामलला जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रथम शिला रखी जानी है। जो समय के भीतर […]

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देश विदेश

नेपाली संसद में हिंदी का विरोध और नेपाली जनमानस का रोज

प्रवीण गुगनानी नेपाली संसद मे हिंदी भाषा को प्रतिबंधित करने की चर्चा बल पकड़ रही है। नेपाल मे भारत, भारतीयता व हिंदी का विरोध कम्यूनिज़्म की देन है। कम्यूनिज़्म क्या है? तो इस प्रश्न के उत्तर मे मैं गांधीवाद पर किसी विचारक की टिप्पणी का रूपांतरण रखता हूं – कम्यूनिज़्म वह होता है जिसमें कम्युनिस्ट […]

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राजनीति

आपातकाल की बड़ी भारी हथकड़ी और कोमल कलाई

देश मे आपातकाल लगाए जाने वाले काले 25 जून पर प्रतिवर्ष कुछ न कुछ लिखना मेरा प्रिय शगल रहा है। किंतु, आज जो मैं आपातकाल लिख रहा हूं, वह संभवतः इमर्जेंसी के सर्वाधिक कारुणिक कथाओं मे से एक कथा होगी। जिस देश मे मतदान की आयु शर्त 18 वर्ष हो व चुनाव लड़ने की 21 वर्ष हो वहां 14 वर्ष के अबोध बालक […]

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राजनीति

राहुल गांधी ! आपके पीएम न तो चुप हैं और न छुपे हैं

प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ व रणनीतिकार चाणक्य का कथन है कि “शत्रु के साथ युद्ध केवल रणक्षेत्र मे व केवल हथियारों से Yही नहीं लड़ा जाता; युद्ध अपने व शत्रु देश के मानस मे उसकी मानसिकता को हथियार बनाकर भी लड़ा जाता है”। स्वाभाविक है कि चाणक्य के अनुसार युद्धकाल मे देश के नेतृत्व, विपक्ष व […]

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मुद्दा

अनुच्छेद 30 से बहुसंख्यकों के साथ होता है भेदभाव

प्रवीण गुगनानी भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्म के लोगों को हासिल नहीं है। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का हिमायती है तो इस आर्टिकल 30 की क्या जरूरत है? हाल ही मे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संविधान के अनुच्छेद […]

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इतिहास के पन्नों से

अनुच्छेद 30 के विरोधी तो स्वयं गांधीजी भी थे

प्रवीण गुगनानी हाल ही मे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संविधान के अनुच्छेद 30 के औचित्य पर प्रश्न उठाया है। इसके जवाब मे आलोचकों व विरोधियों ने अपनी प्रवृत्ति के अनूरूप ही विजयवर्गीय पर राजनीति मे धर्म के उपयोग के आरोपों की झड़ी लगा दी है। इस समय मे गांधी जी का विचार […]

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महत्वपूर्ण लेख

भारत नेपाल पुनः समवेत : चीन हुआ अप्रासंगिक

1962 से 1967 वाला हठधर्मी चीन भारत के प्रति 1998 मे सुधरा था और इसे सुधारा था पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने, जो कि भारत चीन संबन्धो के सच्चे वास्तुकार कहे जाते हैं। वर्तमान मे भारत चीन सम्बंध मे जो भी सत्व है वह 1998 के परमाणु विस्फोट से लेकर 2003 तक के अटलबिहारी […]

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मुद्दा

मजदूर भैया से विहीन होती मुंबई

इस लेख में आप मुंबई को कोई एक शहर का नाम नही बल्कि सभी बड़े नगरों व प्रवासी मजदूरों को रखने वाले राज्यों का एक प्रतिनिधि नाम समझें। मुंबई शब्द को एक प्रवृत्ति माने जो इन दिनों मेहनतकश, गरीब और गांव छोड़कर शहर आये हुए लोगों को हिकारत, नीची और उपेक्षा भरी दृष्टि से देख […]

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